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दुनिया में पेड़-पौधे लगाने में सबसे आगे हैं भारत और चीन: नासा

नासा के एक ताजा अध्ययन में आम अवधारणा के विपरीत यह पाया गया है कि भारत और चीन पेड़ लगाने के मामले में विश्व में सबसे आगे हैं

Updated On: Feb 12, 2019 01:35 PM IST

Bhasha

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दुनिया में पेड़-पौधे लगाने में सबसे आगे हैं भारत और चीन: नासा

नासा के एक ताजा अध्ययन में आम अवधारणा के विपरीत यह पाया गया है कि भारत और चीन पेड़ लगाने के मामले में विश्व में सबसे आगे हैं. इस अध्ययन में सोमवार को कहा गया कि दुनिया 20 वर्ष पहले की तुलना में अधिक हरी भरी हो गई है. नासा के सैटेलाइट से मिले आंकड़ों और विश्लेषण पर आधारित अध्ययन में कहा गया कि भारत और चीन पेड़ लगाने के मामले में आगे हैं.

अध्ययन के लेखक ची चेन ने कहा, ‘एक तिहाई पेड़-पौधे चीन और भारत में हैं लेकिन पृथ्वी की वन आच्छादित भूमि (Forest Covered Area) का नौ प्रतिशत क्षेत्र ही उनका है.’ बोस्टन विश्वविद्यालय के चेन ने कहा, ‘अधिक आबादी वाले इन देशों में अत्यधिक दोहन के कारण भू क्षरण की आम अवधारणा के मद्देनजर यह तथ्य हैरान करने वाला है.’

‘नेचर सस्टेनेबिलिटी’ पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि हालिया सैटेलाइट आंकड़ों (2000-2017) में पेड़-पौधे लगाने की इस प्रक्रिया का पता चला है जो मुख्य रूप से चीन और भारत में हुई है. पेड़ पौधों से ढके क्षेत्र में वैश्विक बढोतरी में 25 प्रतिशत योगदान केवल चीन का है जो वैश्विक वनीकरण क्षेत्र का मात्र 6.6 प्रतिशत है.

चीन वनों के कारण और भारत कृषिभूमि के कारण हरा भरा

नासा के अध्ययन में कहा गया है कि चीन वनों (42 प्रतिशत) और कृषिभूमि (32 प्रतिशत) के कारण हरा भरा बना है जबकि भारत में ऐसा मुख्यत: कृषिभूमि (82 प्रतिशत) के कारण हुआ है. इसमें वनों (4.4 प्रतिशत) का हिस्सा बहुत कम है.

चीन भूक्षरण, वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लक्ष्य से वनों को बढ़ाने और उन्हें संरक्षित रखने के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम चला रहा है. भारत और चीन में 2000 के बाद से खाद्य उत्पादन में 35 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हुई है.

नासा के अमेस अनुसंधान केंद्र में एक अनुसंधान वैज्ञानिक और अध्ययन की सह लेखक रमा नेमानी ने कहा, ‘जब पृथ्वी पर वनीकरण पहली बार देखा गया , तो हमें लगा कि ऐसा गर्म और नमी युक्त जलवायु और वायुमंडल में अतिरिक्त कार्बन डाईऑक्साइड की वजह से उर्वरकता के कारण है.’

1990 के दशक के बाद भारत में हुआ सुधार

उन्होंने कहा कि नासा के टेरा और एक्वा उपग्रहों पर माडरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर (एमओडीआईएस) से दो दशक के डेटा रिकॉर्ड के कारण यह अध्ययन हो सका. ‘अब इस रिकॉर्ड की मदद से हम देख सकते हैं कि मानव भी योगदान दे रहा है.’

नेमानी ने कहा कि किसी समस्या का एहसास हो जाने पर लोग उसे दूर करने की कोशिश करते हैं. भारत और चीन में 1970 और 1980 के दशक में पेड़-पौधों के संबंध में स्थिति सही नहीं थी. उन्होंने कहा, ‘1990 के दशक में लोगों को इसका एहसास हुआ और आज चीजों में सुधार हुआ है.’

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