जम्मू-कश्मीर में पुलिसकर्मियों द्वारा नौकरी छोड़कर आतंकवाद में शामिल होने की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. बीते तीन सालों में 12 पुलिसकर्मी नौकरी छोड़कर आतंकवाद से जुड़ गए हैं. इस आंकड़े ने जम्मू-कश्मीर पुलिस विभाग की चिंता बढ़ा दी है.
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर अनुसार हाल ही पुलिस अधिकारी आदिल बशीर के भागकर आतंकवाद में शामिल हो जाने के बाद अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने ऐसी घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए इस पर एक आंतरिक रिपोर्ट तैयार की है.
बीते पांच अक्टूबर को पुलिस ने एक संदिग्ध बीएसएफ कॉन्सटेबल शकीर वानी के तब गिरफ्तार कर लिया था, जब उसके तार हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े पाए गए. पुलिस ने दावा किया कि वानी हिजबुल का सदस्य है और वह आतंकियों को हथियार सप्लाई करने में मदद करता है.
बीते तीन सालों में पुलिसकर्मी की नौकरी छोड़ आतंकवाद में शामिल हुए 12 पुलिसकर्मी करीब 30 हथियार लेकर भागने में सफल रहे.
क्यों आतंकवाद में शामिल हो रहे हैं घाटी के पुलिसकर्मी?
इस पर सीनियर पुलिस अधिकारी का कहना है कि पुलिसकर्मी अपनी भावना और पेशे को अलग-अलग नहीं रख पाते. वो भावुक हो जाते हैं. कई बार उन्हें खुद ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ता है कि वो कुछ सोच नहीं पाते.
अभी एक एसपीओ का आतंकवादी बनने की चाह कट्टरपंथी नहीं हो सकती क्योंकि वह पहले से ही अपने काम के कारण सामाजिक अलगाव का सामना कर रहा है. यह उनके लिए बेहतर कैरियर विकल्प है.
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