भारत शंघाई सहयोग संगठन के आठ देशों में अकेला ऐसा देश रहा जिसने चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट, वन रोड (OBOR) का विरोध किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगठन की बैठक में स्पष्ट रूप से चीन की इस योजना की ओर संकेत करते हुए कहा कि संपर्क सुविधा के विकास की किसी बड़ी परियोजना को अन्य देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करना चाहिए.
मोदी ने शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में यह आश्वासन भी दिया कि समावेशिता को बढ़ावा देने वाली हर परियोजना को भारत का समर्थन करेगा. उन्होंने कहा, ‘पड़ोसी देशों के साथ संपर्क सुविधाओं का विस्तार भारत की प्राथमिकता है. हम ऐसी संपर्क परियोजनाओं का स्वागत करते हैं जो टिकाऊ और दक्ष हों और अन्य देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करती हों.’
क्या है भारत की डिमांड?
भारत कहता रहा है कि वह ऐसी किसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता पर उसकी मूल चिंताओं को नजरअंदाज करती हो. प्रधानमंत्री ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की उपस्थिति में कहा कि संपर्क सुविधा विकसित करने की परियोजनाओं के लिए भारत की प्रतिबद्धता की झलक अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गालियारा परियोजना, चाबहार बंदरगाह के विकास और अश्क़ाबाद समझौते की भागीदारी में मिलती है.
उल्लेखनीय है कि समूह के अन्य सदस्य देशों रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिजस्तान और ताजिकिस्तान ने बीआरआई के प्रति समर्थन का फिर से भरोसा दिया है.
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