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लव जेहाद: विकृत मानसिकता या सिर्फ प्यार?

जयपुर में आयोजित एक मेले में बांटे गए बुकलेट में हिंदू महिलाओं को सलाह दी गई है कि वे मुस्लिम युवाओं से दूर रहें क्योंकि उनका एकमेव लक्ष्य हिंदू लड़कियों को फंसाना और उन्हे धर्मभ्रष्ट करना है

Updated On: Nov 21, 2017 04:34 PM IST

Mahendra Saini
स्वतंत्र पत्रकार

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लव जेहाद: विकृत मानसिकता या सिर्फ प्यार?

पिछले हफ्ते जयपुर में दो मेले/कार्यक्रम शुरू हुए लेकिन इन दिनों समाज और मीडिया में जैसा माहौल देखने को मिल रहा है, ठीक वही इन दोनों के साथ भी हुआ. बौद्धिक श्रेणी के जिस कुंभ की व्यापक चर्चा होनी चाहिए थी, उसके बजाय उससे विपरीत वर्ग के आयोजन की विश्व स्तर पर चर्चा हुई. एक तरफ ‘दी जयपुर डायलॉग्स’ कार्यक्रम था जिसमें आलोक मेहता, शेखर गुप्ता, डेविड फ्रॉले, आरिफ मोहम्मद खान, जे नंदकुमार, तारेक फतेह, शेफाली वैद्य, लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) सैयद अता हसनैन जैसे बुद्धिजीवियों ने अपने विचार रखे.

जबकि दूसरी ओर जयपुर में 16-20 नवंबर तक आयोजित हुआ आध्यात्मिक मेला ज्यादा चर्चा का विषय बन गया. इस मेले को आयोजित किया था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हिंदू आध्यात्मिक और सेवा फाउंडेशन (HSSF) ने. चर्चा में ये इसलिए आया क्योंकि इसमें विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने एक बुकलेट बांटी. ये साधारण बुकलेट नहीं थी बल्कि इसमें हिंदू लड़कियों को चेतावनी/सलाह जारी की गई थी. इसमें मुसलमानों को स्मगलर, आतंकवादी, देशद्रोही, पाकिस्तान समर्थक और सबसे ऊपर हिंदू महिलाओं को फंसाने वालों की संज्ञा दी गई.

मुस्लिम ‘भेड़िए’ हैं, हिंदू बेटियों को बचाएं

हिंदू महिलाओं को सलाह दी गई है कि वे मुस्लिम युवाओं से दूर रहें क्योंकि उनका एकमेव लक्ष्य हिंदू लड़कियों को फंसाना और उन्हे धर्मभ्रष्ट करना है. बुकलेट में यहां तक चर्चा की गई है कि किस-किस जगह इंसानरूपी ये भेड़िए मौजूद रहते हैं. इसके अनुसार ब्यूटी पार्लर, मोबाइल रिचार्ज करने वाली दुकानें, लेडीज टेलर और स्कूटी आदि का पंचर बनाने वाली दुकानें वे जगह हैं जहां हिंदू लड़कियों को टारगेट किया जा सकता है. बुकलेट में लिखा गया है कि मुसलमान पिछले एक हजार साल से लव जेहाद के रास्ते हिंदू लड़कियों को फंसा रहे हैं.

हिंदू लड़कियों को ‘बेहतर तरीके’ से समझाने के लिए साथ में एक मुफ्त पंपलेट भी मेले में बांटा गया. पर्चे के अनुसार लव जेहाद की सबसे बड़ी मिसाल फिल्मस्टार सैफ अली खान और आमिर खान हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों ने ही हिंदू लड़कियों से शादी के लगभग 15-15 साल बाद तलाक लेकर दूसरी शादी की. कहने की जरूरत नहीं कि इन्होने दूसरी शादी के लिए भी हिंदू लड़कियों को ही ‘फंसाया’.

इन पर्चों में करीना कपूर खान की एक मॉर्फ की गई फोटो का इस्तेमाल भी किया गया है. इस फोटो में करीना के आधे चेहरे पर बिंदी दिखाई गई है तो आधे चेहरे को नकाब से ढका दिखाया गया है. सैफ और आमिर जैसे सितारों पर ये भी आरोप लगाया गया कि अपनी हिंदू पत्नियों के जरिए वे दूसरी लड़कियों को गलत शिक्षा भी दे रहे हैं.

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लव जेहाद से बचने के तरीके कैसे-कैसे

जेहाद और लव जेहाद नाम की इस बुकलेट में माता-पिताओं के लिए भी कुछ ‘तरीके’ सुझाए गए हैं, जिनसे वे अपनी बेटियों की सुरक्षा कर सकते हैं मसलन, हिंदू मूल्यों के पोषण से. इसके अनुसार हिंदू मूल्य हैं- सिंदूर लगाना, चूड़ियां पहनना, परिवार की मर्जी से शादी करना, घूंघट करना आदि-आदि. यही नहीं, लड़कियों को ज्यादा प्राइवेसी न देने की वकालत भी की गई है.

सुझाया गया है कि माता-पिता बेटियों की हरकतों पर बारीक नजर बनाए रखें. वे ध्यान दें कि बेटी किससे बात करती है, किससे मिलती है, कौनसी किताबें पढ़ती हैं. माता-पिता और भाई-बहनों को ये भी सुझाया गया है कि किसी मुस्लिम लड़के से अफेयर का शक हो तो लड़की के स्कूल/कॉलेज में जाकर भी जांच की जाए.

लड़की के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर रखना भी लव जिहाद से बचाने का एक तरीका बताया गया है. इसके अनुसार फेसबुक या व्हाट्सएप पर चेक करते रहना चाहिए कि उसके दोस्त कौन-कौन हैं. एक और दकियानूसी तरीके की पैरवी समाज के इन ठेकेदारों ने की है. ये तरीका है तांत्रिक की मदद लेने का. ये कहते हैं कि कई बार लड़की को फंसाने के लिए मुस्लिम काले जादू का सहारा लेते हैं. ऐसे में उनके जाल को काटने के लिए तंत्रशक्ति ही एक सहारा बच जाती है.

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ऐसा नहीं है कि हिंदुओं के ‘शिकार’ के लिए मुसलमानों को ही दोषी ठहराया गया है. एक पंपलेट ईसाई मिशनरियों के खतरों से आगाह करने के लिए भी है. इसके मुताबिक भारत में 3 लाख ईसाई प्रचारक हैं जो हिंदुओं को तरह-तरह का लालच देकर धर्मांतरण करा रहे हैं. ईसाई प्रचारकों को यूरोप और अमेरिका से हजारों करोड़ रुपए हिंदुओं को ईसाई बनाने के लिए ही भेजे जा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे भारतीय राज्य आज ईसाई बहुल हो चुके हैं.

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आयोजकों ने झाड़ा पल्ला, जांच शुरू

हालांकि विवाद बढ़ा तो मेले के आयोजक HSSF ने इस साहित्य से पल्ला झाड़ लिया. संयोजक राजेंद्र सिंह शेखावत ने पहले तो ऐसी कोई बुकलेट या पंपलेट बांटे जाने से ही इनकार कर दिया. लेकिन मीडिया ने जब उन्हे सबूत दिखाए तो उन्होने कहा कि इस बुकलेट और इसमें छपी सामग्री से आयोजकों का कोई लेना देना नहीं है. इसे बांटने का काम भी आयोजकों ने नहीं किया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खुद विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने भी ऐसी किसी बुकलेट या साहित्य को बांटने से इनकार कर दिया है. मेले में बजरंग दल के स्टॉल के समन्वयक अशोक सिंह ने ऐसी बुकलेट की जानकारी से ही इनकार कर दिया.

ये तीसरा मौका है जब ऐसा मेला आयोजित किया गया है. आयोजक अब इस कोशिश में हैं कि लव जेहाद बुकलेट से ज्यादा मेले के उद्देश्य पर मीडिया फोकस करे. आयोजकों के अनुसार समाज सेवा करने वाले विभिन्न संगठनों को एक मंच मुहैया कराना और सामाजिक परिवर्तन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना ही मेले का एकमात्र उद्देश्य था. हालांकि अब ये सबके सामने है कि असल उद्देश्य किसे कहा जा सकता है.

इधर, मामले के राष्ट्रीय स्तर पर छा जाने और चौतरफा दबाव बढ़ने पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. जयपुर (दक्षिण) डीसीपी योगेश दाधीच ने बताया कि उनकी जानकारी में ये मामला आया है. उन्होने एडिशनल डीसीपी से जांच करने और बुकलेट-पंपलेट बांटने वालों की पहचान करने को कहा है.

A veiled Muslim bride waits for the start of a mass marriage ceremony in Ahmedabad, India, October 11, 2015. A total of 65 Muslim couples from various parts of Ahmedabad on Sunday took wedding vows during the mass marriage ceremony organised by a Muslim voluntary organisation, organisers said. REUTERS/Amit Dave - RTS3Z5U

शिक्षा मंत्री ने कहा- बच्चों मेला देखो

सबसे हैरानी की बात तो ये है कि खुद सरकार की तरफ से स्कूलों से कहा गया कि वे बच्चों और शिक्षकों को मेले में लेकर जाएं. जयपुर के अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी दीपक शुक्ल ने मीडिया के सामने कबूल किया कि मेले को सफल बनाने में आयोजकों की मदद के लिए स्कूलों को कहा गया था. शुक्ल के मुताबिक प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के निर्देशों के बाद ऐसा किया गया.

वैसे मेला आयोजकों की मदद का ये फैसला एकतरफा नहीं था. बताया जा रहा है कि 8 नवंबर को मनाए गए ब्लैक मनी डे पर हिंदू आध्यात्मिक और सेवा फाउंडेशन ने भी राजस्थान सरकार की अच्छी खासी मदद की थी. सरकारी संगठन राजस्थान युवा बोर्ड के वंदे मातरम् गायन आयोजन में फाउंडेशन ने बढ़चढ़ कर कार्यकर्ता मुहैया कराए थे. इसी उपकार के बदले सरकार ने उनके मेले को सफल बनाने की ‘जिम्मेदारी’ उठाई.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में किसी धार्मिक संगठन की इस तरह मदद की जा सकती है. संविधान सरकार से अपेक्षा करता है कि वह प्रत्येक धर्म और धर्मावलंबियों को समान महत्व देगा. लेकिन यहां तो स्पष्ट रूप से इसका उल्लंघन देखा जा रहा है. कल को कोई मुस्लिम या ईसाई संगठन ऐसा ही आयोजन अपने धर्म के लिए करे तो क्या सरकार उसे भी ऐसा ही सहयोग देगी.

कई लोग संविधान प्रदत्त धार्मिक आजादी में बहुसंख्यक धर्म को भी अपने क्रियाकलापों में पूरी स्वतंत्रता का हक होने का जिक्र करते हैं. ये सच है कि संविधान हर धर्म को अपने प्रचार की आजादी देता है. लेकिन इस प्रचार की आड़ में दूसरे धर्म के विरुद्ध भावनाएं भड़काना उसी तरह शामिल नहीं किया जा सकता, जिस तरह जबरन धर्मांतरण की मनाही है. 1940 के दशक में ‘इस्लाम खतरे में है’ का नारा देकर देश के धार्मिक टुकड़े करा दिए गए. अब इसी तर्ज पर नया नारा गढ़ने की कोशिश की जा रही है.

क्या हिंदू खतरे में हैं?

हिंदू इस देश में सबसे बड़ा और सबसे सहिष्णु धर्म कहा जाता है. निकट भविष्य में हिंदू धर्म को कोई बड़ा खतरा नजर नहीं आता लेकिन पिछले कुछ साल से विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठन लगातार आवाज उठा रहे हैं कि हिंदुओं की आबादी तेजी से कम हो रही है. अपने तर्क के समर्थन में वे कहते सुने जाते हैं कि आजादी के समय भारत में हिंदुओं का जनसंख्या प्रतिशत लगभग 85 था जबकि 70 साल बाद अब ये प्रतिशत घटकर 80 से भी कम हो गया है.

हिंदू धर्म को खतरे में बताने वाले ये तर्क भी देते हैं कि जनगणना-2011 के अनुसार जहां हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि दर महज 16.8% है वहीं, मुस्लिम 24.6% की दर से बढ़ रहे हैं. यही नहीं, ईसाई भी 15.5% की दर से बढ़ रहे हैं जबकि सिखों की वृद्धि दर सिर्फ 8.4% ही रह गई है. कुल जनसंख्या में ईसाई सिखों से कहीं ज्यादा हो चुके हैं.

ये सच है कि ये आंकड़े सरकारी हैं और प्रतिशत आंकड़ों को देखने से हिंदुओं की संख्या कम होती लगती है. लेकिन तस्वीर का एक पहलू ये भी है कि कुल जनसंख्या में मुस्लिम 20 करोड़ से कम हैं जबकि हिंदू लगभग 97 करोड़. ऐसे में ये कहना कि मुस्लिम युवकों का हिंदू युवतियों से लव करना जेहाद है और ये लव जेहाद समूचे हिंदू धर्म के लिए खतरा बन चुका है, सही नहीं लगता है.

Muslims offer the first Friday prayers of the holy fasting month of Ramadan outside the Jama Masjid in Jaipur, India June 2, 2017. REUTERS/Himanshu Sharma - RTX38NO1

क्या होता है लव जेहाद?

जेहाद का डिक्शनरी में मतलब पवित्र युद्ध है. बताया जाता है कि इस्लाम के फैलाव की कोशिशों के दौरान गैर इस्लामिक लोगों से होने वाले युद्धों को जेहाद करार दिया गया. चूंकि ये युद्ध गैर मुसलमानों के धर्म परिवर्तन के लिए लड़े जा रहे थे इसलिए इन्हें पवित्र युद्ध यानी जेहाद करार दिया गया.

पिछले कुछ अरसे में हिंदुवादी संगठनों ने मुस्लिम युवकों के हिंदू लड़कियों से अफेयर करने या शादी करने को मुद्दा बनाया है. एक लड़के और लड़की के बीच सिर्फ प्यार का मामला मानने से इनकार करते हुए ये संगठन मुस्लिम लड़के द्वारा हिंदू लड़की को इस्लाम की ओर ले जाने का संगठित षड्यंत्र करार देते हैं.

हिंदुवादी संगठनों का आरोप है कि योजनागत तरीके से हिंदू लड़कियों का ब्रेनवॉश किया जाता है ताकि वो इस्लाम धर्म को अपना ले. यानी पहले इस्लाम को फैलाने के लिए युद्ध के तरीके का सहारा लिया जाता था और अब अफेयर का सहारा लिया जा रहा है.

राजस्थान में इसी महीने जोधपुर की पायल सिंघवी का मामला भी काफी गरमा चुका है. पायल ने धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम लड़के फैज़ मोदी से निकाह कर लिया था. पायल के घरवालों ने इसे लव जेहाद का मामला बताया था जबकि पुलिस ने दोनों के बालिग होने के कारण कोई केस दर्ज नहीं किया था. बाद में हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणियां की. अदालत ने राजस्थान सरकार से धर्म परिवर्तन की कानूनी प्रक्रिया के बारे में पूछा.

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जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने तो यहां तक कहा कि सिर्फ 10 रुपए के स्टैंप पेपर पर एफिडेविट देकर कोई कैसे अपना धर्म बदल सकता है. इस तरह तो कल को मैं भी अपने आप को आसानी से गोपाल मोहम्मद बुला सकता हूं. कोर्ट के आदेश पर बाद में इस मामले में पुलिस को केस दर्ज करना पड़ा था.

राजस्थान हाईकोर्ट में एडवोकेट गोकुलेश बोहरा ने दावा किया था कि अकेले जोधपुर में ही पिछले 6 महीने में कम से कम 20 लड़कियों के धर्म परिवर्तन कर निकाह करने के मामले सामने आए हैं. हालांकि पायल केस में आरोपी फैज़ मोदी ने सवाल उठाया कि दूसरे धर्म की लड़की से प्यार करना कानूनी जुर्म नहीं है तो फिर ऐसे अफेयर को लव जेहाद की संज्ञा क्यों ?

मुस्लिमों को लव जेहाद शब्द से नफरत

हिंदुवादी संगठन चाहे लव जेहाद को बड़ा खतरा बताते हों लेकिन मुस्लिम धर्म के लोग इसे मिथ्या परिकल्पना करार देते हैं. लव जेहाद पर चर्चा के दौरान मेरे कुछ मुस्लिम मित्रों ने कहा कि प्यार महज दो लोगों के बीच का मसला है न कि कोई संगठित षड्यंत्र. आखिर प्यार किया नहीं जाता, बस हो जाता है और ये धर्म को देखकर नहीं बल्कि इंसान को देखकर होता है. इसलिए लव जेहाद जैसी परिकल्पना विकृत सांप्रदायिक मस्तिष्कों की ही उपज हो सकती है और कुछ नहीं.

लेकिन यहीं पर कई सवाल ऐसे उठते हैं जिनका जवाब मुश्किल हो जाता है. बजरंग दल से जुड़े भवानी गुणदैया पूछते हैं कि विपरीत धर्मों के जोड़ों में अक्सर हमें वे ही क्यों ज्यादा दिखते हैं जिनमें लड़का मुस्लिम होता है और लड़की हिंदू. जबकि वे जोड़े उंगली पर गिनने जितने भी नहीं होते जिनमें लड़का हिंदू होता है और लड़की मुसलमान.

Chief Minister of Rajasthan Raje and Gujjar leader Bainsla walk back after news conference in Jaipur

बदल रही है राजस्थान की फिजा

ऐसा ही एक और सवाल पिछले दिनों मुझे सोशल मीडिया पर भी देखने को मिला. ये सवाल था कि जब प्यार बिना धर्म देखे हो जाता है तो फिर निकाह के लिए ही लड़की को मुसलमान बनने की जरूरत क्यों आ पड़ती है. क्यों नहीं शादी के बाद भी उसके धर्म को वैसे ही कबूल किया जाता जैसे कि अफेयर शुरू करते समय किया जाता है. अगर इस्लाम विधर्मी से शादी की इजाजत नहीं देता तो फिर अफेयर की इजाजत भी नहीं होनी चाहिए.

सबसे बड़ी बात ये भी है कि अगर लव जेहाद सिर्फ सांप्रदायिक मस्तिष्कों की विकृति है तो फिर इसपर मुसलमानों द्वारा इतनी भारी प्रतिक्रिया क्यों. अगर लव जेहाद सच नहीं है तो फिर इसका विरोध करने की जरूरत ही नहीं. ब्रिटिश विचारक जे एस मिल ने कहा था कि सच को खड़ा होने से कोई रोक नहीं सकता और झूठ को कोई शक्ति खड़ा नहीं कर सकती.

खो रहा चैन-ओ-अमन, मुश्किलों में वतन !

करीब 20 साल पहले आई फिल्म सरफरोश के एक गाने के शब्द यहां याद आते हैं.

खो रहा चैन-ओ-अमन, मुश्किलों में है वतन..

सरफरोशी की शमां दिल में जला लो यारों..

जिंदगी मौत न बन जाए, संभालो यारों..!

पिछले कुछ दिनों में राजस्थान की फिज़ा भी तेजी से बदलती दिख रही है. कथित गौ-रक्षकों की गुंडागर्दी बढ़ रही है. अलवर में पहलू खान के बाद हाल ही में उमर भी ‘शिकार’ बन चुका है. केरल जैसा ही ‘लव जेहाद’ का मामला जोधपुर में उछला है. और अब चर्चा में राजस्थान सरकार का धर्म स्वातंत्र्य कानून भी चर्चा में है.

विधानसभा से राजस्थान धर्म स्वातंत्र्य विधेयक वसुंधरा राजे सरकार के पिछले कार्यकाल में ही पारित हो चुका था लेकिन तत्कालीन राज्यपाल ने इसे रोक लिया था. ये कानून लागू हुआ तो धर्म परिवर्तन नामुमकिन नहीं तो मुश्किल जरूर हो जाएगा. हालांकि केंद्र सरकार ने फिलहाल इसे राष्ट्रीय नीति से असंबद्ध बताते हुए लौटा दिया है. यहां मेरा इतना कहना है कि राजस्थान की गिनती धार्मिक सहिष्णुता वाले राज्यों में होती रही है. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि इसे और न भी सुधार सकें तो कम से कम बिगड़ने भी न दें.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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