live
S M L

दिल्लीः पिछले 45 दिनों में 341 बेघरों की सड़क पर हो गई मौत, कड़ाके की ठंड से लोग परेशान

जनवरी महीने के इन 14 दिनों के अंदर ही ठंड के चलते 96 लोगों की जान जा चुकी है और आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता है

Updated On: Jan 17, 2019 12:38 PM IST

FP Staff

0
दिल्लीः पिछले 45 दिनों में 341 बेघरों की सड़क पर हो गई मौत, कड़ाके की ठंड से लोग परेशान

देश की राजधानी दिल्ली में कड़ाके की ये सर्दी बेघरों के लिए जान की दुश्मन बन गई है. इतनी अधिक ठंड के चलते सड़क पर रहने वाले लोगों को बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले 45 दिनों में 341 लोगों की जान जा चुकी है. सेंटर फॉर हॉलिस्टिक डेवलपमेंट (CHD) की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार आंकड़ें बताते हैं कि जनवरी महीने के इन 14 दिनों के अंदर ही ठंड के चलते 96 लोगों की जान जा चुकी है और आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता है. सीएचडी के मुताबिक कोतवाली सिविल लाइन और सराय रोहिला में 14 दिनों में 23 मौत हो चुकी है.

पिछले साल की तुलना में जनवरी महीने में मौत के कुछ कम मामले

सीएचडी के सुनील अलेडिया ने बताया कि दिसंबर और जनवरी में पड़ने वाली ठंड दिल्ली के बेघरों के लिए जानलेवा बन जाती है. खासकर उन लोगों के लिए जो सड़क किनारे सोने को मजबूर हैं. इस बार भी दिसंबर और जनवरी महीने में हर बार की तरह ही कई बेघरों की मौत हुई है. हालांकि पिछले साल की तुलना में जनवरी महीने में मौत के कुछ कम मामले आए हैं, लेकिन महीना खत्म होते-होते यह आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता है. उन्होंने बताया कि हमने इस ओर ध्यान दिलाने के लिए दिल्ली सरकार को पत्र लिखा है और उन्हें कई सुझाव भी दिए हैं.

दरियागंज में एक 45 साल के रिक्शावाले ने दम तोड़ दिया

प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के नाम इस पत्र में सुनील अलेडिया ने लिखा है कि 13 जनवरी को आसफ अली रोड, प्रभात प्रकाशन के पास दरियागंज में एक 45 साल के रिक्शावाले ने दम तोड़ दिया. सुनील ने कहा कि पुरानी दिल्ली के शाहजहांनाबाद इलाके में दिल्ली के 212 आश्रय गृह में से 62 आश्रय गृह हैं, जिसमें 6070 लोगों के रहने की सुविधा की गई है. उन्होंने कहा कि इस इलाके में रेहड़ी व रिक्शा चलानेवाले भारी संख्या में रहते हैं. मजदूरी करनेवाले भी यहीं रहते हैं. सुनील ने पत्र में दावा किया है कि लगभग 1 लाख लोग खुले में सोने को मजबूर हैं.

2010 और 2014 में बेघरों को लेकर हुए सर्वे का फिर सर्वेक्षण जरूरी

सुनील ने कहा कि दिल्ली में करीब 7,032 बेघर वोटर रजिस्टर्ड हैं और ये वोट देते हैं लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता. उन्होंने इस तरह की मौत को रोकने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं. इनमें बेघरों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शामिल है. जहां ये लोग खुले में सो रहे हैं, उसी के पास सबवे, फ्लाइओवर के नीचे रहने के लिए सर्दी में सुविधा दी जाए. साल 2010 और 2014 में बेघरों को लेकर हुए सर्वे पर फिर एक सर्वेक्षण होना जरूरी है. समय-समय पर आश्रय गृह का निरीक्षण, दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों का पालन, ज्वाइंट अपैक्स एडवाइजरी कमिटी जो हर 15 दिन में होनी चाहिए और 'बेघर नीति' का होना बहुत जरूरी है. कई एनजीओ का मानना है कि अगर देश की राजधानी में बेघरों का ऐसा हाल है तो फिर देश के दूसरे हिस्सों में क्या हो सकता है.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi