एम्स प्रशासन ने जच्चा-बच्चा मौत मामले में आठ सदस्यों की एक कमेटी बनाई.
देश का सबसे बड़ा अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) एक बार फिर विवादों में घिर गया है. एम्स पर लापरवाही का आरोप उसके अपने ही कर्मचारियों ने लगाया है. पिछले दिनों एम्स में काम करने वाली एक नर्स राजबीर कौर और उसके नवजात बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई थी.
अपने स्टॉफ की मौत के बाद नर्सिंग यूनियन ने इलाज कर रहे डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था. इसके बाद एम्स प्रशासन ने पांच डॉक्टरों को निलंबित कर दिया था. डॉक्टरों के निलंबन के बाद रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी हड़ताल पर जाने की धमकी दी है.
राजबीर को इंसाफ दिलाने के लिए 500 से भी अधिक नर्सों ने 5 फरवरी से ही काम बंद कर रखा था. एम्स नर्सिंग यूनियन ने एम्स निदेशक ऑफिस के बाहर रविवार से ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था. रविवार देर शाम नर्सिंग एसोसिएशन ने आरोपी डॉक्टरों पर कार्रवाई के बाद हड़ताल वापस ले लिया.
तो, दूसरी तरफ सोमवार को रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने डॉक्टरों पर की गई कार्रवाई को जल्दबाजी में उठाया गया कदम बता कर आंदोलन करने की धमकी दे रहे हैं. रेजिडेंट डॉक्टर्स अपने साथी पर लिए गए निलंबन के फैसले को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एम्स प्रशासन को वास्तविक स्थिति से अवगत कराने की बात को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया. रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि नर्स राजबीर की मौत की असली वजह हार्ट-अटैक थी, न कि डॉक्टरों की लापरवाही.
डॉक्टर्स पर लापरवाही का आरोप
दूसरी तरह एम्स की नर्सिंग स्टॉफ यूनियन लगातार कह रही थी कि नवजात शिशु की मौत के बाद भी डॉक्टरों ने राजबीर कौर की इलाज में लापरवाही बरती. लापरवाही बरतने से ही शिशु के साथ मां की भी मौत हो गई.
16 जनवरी को एम्स में प्रसव पीड़ा की शिकायत पर राजबीर कौर भर्ती हुई थी. दूसरे दिन ही डॉक्टरों ने उसके पेट में पल रहे बच्चे की धड़कन कम होने के वजह से ऑपरेशन किया.
नर्स राजबीर के परिजनों के मुताबिक राजबीर को एनेस्थीसिया की जगह जनरल एनेस्थीसिया दिया गया. जिसके बाद उसको असहनीय दर्द शुरू हो गया. इसी कारण बच्चे की भी मौत हो गई.
राजबीर के परिजनों ने इलाज कर रहे डॉक्टरों पर आरोप लगाया है कि सांस की नली में लगने वाला पाइप उसके भोजन की नली में लगा दिया गया. जिससे उसको हार्ट-अटैक आया.
राजबीर की लगातार बिगड़ती हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने आईसीयू में शिफ्ट कर दिया था. 15 दिनों से आईसीयू में मौत से जंग लड़ रही राजबीर की शनिवार को मौत हो गई थी.
नर्सिंग यूनियन का कहना है कि कर्मचारियों को जो ईसीएच इम्पलॉयमेंट हेल्थ सर्विस सेवा मुहैया कराई जाती है वह बेहतर नहीं है. पिछले साल भी एम्स के एक कर्मचारी के बेटे की डेंगू से मौत हो गई थी.
उस बच्चे को प्लेटलेट्स की कमी के बावजूद एम्स के डॉक्टरों ने प्लेटलेट्स नहीं चढ़ाया, जिससे उस बच्चे की मौत हो गई.
डॉक्टर्स के निलंबन पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन इस मसले पर प्रशासन से लिखित आश्वासन चाहता है. लेकिन एम्स प्रशासन ने कुछ भी लिखित नहीं दिया.
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