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मौसम विभाग की चेतावनी: सावधानी के 48 से 72 घंटे, जानिए क्यों आता है तूफान?

थंडर मुख्यतौर पर 15 मार्च से लेकर 15 जून के बीच होते हैं. बारिश का मौसम शुरू होने से पहले यह नजर आता है. दिलचस्प है कि इस थंडरस्टॉर्म का मॉनसून से कोई संबंध नहीं है

Updated On: May 07, 2018 05:20 PM IST

Ravishankar Singh Ravishankar Singh

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मौसम विभाग की चेतावनी: सावधानी के 48 से 72 घंटे, जानिए क्यों आता है तूफान?

मौसम विभाग ने दिल्ली, राजस्थान, यूपी सहित देशभर के करीब 15 राज्यों में अगले 48 घंटों के लिए अलर्ट जारी कर दिया है. कुदरत के कहर से बचने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को भी मुस्तैद कर दिया गया है. आईएमडी के मुताबिक, 7 और 8 मई को दिल्ली एनसीआर सहित 13 राज्यों में आंधी-तूफान, भारी बारिश और ओलावृष्टि हो सकती है.

गृह मंत्रालय ने खासतौर पर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतने की अपील की है. असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा में भी बारिश के आसार हैं.

क्या है मौसम विभाग का अलर्ट?

मौसम विभाग ने अपनी चेतावनी में कहा है कि अलर्ट वाले इलाकों में आंधी और गरज के साथ बारिश हो सकती है. पिछले हफ्ते 2 मई को आई आंधी से यूपी और राजस्थान में करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी. बेमौसम बारिश से किसानों की फसल का भी काफी नुकसान हुआ है.

क्या है थंडरस्टॉर्म?

आंधी तूफान को तकनीकी शब्दाबली में थंडरस्टॉर्म कहते हैं. गर्म हवा जब अपनी दिशा बदलती है, तब इसका प्रभाव नजर आता है. भारत जैसे देशों में इसका सबसे ज्यादा असर पूर्वोत्तर के राज्यों में देखने को मिलता है. दक्षिण भारत पर भी इसका कुछ असर दिखता है.

मौसम विभाग कब जारी करता है पूर्वानुमान?

मौसम विभाग दिन में चार बार पुर्वानुमान जारी है. मौसम विभाग अपना पूर्वानुमान देश के प्रभावित राज्यों को भेजती है और उनके लिए कुछ गाइडलाइंस भी जारी करती है. मौसम विभाग रडार से हर गतिविधियों पर नजर रखता है.

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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के फोरकास्टिंग विभाग के प्रमुख डॉक्टर के सती देवी ने फ़र्स्टपोस्ट से बात करते हुए कहा, ‘रडार से देखने के बाद वैज्ञानिकों को अंदाजा लग जाता है कि तूफान कितनी रफ्तार से चलने वाला है. कलर कोडिंग के जरिए ये सूचनाएं दी जाती हैं. सबसे पहले ग्रीन कलर कोड के जरिए सूचना दी जाती है. उसके बाद येलो कलर फिर ऑरेंज कोड और सबसे लास्ट में रेड कलर कोड के जरिए सूचना दी जाती है.

डॉ सती आगे कहती हैं, ‘ग्रीन कलर कोड में लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. येलो कलर से संबंधित इलाके में आपदा प्रबंधन विभाग को अलर्ट कर दिया जाता है. ऑरेंज कलर कोडिंग के जरिए लोगों को आगाह किया जाता है कि हालात किसी भी वक्त बिगड़ सकते हैं. और सबसे खतरनाक रेड कोड नोटिस का मतलब है कि जान-माल का बड़ा नुकसान होगा और लोग उस जगह को तुरंत खाली कर दें.

अभी ज्यादार इलाकों में येलो और कुछ-कुछ जगहों पर ऑरेंज कलर कोडिंग में सूचना दी गई है. मौसम विभाग का साफ कहना है कि तूफान को देखते हुए यह चेतावनी ऑरेंज जोन की है न कि रेड जोन की. इसका मतलब हुआ कि पहाड़ी एरिया में अगर बारिश और ओलावृष्टि होगी तो इसका असर दिल्ली,पंजाब और हरियाणा में साफ नजर आएगा. यह बारिश या ओलावृष्टि उतना गंभीर नहीं होगा जितना कि अनुमान लगया जा रहा है.

थंडर स्टॉर्म क्यों होते हैं और इसके कारण क्या हैं?

थंडरस्टॉर्म एक तरह का कम्यूलसनिंबस क्लाउड है. कम्यूलसनिंबस एक लैटिन शब्द है. यह कम्यूलस (ढेर) और निंबस (बारिश) से मिलकर बना है. ये घने बादल होते हैं, जो शक्तिशाली ऊपरी वायुधाराओं के जलवाष्प से बनते हैं. क्लाउड में कई तरह के बदलाव होते हैं. आपस में जब इसके आयन टकराते हैं तो बिजली चमकती है और थंडर की आवाज होती है. इस केस में बादलों का टकराव सामान्य नहीं होता है यह काफी जबरदस्त होता है.

कम्यूलसनिंबस क्लाउड आमतौर पर छोटे कम्यूलस बादलों के साथ होते हैं. कम्यूलसनिंबस बेस कई मील तक फैल सकता है और कम या मध्यम ऊंचाई पर कब्जा कर सकता है. 200 से 4 हजार मीटर (700 से 10 हजार फीट) की ऊंचाई तक यह कवर करता है.

कब आते हैं ऐसे थंडर?

थंडर मुख्यतौर पर 15 मार्च से लेकर 15 जून के बीच होते हैं. बारिश का मौसम शुरू होने से पहले यह देखा जाता है. इस थंडरस्टॉर्म का मानसून से कोई संबंध नहीं होता है. थंडरस्टॉर्म कहीं भी हो सकता है, जिससे प्लेन को भी नुकसान पहुंच सकता है.

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