भारतीय मौसम विभाग ने एक बार फिर से मौसम के बदलते स्वभाव को लेकर अलर्ट जारी किया है. देश के कई हिस्सों में अब भी आंधी-तूफान का खतरा बरकरार है. मौसम विभाग के मुताबिक अगले 5 दिनों में देश के कई हिस्सों में संकट के बादल छाए रहेंगे. धूल भरी आंधी और तेज हवाओं के साथ बारिश भी हो सकती है.
मौसम विभाग ने बुधवार को भी देश के कई हिस्सों में तेज आंधी और हल्की बारिश की चेतावनी जारी की है. आईएमडी के मुताबिक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और नॉर्थ-ईस्ट के कुछ इलाकों में अगले 72 घंटे में भारी बारिश होने की आशंका है. मौसम विभाग का कहना है कि इस दौरान हवा की रफ्तार 60-70 किमी प्रति घंटा रह सकती है.
मौसम विभाग के मुताबिक मई महीने में पश्चिमी विक्षोभ के कारण अब तक तीन बार आंधी और तूफान आ चुका है. पिछले रविवार को भी आंधी और तूफान के कारण पूरे देश में लगभग 80 लोगों की मौत हो गई थी. पिछले दो सप्ताह में देश में आंधी और तूफान के कारण लगभग 220 लोगों की मौत हो चुकी है.
बीते रविवार शाम को भी देश के पांच राज्यों में आए आंधी-तूफान और बिजली गिरने से मरने वालों की संख्या 80 तक पहुंच गई है. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 51, पश्चिम बंगाल में 6, आंध्र प्रदेश में 3, दिल्ली में 2 और उत्तराखंड में 1 लोगों की मौतें हो चुकी हैं.
आपको बता दें कि मौसम विभाग पिछले दो सप्ताह से लगातार मौसम के बारे में जानकारी दे रही है. मौसम विभाग के मुताबिक तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी, कर्नाटक, केरल के तटीय इलाकों में अगले कुछ घंटों में तेज हवाएं चल सकती हैं.
2 मई को भी तेज आंधी-तूफान से यूपी और राजस्थान में करीब 140 लोगों की मौत हो गई थी. 7 मई की रात को भी दिल्ली में बहुत जोर की आंधी चली और कई जगहों पर हल्की-फुल्की बारिश भी हुई थी. उत्तर और पूर्व भारत के बहुत से हिस्सों में यह तूफान बीते कुछ दिनों से भयंकर कहर बरपा रहा है.
अगर बात करें दिल्ली-एनसीआर की तो मौसम विभाग की तरफ से विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दी जा रही है. आपदा प्रबंधन विभाग को भी अलर्ट पर रखा गया है. मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर भारत में आंधी-तूफान ने बीती रात को भी काफी नुकसान पहुंचाया है. बुधवार सुबह को भी दिल्ली-एनसीआर का इलाका धूल की चादर से ढक गया था.
मौसम विभाग ने अपनी चेतावनी में कहा है कि अलर्ट वाले इलाकों में आंधी और गरज के साथ बारिश हो सकती है. बीते कुछ दिनों से डस्ट स्टॉर्म यानी अंधड़ हर किसी को डराए हुए है. मौसम विभाग की जानकारियों के हिसाब से अगले 72 घंटे बहुत क्रिटिकल बताया गया है.
आंधी तूफान को तकनीकी शब्दाबली में थंडरस्टॉर्म कहते हैं. गर्म हवा जब अपनी दिशा बदलती है, तब इसका प्रभाव नजर आता है. भारत जैसे देशों में इसका सबसे ज्यादा असर पूर्वोत्तर के राज्यों में देखने को मिलता है. दक्षिण भारत पर भी इसका असर दिखता है.
मौसम विभाग दिन में चार बार पुर्वानुमान जारी करता है. मौसम विभाग अपना पूर्वानुमान देश के प्रभावित राज्यों को भेजता है और उनके लिए कुछ गाइडलाइंस भी जारी करता है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के फोरकास्टिंग विभाग की प्रमुख डॉक्टर के सती देवी ने फ़र्स्टपोस्ट से बात करते हुए कहा, ‘रडार से देखने के बाद वैज्ञानिकों को अंदाजा लग जाता है कि तूफान कितनी रफ्तार से चलने वाला है. कलर कोडिंग के जरिए ये सूचनाएं दी जाती हैं. सबसे पहले ग्रीन कलर कोड के जरिए सूचना दी जाती है. उसके बाद येलो कलर फिर ऑरेंज कोड और सबसे लास्ट में रेड कलर कोड के जरिए सूचना दी जाती है.
डॉ. सती आगे कहती हैं, ‘ग्रीन कलर कोड में लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. येलो कलर से संबंधित इलाके में आपदा प्रबंधन विभाग को अलर्ट कर दिया जाता है. ऑरेंज कलर कोडिंग के जरिए लोगों को आगाह किया जाता है कि हालात किसी भी वक्त बिगड़ सकते हैं. और सबसे खतरनाक रेड कोड नोटिस का मतलब है कि जान-माल का बड़ा नुकसान होगा और लोग उस जगह को तुरंत खाली कर दें.
अभी ज्यादार इलाकों में येलो और कुछ-कुछ जगहों पर ऑरेंज कलर कोडिंग में सूचना दी गई है. मौसम विभाग का साफ कहना है कि तूफान को देखते हुए यह चेतावनी ऑरेंज जोन की है न कि रेड जोन की. इसका मतलब हुआ कि पहाड़ी एरिया में अगर बारिश और ओलावृष्टि होगी तो इसका असर दिल्ली,पंजाब और हरियाणा में साफ नजर आएगा. यह बारिश या ओलावृष्टि उतनी गंभीर नहीं होगा जितना कि अनुमान लगया जा रहा है.
थंडरस्टॉर्म एक तरह का कम्यूलसनिंबस क्लाउड है. कम्यूलसनिंबस एक लैटिन शब्द है. यह कम्यूलस (ढेर) और निंबस (बारिश) से मिलकर बना है. ये घने बादल होते हैं, जो शक्तिशाली ऊपरी वायुधाराओं के जलवाष्प से बनते हैं. क्लाउड में कई तरह के बदलाव होते हैं. आपस में जब इसके आयन टकराते हैं तो बिजली चमकती है और थंडर की आवाज होती है. इस केस में बादलों का टकराव सामान्य नहीं होता है यह काफी जबरदस्त होता है.
कम्यूलसनिंबस क्लाउड आमतौर पर छोटे कम्यूलस बादलों के साथ होते हैं. कम्यूलसनिंबस बेस कई मील तक फैल सकता है और कम या मध्यम ऊंचाई पर कब्जा कर सकता है. 200 से 4 हजार मीटर (700 से 10 हजार फीट) की ऊंचाई तक यह कवर करता है.
थंडर मुख्यतौर पर 15 मार्च से लेकर 15 जून के बीच होते हैं. बारिश का मौसम शुरू होने से पहले यह देखा जाता है. इस थंडरस्टॉर्म का मानसून से कोई संबंध नहीं होता है. थंडरस्टॉर्म कहीं भी हो सकता है.
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