महाराष्ट्र के किसान आंदोलन ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. किसानों की दुर्दशा की न जाने कितनी तस्वीरें उनके हालात बयां कर रहे थे. खेती किसानी की ऐसी ही समस्या को दिखाने के लिए पिछले दिनों आईआईटी दिल्ली के सेमिनार हॉल में अंतराल थियेटर के बैनर तले दो नाटकों का प्रदर्शित किया गया.
16 और 17 मार्च को चैनपुर की दास्तान और मौसम को न जाने क्या हो गया नाम के दो नाटक प्रदर्शित हुए. 'मौसम को ना जाने क्या हो गया' की कहानी आजम कादरी ने लिखी है जबकि प्ले को अकबर कादरी ने डायरेक्ट किया है.
नाटक में उत्तरी भारत के एक किसान प्रताप की कहानी है. प्रताप का परिवार पीढ़ियों से खेती-किसानी करता है. लेकिन बदले हालात में वो शहर जाकर मजदूरी करने को मजबूर हो जाता है. प्ले में मौसम में बदलाव की वजह से किसानों की परेशानी, किसानों को लेकर सरकार की गलत नीतियां और इसकी वजह से हुई किसानों की दुर्दशा को दिखाया गया है.
हालांकि ये प्ले 10 साल पहले लिखा गया था लेकिन ये आज के हालात में भी उतना ही प्रासंगिक है. इस नाटक की कहानी लिखने और इसे डायरेक्ट करने वाले दो भाई आजम और अकबर कादरी हैं. बुंदेलखंड के इलाके से ताल्लुक रखने वाले आजम और अकबर कादरी किसानों की समस्य़ा को अच्छे से समझते हैं.
इन दोनों भाइयों ने मिलकर 2007 में अंतराल थियेटर के जरिए ऐसे प्ले करने की शुरुआत की थी. इस थियेटर के बैनर तले अब तक 20 से ज्यादा प्ले प्रदर्शित हो चुके हैं. इनमें मौसम को ना जाने क्या हो गया के अलावा जिस लाहौर नी वेख्या वो जम्या नय, एक और द्रोणाचार्य, जात न पूछो साधो की, और एक कहानी ऐसी भी जैसी प्ले शामिल हैं.
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