सबरीमाला मंदिर में बीते 17 अक्टूबर को ही देश के अलग-अलग हिस्सों से महिलाएं दर्शन के लिए पहुंचने वाली थीं. कई महिलाएं यहां पहुंची भी, लेकिन दुर्भाग्यवश सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बावजूद प्रदर्शनकारी और हिंदू संगठनों की महिलाएं उन्हें भीतर प्रवेश करने नहीं दे रहीं.
भगवा झंडे के तले ये प्रदर्शनकारी बीते कई दिनों से मंदिर को घेरे खड़े हैं. बीते शुक्रवार को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच मंदिर में एक्टिविस्ट 'रेहाना फातिमा' और हैदराबाद की पत्रकार कविता जक्कल पूरी तैयारी के साथ मंदिर पहुंची थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों की फौज ने उन्हें मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर ही रोक दिया था.
इसके बाद इस बात पर विमर्श होने लगा कि मंदिर में प्रवेश करने की इच्छा रखने वाली औरतें श्रद्दालु नहीं, एक्टिविस्ट हैं. मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व महिलाओं को यह प्रमाण देना होगा कि वो एक्टिविस्ट नहीं हैं, तभी उन्हें अंदर जाने की अनुमति मिलेगी.
ऐसी स्थिति में केरल के एक दलित संगठन की जनरल सेक्रेटरी बतौर श्रद्दालु पहाड़ के रास्ते मंदिर में प्रवेश करने जा रही हैं. मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने वाली यह छठी महिला हैं.
महिला ने कहा है कि वह भगवान अय्यप्पा की भक्त हैं, कोई एक्टिविस्ट नहीं
हालांकि तेज बारिश के कारण उन्हें अपनी चढ़ाई को बीच में ही रोकना पड़ा. अब रविवार से पुलिस सुरक्षा के बीच वह दोबारा चढ़ाई शुरू करेंगी. इसके पूर्व उन्हें यह साबित करना होगा कि वह एक्टिविस्ट नहीं हैं. कुछ सूत्रों की माने तो महिला के खिलाफ कुछ केस दर्ज हैं.
हालांकि महिला ने कहा है कि वह भगवान अय्यप्पा की भक्त हैं, कोई एक्टिविस्ट नहीं. इधर शनिवार को ही एक 50 साल से कम उम्र की महिला के मंदिर तक पहुंचने की अफवाह फैली थी, जिसके बाद श्रद्धालुओं ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था. श्रद्धालुओं के उग्र प्रदर्शन से क्षेत्र में तनाव की स्थिति पैदा हो गई और बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा होकर मंदिर में महिला के प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे.
Kerala: Two women, who were on their way to #SabarimalaTemple, have been brought to police control room in Pamba after they were stopped by protesters from going ahead. pic.twitter.com/dor4H6QZY9— ANI (@ANI) October 21, 2018
रविवार सुबह मंदिर में प्रवेश की कोशिश कर रहीं दो महिलाओं को भी प्रदर्शनकारियों ने रोक लिया. बाद में स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए उन्हें पुलिस कंट्रोल रूम में ले जाया गया.
सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने के फैसले के बाद से सबरीमाला मंदिर में मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं के प्रवेश के विरोध में भगवान अयप्पा भक्तों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखा गया है. 17 अक्टूबर को पांच दिवसीय मासिक पूजा के लिए मंदिर खोला गया. इसके बाद से भक्तों ने मंदिर परिसरों और बेस शिविरों, निलाकल और पंबा समेत आस-पास के इलाकों में आंदोलन को तेज कर दिया था.
28 सितंबर को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीश संविधान खंडपीठ ने मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के लिए सदियों पुरानी प्रतिबंध को हटा दिया था.
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