साल 2019 के आम चुनाव में अगर नरेंद्र मोदी फिर से चुनकर नहीं आते हैं तो भारत की ग्रोथ को बड़ा धक्का लगेगा. ये शब्द दुनिया के बड़े ब्रोकरेज हाउस सीएलएसए के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट क्रिस्टोफर वुड के हैं.
उन्होंने अपने विकली नोट ग्रीड एंड फीयर में कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से पांच साल के लिए पीएम नहीं बनते हैं तो भारत की ग्रोथ स्टोरी को बड़ा झटका लगेगा. ऐसे में शेयर बाजार लुढ़क सकते हैं और रुपए में कमजोरी आने की आशंका है. ऐसे में आपको शेयर बाजार और म्युचूअल फंड्स के निवेश पर भी कम रिटर्न मिलेंगे. साथ ही, रुपए में कमजोरी से महंगाई बढ़ने की आशंका है, क्योंकि विदेशों से क्रूड खरीदना महंगा हो जाएगा, लिहाजा देश में महंगाई बढ़ जाएगी.
आगे उन्होंने अपने नोट में लिखा है कि भारत में इन्वेस्टमेंट साइकल फिर से शुरू हो रहा है. इससे बैंकिंग सिस्टम के एनपीए को सुधारने में मदद मिलेगी. हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन प्रयासों के अच्छे नतीजे कब तक सामने आएंगे और सरकार अपने स्तर पर इकोनॉमी को बेहतर बनाने से जुड़े फैसलों को कितनी ताकत और सक्रियता से लागू करती है.
अगर मोदी लंबे समय तक पीएम रहे तो शेयर बाजार से मिलेगा फायदा
क्रिस्टोफर कहते हैं कि अगर मोदी प्रधानमंत्री बने रहते हैं तो लंबी अवधि के दौरान भारत के शेयर बाजार सबसे ज्यादा मुनाफा दिलाने वाले रहेंगे. हालांकि, इस साल की पहली छमाही में बहुत अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं है. वुड का मानना है कि भारतीय बाजारों की चाल करेंसी और कच्चे तेल की कीमतों पर भी निर्भर करेगी.
अमेरिकी फर्म मॉर्गन स्टैनली ने भी हाल में अपनी रिपोर्ट में कमजोर सरकार बनने की संभावना जताई है. कंपनी की रिपोर्ट की मानें तो अगले साल कोई पार्टी अपने बूते सरकार नहीं बना पाएगी. वॉल स्ट्रीट की ब्रॉकरेज कंपनी के अनुसार, गठबंधन की कमजोर सरकार निवेशकों के लिए सबसे बड़ी चिंता है.
2019 में कमजोर सरकार बनने की संभावना
मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि बाजार का रुख आगामी आम चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की तरह आशावादी नहीं रहेगा. कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र चुनाव से महज 12 महीने दूर है. ऐसे में आने वाले कुछ महीनों में बाजार में चुनाव परिणाम को लेकर कयासबाजी शुरू होने की संभावना है. बाजार हमेशा मौजूदा से ज्यादा मजबूत सरकार की उम्मीद के साथ चुनाव में जाता है. लेकिन, वर्ष 2019 के चुनावों में यह लागू नहीं होगा, क्योंकि अगले साल वर्तमान से कमजोर सरकार बनने की संभावना है.
मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र में गठबंधन की कमजोर सरकार बनने की संभावनाओं के बीच बाजार में आशा और उम्मीद रहने की संभावना बेहद कम है. अमेरिकी फर्म ने चेतावनी दी है कि वर्ष 2019 में बाजार का माहौल साल 2014 के आम चुनावों से पहले जैसा नहीं रहेगा. मॉर्गन स्टैनली ने पिछले पांच आम चुनावों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है. कंपनी का कहना है कि 90 के दशक के मध्य से कोई भी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव में नहीं गई है.
(साभार न्यूज-18)
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