तेलंगाना और राजस्थान में वोटिंग प्रक्रिया जारी है. ऐसे में एक सवाल वोटर के मन में जरूर आता होगा. वोट देने के बाद उसकी उंगली पर जो स्याही लगाई जाती है, आखिर वो आती कहां से है?
टीओआई के मुताबिक यह स्याही पूरे देश में केवल दो कंपनियां बनाती हैं. इसे हैदराबाद के रायडू लैब्स और मैसूर के मैसूर पेंट्स एण्ड वॉर्निश लिमिटेड में बनाया जाता है. यहीं से पूरे देश में स्याही की सप्लाई की जाती है. दिलचस्प यह है कि इस स्याही को विदेशों में भी प्रयोग किया जाता है.
जिस समय इन दोनों कंपनियों में स्याही बनाई जाती है, उस दौरान स्टाफ और अधिकारियों के अलावा किसी को परिसर में जाने की इजाजत नहीं है. दोनों कंपनियों में हर दिन करीब 25 हजार से 30 हजार बोतलें बनती हैं. स्याही में सिल्वर नाइट्रेट होता है जिसकी वजह से वह ऐसा निशान छोड़ती है जो जल्दी मिटता नहीं है.
हैदराबाद में जिस स्याही का निर्माण होता है उसे अफ्रीका, मोजांबीक और जांबिया जैसे देशों में भेजा जाता है. वहीं मैसूर में जिस स्याही का निर्माण होता है उसे यूके, मलेशिया, टर्की, डेनमार्क और पाकिस्तान समेत 28 देशों में भेजा जाता है.
हालांकि नियमों के मुताबिक ये कंपनियां अपने राज्य में स्याही की सप्लाई नहीं कर सकतीं. इसलिए हैदराबाद की रायडू लैब्स तेलंगाना चुनाव में स्याही की सप्लाई नहीं कर पाएगी.
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