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आखिर सर्जिकल स्ट्राइक में सेना ने क्यों ली तेंदुए के मल और मूत्र की मदद?

दुश्मन के क्षेत्र में घुस कर कई आतंकी और उनके अड्डों को नेस्त ओ नाबूद कर देने वाले इस मिशन के बारे में कई बातें ऐसी हैं जो सार्वजनिक नहीं की गई हैं

Updated On: Sep 12, 2018 03:39 PM IST

FP Staff

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आखिर सर्जिकल स्ट्राइक में सेना ने क्यों ली तेंदुए के मल और मूत्र की मदद?

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना ने 28 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक की थी. दुश्मन के क्षेत्र में घुस कर कई आतंकी और उनके अड्डों को नेस्त ओ नाबूद कर देने वाले इस मिशन के बारे में कई बातें ऐसी हैं जो सार्वजनिक नहीं की गई हैं. लेकिन अब सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़े कुछ रोचक तथ्य सामने आए हैं.

दरअसल इस आपरेशन का नेतृत्व करने वाले पूर्व नगरोटा कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निम्भोड़कर ने कई राजों से पर्दा उठाया है. और इस मिशन से जुड़ी बातें बताई हैं. एक समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन को अंजान देते वक्त कई छोटे-छोटे पहलुओं पर बारीकी से ध्यान दिया गया था. निम्भोड़कर के मुताबिक गांव से गुजरने के दौरान कुत्तों के भौंकने और हमला करने का डर था. और इस संभावना को खत्म करने के लिए तेंदुए के मल और मूत्र का उपयोग किया गया.

तेंदुए के मल से किया रास्ता साफ

निम्भोड़कर ने कहा, 'रास्ते से गुजरते समय संभावनाएं थी कि कुत्ते हम पर भौंक सकते थे. लेकिन मुझे पता था कि वो तेंदुओं से डरते हैं. हमने तेंदुए का मूत्र अपने साथ ले लिया और गांव के बाहर फेंक दिया. इसके बाद कुत्तों की हिम्मत नहीं हुई कि वो आगे बढ़ते और हम पर हमला करते.'

कुत्तों के डर का उठाया फायदा

दरअसल निम्भोड़कर इलाके की जैव विविधता से भली भांति परिचित हैं. इसी के साथ वो जानते थे कि नौशेरा में तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमला करते हैं. तेंदुओं के हमलों से बचने के लिए कुत्ते सेक्टर में आ जाते हैं. इसी डर का फायदा निम्भोड़कर ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देते वक्त उठाया. मालूम हो कि गत 28 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तानी सेना स्तब्ध रह गई थी. भारतीय सेना ने इस दौरान उनके तीन लॉन्च पैड पर हमला कर 29 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था.

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