प्रेसिडेंट प्रणव मुखर्जी ने जीएसटी पर मुहर लगा दी है. नए इंडायरेक्ट टैक्स सिस्टम में यह एक बड़ा कदम है.
सरकार इसे अगले साल 1 अप्रैल से लागू करने वाली है.
अभी तक 17 राज्यों ने इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है. इनमें असम, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, नागालैंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, सिक्कम, मिजोरम, तेलंगाना, गोवा, उड़ीसा और राजस्थान शामिल हैं.
जीएसटी का लागू होना इंडियन इकनॉमी के लिए बड़ा गेम चेंजर है. जीएसटी के साथ पूरा देश एक मार्केट में तब्दील हो जाएगा.
जीएसटी का मसौदा जून 2016 में पेश किया गया था. इंडस्ट्री और बिजनेस से इस पर राय मंगाई गई थी. जीएसटी का कई सेक्टर्स पर गहरा असर होगा.
अलग-अलग सेक्टर पर इसका असर पेश है.
टेलीकॉम मौजूदा टैक्स व्यवस्था में टेलीकॉम सेक्टर पर 15 पर्सेंट टैक्स लगता है. जीएसटी लागू होने के बाद यह बढ़कर 18 से 20 पर्सेंट हो सकता है. लेकिन इससे क्रेडिट फ्लो लगातार बना रहेगा.
वैट, सीएसटी और गुड्स की खरीदारी पर अलग-अलग टैक्स चुकाने के बजाय सिर्फ एक जीएसटी चुकाना होगा.
नियमों को पूरा करने के मामले में टेलीकॉम कंपनियों की मुश्किल बढ़ सकती है.
जीएसटी लागू होने पर कंपनियों को अलग-अलग राज्यों से अनुमति लेनी होगी. जबकि अभी यह सेंट्रलाइज्ड है. इससे टेलीकॉम फर्मों पर बोझ बढ़ सकता है.
ई-कॉमर्स कंपनियों को मौजूदा मॉडल में बदलाव करना पड़ सकता है. मौजूदा कानून में वैट रेट आरबिट्राज है, जो जीएसटी में नहीं होगा.
फिलहाल ईकॉमर्स कंपनियों की चुनौती एक राज्य से दूसरे राज्य में सामानों को ले जाने की है. जीएसटी से यह मुश्किल खत्म हो जाएगी.
जीएसटी में पोर्टल के जरिए बेचे जाने वाले प्रॉडक्ट्स पर सोर्स पर ही टैक्स वसूला जाएगा. इससे ईकॉमर्स कंपनियों पर बोझ बढ़ेगा.
ऑटोमोबाइल
माना जा रहा है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए टैक्स रेट घटेगा. फाइनल प्रॉडक्ट्स में टैक्स मौजूदा 25 से 40 पर्सेंट से घटकर 18 पर्सेंट से 20 पर्सेंट तक हो सकता है.
ऑटो पर एक्साइज ड्यूटी, वैट, सीएसटी, एंट्री टैक्स चुकाना पड़ता है. जीएसटी लागू होने पर सिर्फ एक टैक्स ही देना होगा.
रियल एस्टेट
फिलहाल इस सेक्टर पर स्टांप ड्यूटी, वैट और सर्विस टैक्स जैसे कई इनडायरेक्ट टैक्स लगते हैं.
जीएसटी के तहत स्टांप ड्यूटी जारी रहेगी. लेकिन वैट और सर्विस टैक्स खत्म हो जाएगा.
इससे टैक्स का बोझ घटेगा. और वैट-सर्विस टैक्स की मुश्किल खत्म हो जाएगी.
बैंकिंग जीएसटी के दायरे में टैक्स रेट में इजाफा होगा. यह मौजूदा 15 पर्सेंट से बढ़कर 18 - 20 पर्सेंट हो सकता है.
इससे क्रेडिट्स और इनपुट बढ़ सकता है. नियमों को पूरा करने के मामले में सेंट्रलाइज्ड से डीसेंट्रलाइज्ड हो जाएगा.
कंज्यूमर गुड्स इस सेक्टर के लिए टैक्स रेट मौजूदा 25 से 27 पर्सेंट से घटकर 18 से 20 पर्सेंट तक हो सकता है.
टैक्स का बोझ घटने से निश्चित तौर पर इस सेक्टर के लिए फायदेमंद साबित होगा.
साथ ही सेक्टर को वेयरहाउस के कंसॉलिडेशन से आसान लॉजिस्टिक्स का भी फायदा मिलेगा.
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