श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक के बीच भारत ने पहली बार इस पर कोई टिप्पणी की है. रविवार को भारत की तरफ से बयान आया कि श्रीलंका में गहराए राजनीतिक संकट पर भारत बारीकी से निगाह बनाए हुए है. और यह आशा करता है कि देश में 'लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रिया' का सम्मान किया जाएगा.
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि भारत श्रीलंका के लोगों के विकास के लिए सहायता कर सकता है. भारत के विदेश मंत्रालय का यह बयान तब आया है जब एक नाटकीय अंदाज में शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपला सिरीसेना ने 16 नवंबर तक संसद (श्रीलंका की) को स्थगित कर दिया था.
दरअसल राष्ट्रपति सिरीसेना ने प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला दी थी. इस शपथ ग्रहण की तस्वीरें टीवी पर दिखाई गई थीं. तभी से श्रीलंका की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है.
शनिवार को जब राष्ट्रपति सिरीसेना ने संसद स्थगित करने का आदेश दिया था उसके ठीक एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री रानिल विक्रमेसिंघे ने बहुमत साबित करने के लिए आपातकालीन सत्र बुलाने की मांग की थी. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के इस कदम को 'अवैध और असंवैधानिक' बताया था.
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