भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के अध्यक्ष अरविंद जामखेडकर ने कहा है कि इतिहास को फिर से लिखे जाने को लेकर देश में चल रही बहस अनावश्यक हैं क्योंकि कुछ ‘अतिशयोक्तियों’ को समय-समय पर हटाए जाने की जरूरत है.
उनकी मानें तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाली संस्था आईसीएचआर का काम इतिहास को बताना या पाठ्यक्रम निर्धारण नहीं बल्कि इतिहास को पुन: लिखने की सुविधा देने के लिए शोध को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा, ‘‘ पुनर्लेखन इतिहास लिखने का ही हिस्सा है. ’’
उन्होंने कहा कि विभिन्न दौर में इतिहास विभाजित था और इसकी अलग अलग समय पर अलग अलग व्याख्या की गई.
जामखेडकर ने कहा कि जब औपनिवेशिक इतिहास लिखा गया, इसे अलग नजरिए से लिखे जाने की आवश्यकता थी और प्रोफेसर बी बी कौशांबी ने महसूस किया कि जब तक हम आर्थिक इतिहास का अध्ययन नहीं करें, इस तरह के इतिहास का कोई अर्थ नहीं है.
उन्होंने कहा कि बाद में इतिहासकारों का एक नया समूह आया जिसमें आर एस शर्मा, इरफान हबीब और कई अन्य शामिल थे. उन लोगों ने वास्तव में पहले लिखे गए इतिहास को फिर से लिखा. आईसीएचआर प्रमुख ने अपनी दलील के समर्थन में इस बात पर जोर देकर कहा कि पुनर्लेखन एक ‘स्वस्थ’ प्रवृत्ति है.
उन्होंने कहा, ‘कुछ समय बाद इतिहासकारों में जागरुकता आती है और उन्हें पूर्व स्कूलों ( इतिहासकारों के ) द्वारा छोड़ी गई कुछ खामियों का पता लगता है.’ उन्होंने कहा, ‘इतिहास को हमेशा फिर से लिखा गया और यह एक स्वस्थ चीज है क्योंकि इसमें अतिशयोक्ति रही है. उदाहरण के लिये यह सोचा गया कि संभवत : पूर्ववर्ती आर्थिक इतिहासकारों ने कुछ चीजों को बढ़ा - चढ़ाकर पेश किया और इतिहास को तब फिर से लिखा गया.’ 78 वर्षीय जामखेडकर ने पिछले महीने इस संस्था के प्रमुख का कार्यभार संभाला है.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.