दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से सवाल किया है कि बिंदी, सिंदूर और काजल जैसी चीजें जीएसटी के दायरे से बाहर रखी जा सकती हैं तो महिलाओं के लिए बेहद जरूरी सैनिटरी नैपकिन को जीएसटी से छूट क्यों नहीं दी जा सकती.
कार्यवाहक मुख्य जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि सैनिटरी नैपकिन एक जरूरत है.उन पर कर लगाने और अन्य वस्तुओं को जरूरी चीजों की श्रेणी में लाकर उन्हें कर के दायरे से बाहर करने का कोई स्पष्टीकरण नहीं हो सकता.
पीठ ने कहा, ‘आप बिंदी, काजल और सिंदूर को छूट देते हैं. लेकिन आप सैनिटरी नैपकिन पर कर लगा देते हैं. ये तो जरूरी चीज है. क्या इसका कोई स्पष्टीकरण है'? 31 सदस्यीय जीएसटी परिषद में एक भी महिला सदस्य के नहीं होने पर भी अदालत ने नाखुशी जाहिर की.
अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी
पीठ ने कहा, ‘ऐसा करने से पहले क्या आपने महिला और बाल विकास मंत्रालय से इस पर चर्चा की या आपने सिर्फ आयात और निर्यात शुल्क ही देखा? व्यापक चिंता को ध्यान में रखते हुए इसे करना है.’ इस मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.
अदालत जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अफ्रीकी अध्ययन की शोधार्थी जरमीना इसरार खान की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जरमीना ने सैनिटरी नैपकिनों पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने के फैसले को चुनौती दी है. याचिका में इस फैसले को गैर-कानूनी और असंवैधानिक करार दिया गया है.
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