live
S M L

हज यात्रियों की सुविधा के नाम पर लूट की तैयारी?

सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हज यात्रियों की सुविधाओं का ख्याल कैसे रखा जाए.

Updated On: May 30, 2017 02:42 PM IST

Ravishankar Singh Ravishankar Singh

0
हज यात्रियों की सुविधा के नाम पर लूट की तैयारी?

साल 2017 की हज यात्रा शुरू होने में अब तीन महीने से भी कम का वक्त बचा है. हज कमेटी ऑफ इंडिया, भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हज यात्रियों की सुविधाओं का ख्याल कैसे रखा जाए.

पिछले दो-तीन सालों से हज यात्रियों को पहले की तुलना में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. इसका कारण यह है कि सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी को अब धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है.

हज यात्रियों की जेब पर लगातार बढ़ते दबाव के कारण हज यात्रा करना अब पहले की तुलना में और महंगा हो गया है. हैरानी की बात ये है कि भारत सरकार की तीन बड़ी जिम्मेदार एजेंसियां जो हज यात्रा का पूरा देखभाल करती है, वह हज यात्रियों के बारे में न सोच कर अपना हित साधने में लगी हुई हैं.

हर बार की तरह इस बार भी पहले की तुलना में ग्रीन कैटेगरी और अजीजिया कैटेगरी के यात्रियों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है. ग्रीन कैटेगरी उसको कहते हैं जो हरम शरीफ (काबा) के बिल्कुल करीब रहते हैं. ग्रीन कैटेगरी के हज यात्रियों को मक्का में 1000 मीटर की परिधि में ठहरने की जगह दी जाती है.

अजीजिया कैटेगरी में ठहरने वाले यात्रियों को हरम शरीफ (काबा) से थोड़ी दूरी पर ठहराया जाता है. अजीजिया में ठहरने वाले हज यात्रियों को किसी वाहन से काबा तक पहुंचना पड़ता है.

इस बार हज पर जाने वाले प्रति यात्री का औसतन कुल खर्च 2 लाख 20 हजार (ग्रीन कैटेगरी) और 1 लाख 85 हजार (अजीजिया कैटेगरी) रुपए लग रहा है. भारत से हवाई जहाज के जरिए जाने वाले हज यात्रियों को ले जाने के लिए नास एयरवेज को टेंडर मिला है. नास एयरवेज सऊदी अरब की एक एयरलाइंस कंपनी है.

भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मुख्तार अब्बास नकवी के द्वारा हज यात्रा को सुविधाजनक बनाए जाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. भारत सरकार की विशेष मांग पर सऊदी अरब ने भारत के लिए हज कोटा भी बढ़ा दिया है.

MukhtarAbbasNaqvi

एक तरफ भारत से सऊदी अरब हज यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है तो दूसरी तरफ वे जरूरी इंतजाम करने से सरकार बच रही है जिससे यात्रियों को कम पैसे खर्च करने पड़ेंगे.

हज कमेटी ऑफ इंडिया की ओर से पिछले दिनों मुंबई स्थित हज हाउस में स्टेट हज कमेटियों की मीटिंग बुलाई गई थी. मीटिंग में हज कमेटी ने हवाई किराये में बढ़ोतरी के संकेत दिए. अब हज यात्रियों को हवाई किराए पर 55 से 60 हजार रुपए खर्च करने होंगे. मौजूदा समय में एक यात्री को 45 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं.

बढ़ता जा रहा है हज का खर्च

दुनिया भर के हज यात्री सऊदी अरब के दो शहरों मक्का और मदीना में तीर्थ यात्रा के दौरान जाते हैं. इस यात्रा में हज यात्रियों को मक्का में करीब 30 दिन और मदीना में हफ्ते-दस दिन गुजारने पड़ते हैं.

पिछले दो-तीन सालों में हाजियों को मक्का और मदीना में रहने के खर्चे में पहले की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

यह बढ़ोतरी सऊदी अरब सरकार की नीतियों की वजह से नहीं बल्कि भारत सरकार की हज यात्राओं को बंदोबस्त करने वाली एजेंसियों की कारस्तानी की वजह से हुई है.

इन एजेंसियों ने अच्छी सुविधा देने के नाम पर मक्का और मदीना में रहने का खर्चा 40 प्रतिशत अतिरिक्त बढ़ा तो दिया पर सुविधा के नाम पर कुछ भी खास नहीं किया.

खर्च बढ़ा, सुविधाएं नहीं

हज यात्रा पर गए हाजियों का कहना है कि हमारी सुविधाओं में पहले की तुलना में कोई अंतर नहीं आया है. अब सवाल यह है कि जब पहले की तुलना में सुविधा बेहतर नहीं की गई तो तीर्थयात्रियों के खर्च 40 प्रतिशत क्यों बढ़ा दिए गए. भारत में हज यात्रियों का ख्याल रखने वाली सरकार की विभिन्न एजेंसियां अभी तक इस मसले पर ध्यान नहीं दे रही है. सरकार की इन एजेंसियों ने अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है जिससे हज यात्रियों के बढ़ते खर्चे को अच्छा हज चार्टर लाकर कंट्रोल किया जा सके.

HajjTerminalJeddah

भारत में हज चार्टर हमेशा से ही विवादों में रहा है. भ्रष्टाचार और निष्क्रियता को लेकर हज कमेटी पर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं.

हज यात्रियों को तीर्थ यात्रा के दौरान तकरीबन 40 दिन सऊदी अरब में गुजारना पड़ता है. जिसमें करीब 30 दिन उन्हें मक्का में रहना होता है.

मक्का में रहने वाले हाजियों की हमेशा से ही शिकायत रहती है कि उनको जो सुविधाएं मुहैया कराई जाती है वह सामान्य स्तर पर मिलने वाली सुविधाओं से भी काफी कम होती हैं.

हाजियों को मक्का और मदीना में ठहराने के लिए सरकार की तरफ से या यूं कहें सरकार के द्वारा अधिकृत एजेंसियों की तरफ से एक तय रेट हैं. जो हरम शरीफ (काबा) से दूरी और स्थान के हिसाब से तय होती है.

इस साल हज यात्रियों की सुविधा और उनके ठहराव के लिए सऊदी अरब की एक बैंक ने हज कमेटी के चेयरमैन और भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय को एक प्रोपोजल दिया.

भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय और हज कमेटी के पास कुल हाजियों में से 40 हजार हाजियों के लिए मक्का में ठहरने का प्रपोजल पड़ा हुआ है. इस प्रपोजल में साफ-साफ लिखा है कि भारत सरकार की अधिकृत एजेंसियों के द्वारा तय किए गए पैरामीटर्स को मानते हुए 10 प्रतिशत का डिस्काउंट भी सरकार तय रेट से कम में देगी. साथ ही हाजियों के ठहरने और खाने की व्यवस्था भी पहले की तुलना में बेहतर मिलेगी.

बैंक के मुताबिक 40 हजार हाजियों को 10 प्रतिशत रियायत मिलने पर लगभग 14 करोड़ की बचत होगी. भारत से इस साल लगभग एक लाख 32 हजार हाजियों के मक्का और मदीना जाने का अनुमान है. ऐसे में अगर इसी रेट पर भारत के सभी हाजियों को मक्का में ठहरने का बंदोबस्त हो जाए तो तकरीबन 45-50 करोड़ रुपए की बचत का अनुमान है.

इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (आईडीबी) की एक बैंच इस्लामिक कॉरपोरेशन फॉर द डेवलपमेंट ऑफ द प्राइवेट सेक्टर (आईसीडी) के अधिकारियों ने भारतीय हज मिशन से जुड़े लोगों से मक्का में मुलाकात कर यह ऑफर दिया.

आईसीडी बैंक ने मंत्रालय और हज कमेटी को लिखित प्रपोजल दिया है कि हम आपके पैरामीटर्स को पूरा करते हए फिक्स रेट से 10 प्रतिशत की रियायत भी देंगे. लेकिन, भारतीय हज मिशन से जुड़ी संस्थाओं ने बैंक के इस प्रोपोजल पर अभी तक कोई रुचि नहीं दिखाई है. सरकार के पास बैंक का प्रोपोजल पिछले छह महीने से भी अधिक समय से पड़ा हुआ है.

हज यात्रियों के लिए काम करने वाली इन भारतीय एजेंसियों के ढुलमुल रवैये से सवाल खड़े हो गए हैं. सरकार की इन एजेंसियों की वजह से लाखों हज यात्रियों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ने के अनुमान हैं. ऐसे रवैये से भारतीय हज मिशन पर काम करने वाली संस्थाओं और मंत्रालयों पर भी सवाल उठना तो लाजिमी है.

हम आपको बता दें कि हज मिशन के अंतर्गत सऊदी अरबिया में भारतीय राजदूत, सऊदी में भारत के काउंसलेट जनरल, चेयरमैन हज कमेटी, सीईओ हज कमिटी, भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय, ज्वाइंट सेक्रेटरी हज और मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स आते हैं.

फर्स्टपोस्ट हिंदी ने हाजियों के ठहरने के इंतजाम से संबंधित कुछ सवाल सऊदी अरब में भारतीय राजदूत, सऊदी में भारत के काउंसलेट जनरल, हज कमेटी ऑफ इंडिया, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से जाननी चाही.

आखिर इन फैसलों के लिए जिम्मेदार कौन है?

v k singh

फर्स्टपोस्ट हिंदी को भारतीय राजदूत, काउंसलेट जनरल (जेद्दा), हज कमेटी के सीईओ और विदेश मंत्रालय का जवाब मिला. हज मिशन के अंतर्गत आने वाली सभी एजेंसियों का जवाब टालमटोल और ढुलमुल रवैये वाला मिला. तकरीबन सभी एजेंसियों ने अल्पसंख्यक मंत्रालय और हज कमेटी के चेयरमैन पर ही फैसले लेने का ठीकरा फोड़ा.

भारत के विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, इस तरह के सारे मामले अल्पसंख्यक मंत्रालय, सेंट्रल हज कमेटी और काउंसलेट जनरल के लेवल पर लिया जाता है. सहमति बनने के बाद काउंसलेट जनरल ही इस फैसले को लागू करते हैं.

फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए जनरल सिंह ने माना कि बैंक द्वारा दिया गया प्रपोजल अगर सारे पैरामीटर्स पर खड़ा उतरता है तो हाजियों के लिए यह एक अच्छा कदम साबित हो सकता है. प्रपोजल को स्वीकार करने में किसी तरह की आपत्ति नहीं होनी चाहिए. इस प्रपोजल को स्वीकार करने के बाद हाजियों पर से खर्चे का बोझ कम होगा.

सऊदी अरब में भारत के राजदूत और सीजी (काउंसलेट जनरल) ने भी फर्स्टपोस्ट हिंदी को भेजे जवाब में कहा कि हाजियों के ठहरने के इंतजामात को लेकर हज कमेटी ऑफ इंडिया और भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ही सारे फैसले लेता है. राजदूत और सीजी का रोल फैसलों को लागू करने में होता है.

वहीं, हज कमेटी ऑफ इंडिया के सीईओ ने फर्स्टपोस्ट हिंदी को भेजे जवाब में कहा है कि हाजियों की यात्रा में जो खर्चे बढ़े हैं वह किसी हद तक सब्सिडी में कमी आने के कारण हुआ है.

सीईओ के मुताबिक खर्च बढ़ने का दूसरा कारण सभी हाजियों को मरकजी एरिया ( मस्जीदे नवी, जो मदीना में है) के 325 मीटर के अंदर ठहराने का लिया गया फैसला है. उनका कहना है कि इससे हाजियों को अब परेशानी नहीं होगी. मक्का में यात्रियों के ठहराव को जो फैसला है वह काउंसलेट जनरल (जेद्दा), हज कमेटी ऑफ इंडिया और भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय का ही फैसला है.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi