शुक्रवार के दिन डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के मामले में सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया. इसे भारत में वैज्ञानिक और विवेक-बुद्धि की बुनियाद पर बनी समाज-व्यवस्था के विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए.
जिन लोगों ने उसे करीब से नहीं देखा वे सोच सकते हैं कि गुरमीत राम रहीम तो साधु के वेश में एक छलिया हैं जो लोगों के भोलेपन का लाभ उठाकर उन्हें छलता है. लेकिन ऐसा सोचना निश्चित ही गलत है.
वो निश्चित ही एक असाधारण आदमी है जिसने लोगों की अज्ञात के प्रति भय-भावना के कंधे पर चढ़कर अपना दबदबा कायम किया है. इस प्रक्रिया में उसने अपने आश्रम तथा गतिविधियों के इर्द-गिर्द एक विशाल अर्थव्यवस्था खड़ी की है जिसमें उसके प्रति पूरे दिल से समर्पित लाखों भक्त लगे हुए हैं. दरअसल राज्यसत्ता ने जहां अपनी जिम्मेदारियों से पीठ फेर ली है गुरमीत राम रहीम ने वहीं अपना पसारा फैलाया है.
राम रहीम ने बड़ी मुश्किल से अपनी छवि गरीबों के रखवाले की बनाई
दो साल पहले जाड़े की एक सांझ मैं सिरसा स्थित राम रहीम के भव्य आश्रम में पहुंचा था, वहां पहुंचकर उससे मुलाकात हुई तो लगा कि इतने दिलचस्प आदमी से तो मेरी भेंट अभी तक हुई ही नहीं थी. अपनी बातचीत में वह बड़ा बेलाग था, उसने बताया कि कैसे अपनी फिल्म के लिए स्टंट वाले सीन उसने खुद किए, रैप सॉन्ग रचने और गाने को लेकर अपनी गहरी चाहत के बारे में भी उसने बताया. 'जब कोई और एक्टर ऐसा कर सकता है तो फिर मैं क्यों नहीं कर सकता?,'
जब मैंने उसपर लगे बलात्कार सहित अन्य अपराधों के बारे में पूछा तो वो चुप रहा. लेकिन आश्रम में रहने वाले उसके समर्थक ऐसे सवालों पर नाराज होते हैं. माना जाता है कि ऐसे सवाल ना पूछना ही बेहतर है क्योंकि गुरमीत राम रहीम ने बड़े जतन से अपनी छवि हरियाणा और पंजाब में रहने वाले हजारो-लाखों शोषित और गरीब जनता के रखवाले की बनाई है.
लेकिन यह कहानी का सिर्फ एक पहलू भर है. कम ही लोग जानते हैं कि गुरमीत राम रहीम डॉक्टरों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है. देश के शीर्ष के कई नेत्र-रोग विशेषज्ञ जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) के नामी आरपी सेंटर के डॉक्टर भी शामिल हैं, गुरमीत राम रहीम के शिष्य हैं. भक्तों के बीच ‘पिताजी’ के नाम से मशहूर गुरमीत राम रहीम के सामने उन्हें ‘दिव्य आनंद की अनुभूति’ होती है.
मिसाल के लिए डॉक्टर आदित्य को ही लीजिए जो बाबा के लिए बतौर संपर्क-अधिकारी काम किया करते थे. डॉ. आदित्य बड़े अच्छे नेत्र-रोग विशेषज्ञ हैं. उन्होंने एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) से मेडिकल की पढ़ाई की है. आदित्य बाबा की प्रशंसा में घंटों बोल सकते हैं और आपको बेहिचक वे यह भी बताएंगे कि उनका अतीत नैतिक दृष्टि से अच्छा नहीं रहा लेकिन 'पिताजी' से भेंट होने के बाद उन्होंने खुद को सुधार लिया. डॉ. आदित्य की तरह कई और डॉक्टर हैं जो बताते हैं कि बाबा गुरमीत राम रहीम ने उनकी जिंदगी को बेहतरी के लिए बदला.
डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है
बाबा की बढ़ती शिष्य-संख्या के कारणों का पता करना मुश्किल नहीं. सिरसा तथा हरियाणा और पंजाब के कई इलाकों में उनका एक तरह से साम्राज्य कायम है जहां उनके चैरिटेबल(दातव्य) अस्पताल चलते हैं. चिकित्सा-व्यवस्था पूरे देश में खस्ताहाली की शिकार है.
ऐसे में बाबा के हजारों भक्तों को यह बात बड़े भरोसे की लगती है कि जरूरत के वक्त बाबा राम रहीम के आश्रम में चलने वाले अस्पताल से उन्हें अच्छी से अच्छी चिकित्सा-सेवा हासिल हो जाएगी. दुखियारों की रक्षा करने वाले बनने की बाबा राम रहीम की कहानी इस कारण ना सिर्फ लोगों के बीच लगातार कायम रहती है बल्कि उसका आगे कई गुणा विस्तार भी होता है.
राजनीति ने हरी झंडी दिखा रखी है सो बाबा के तौर-तरीकों को एक तरह से वैधता हासिल है. डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है और ये भक्त अपने बाबा के हर हुक्म को मानने को तैयार रहते हैं. इस कारण राजनेता चुनाव से पहले बाबा के डेरे का चक्कर लगाते हैं.
हरियाणा विधान-सभा चुनावों से पहले इस तरह की खबरें आई थीं कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पार्टी के लिए समर्थन जुटाने के ख्याल से बाबा राम रहीम से मिलने वाले हैं. और, बाबा ने अमित शाह को निराश नहीं किया, बीजेपी को खुलकर समर्थन दिया.
कोर्ट के फैसले से समाज में प्रगतिशील सोच को बढ़ावा मिलेगा
हरियाणा में वंचित तबके के एक बड़े हिस्से के वोट बीजेपी को मिले और माना गया कि इसकी बड़ी वजह डेरा सच्चा सौदा है जो बीजेपी का खुला समर्थन कर रहा था. इसमें कोई शक नहीं कि हर चुनाव से पहले राजनेताओं की नजरें बाबा राम रहीम की ओर लगी होती हैं. वोट हासिल करने के लिए राजनेता ढंके-छुपे या फिर खुलेआम उनके साथ सौदेबाजी करते हैं.
जहां तक धर्म की दुनिया का मामला है, इसमें कोई शक नहीं कि बाबा राम रहीम भारतीय अध्यात्म के सबसे घटिया संस्करण हैं. वे अजब-गजब तरीके के कपड़े पहनते हैं और उनका किरदार शहरी लोगों की आंखों को सुहावना नहीं लगता. हां, प्रवचन और रैप सॉन्ग की उनकी कच्ची-पक्की अदायगी भक्तों को उनकी तरफ खींच लाती है.
इसकी एक जाहिर वजह यह है कि बाबा राम रहीम सामाजिक रूप से वंचित उन तबकों के आकर्षक का केंद्र है जिन्हें ऊंची जातियों के दबदबे वाले हिंदू-धर्म और जाटों के दबदबे वाले सिख धर्म में खास प्रतिष्ठा का स्थान नहीं मिला. यही वजह है जो बाबा गुरमीत राम रहीम का अध्यात्म शहरी कुलीन वर्ग को खटकता है लेकिन हरियाणा और पंजाब के गांवों में रहने वाले गरीब और मिजाज के रूखे लोगों को उनके अजब-गजब तौर-तरीके आकर्षित करते हैं.
बाबा गुरमीत राम रहीम को सफेद-स्याह के खाने में बांटकर देखना अपने आप में अधपका ही नहीं बल्कि गलत आंकलन है. बाबा का आकर्षण, उभार और फिर अदालत में दोषसिद्धि- यह सारा कुछ स्फेद-स्याह के अधबीच का मामला है और इसकी खूब गहराई से परीक्षा की जानी चाहिए.
खैर, शुक्रवार के दिन आए कोर्ट के फैसले की सबसे अच्छी बात यह है कि इससे समाज में प्रगतिशील सोच को बढ़ावा मिलेगा और समाज की वैज्ञानिक-भावना के विकास में सहायक होगा. लोगों का इस कहावत में विश्वास बढ़ेगा कि कमजोरियां देवताओं में भी होती हैं और गुरु राम रहीम इसके अपवाद नहीं हैं.
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