ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में मंगलवार रात दिल दहला देने वाली घटना घटी. एक निर्माणाधीन इमारत पर एक छह मंजिला इमारत गिर गई. दोनों इमारतों के ढहने से अब तक 7 लोगों की मौत हो गई. मलबे में अब भी कई लोगों के दबे होने की आशंका है. राहत और बचाव के लिए NDRF और ITBP की कई टीमें घटनास्थल पर मौजूद हैं. इस घटना के बाद जिले के प्रशासनिक महकमे में खलबली मच गई है.
हालात की गंभीरता को देखते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ खुद इस घटना पर नजर बनाए हुए हैं. योगी आदित्यनाथ ने मेरठ आयुक्त को मामले की जांच सौंपी है. सीएम ने आरोपी अफसरों पर एफआईआर के निर्देश दिए है. ग्रेटर नोएडा की ओएसडी विभा चहल का ट्रांसफर कर दिया गया. वहीं बीपी सिंह और अब्बास जैदी को निलंबित कर दिया गया. सीएम योगी ने मारे गए लोगों को 2-2 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया है.
सीएम ने 15 दिनों के भीतर इमारत के जमींदोज होने की रिपोर्ट जिला प्रशासन से मांगी है. गौतमबुद्ध नगर के डीएम बीएन सिंह और एसएसपी अमितपाल शर्मा के साथ-साथ मेरठ रेंज के आईजी प्रशांत कुमार खुद स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
पुलिस की धरपकड़ जारी
इस हादसे को लेकर नोएडा पुलिस ने अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही 18 लोगों पर गैरइरादतन हत्या सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया है. घटना के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी NDRF और ITBP के जवानों के साथ-साथ यूपी पुलिस की डॉग स्क्वायड, फायर सर्विस की टीम राहत और बचाव कार्य में लगी हुई है.
यह घटना मंगलवार 9-10 बजे रात की है. मंगलवार रात से ही मलबा हटाने का काम शुरू हो गया था. मलबे से अब तक 7 शव निकाले जा चुके हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक मलबे में कम से कम 25 से 30 लोगों के दबे होने की आशंका है. पुलिस प्रशासन और स्थानीय लोगों को यह अंदाजा नहीं लग पा रहा है कि मलबे में कितने लोग दबे हुए हैं. इमारत में जो लोग रह रहे थे उनके रिश्तेदार भी पहुंचने लगे हैं.
कौन है इसके लिए जिम्मेदार?
स्थानीय लोग इमारत धाराशायी होने के लिए नोएडा प्राधिकरण और पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार मान रहे हैं. लोगों का कहना है कि नोएडा आथॉरिटी और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत के बिना इस लेवल पर अवैध निर्माण नहीं हो सकता था. उनकी शिकायत है कि बिना रजिस्ट्री विभाग से मिलीभगत के इतनी बड़ी धांधली नहीं हो सकती थी.
स्थानीय लोगों का साफ कहना है कि अथॉरिटी को बिल्डर के करतूतों की पूरी जानकारी थी. बिल्डर को लोन देने वाला बैंक, नोएडा पुलिस और यूपी पावर कॉरपोरेशन अब सवालों के घेरे में हैं. बिल्डर के अवैध निर्माण की जानकारी बार-बार देने के बाद भी अथॉरिटी और नोएडा पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है. इस हादसे के लिए भवन निर्माण विभाग की नीति को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. भवन निर्माण विभाग बिना नक्शा पास कराए अवैध निर्माण की धड़ल्ले से रजिस्ट्री कैसे करा रहा है?
नोएडा विकास प्राधिकरण पर सवाल
इस घटना के सामने आने के बाद एक बार फिर से नोएडा विकास प्राधिकरण पर सवाल उठने लगे हैं. एक तरफ जहां प्रदेश के सीएम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की बात करते हैं. दूसरी तरफ ऐसी घटनाओं के सामने आने के बाद सरकार की दावों की पोल खुद-ब-खुद खुल रही है.
पिछले कुछ सालों से नोएडा प्राधिकरण पर भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं. हाल के दिनों में नोएडा विकास प्राधिकरण के कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक भ्रष्टाचार के मामले में नपे हैं. नोएडा विकास प्राधिकरण के क्लर्क से लेकर इंजीनियर तक भारतीय जांच एजेंसियां सीबीआई और ईडी के रडार पर हैं. शासन-प्रशासन की मिलीभगत से भू-माफिया और बिल्डर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपना राज चला रहे हैं.
नोएडा विकास प्राधिकरण में बैठे भ्रष्ट अधिकारी इन भू-माफियाओं और बिल्डरों से लाखों रुपए हर महीने कमाते हैं. बदले में ये अधिकारी बिना परमिशन और बिना एनओसी के ही बिल्डिंग बनाने की इजाजत दे देते हैं, जिससे इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं.
क्या है वजह?
शाहबेरी में जो इमारत धराशायी हुई है उसमें खराब मटीरियल का इस्तेमाल किया गया है. इस इमारत में पिछले महीने ही 28 लोगों को पजेशन दिया गया था. इस घटना के लिए जिम्मेदार जमीन मालिक गंगा शरण द्विवेदी के साथ तीन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. कुछ और अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस लगातार दबिश दे रही है.
इस घटना के बाद फ़र्स्टपोस्ट हिंदी ने कुछ चश्मदीदों से बात की. शाहबेरी इलाके में ही समोसा बेचने वाले अखिलेश ने बताया, 'मेरे सामने ही मंगलवार सुबह 11 बजे एक परिवार ने उस बिल्डिंग में शिफ्ट किया था. परिवार में पति-पत्नी के अलावा दो बच्चे थे. हम लोग रात को भी पहुंचे लेकिन कुछ नहीं कर सकते थे.' अखिलेश के मुताबिक, घर में शिफ्ट होने के बाद से वह परिवार बाहर नहीं आया था.
धड़ल्ले से हो रहा है अवैध इमारतों का निर्माण
पिछले कुछ सालों से शाहबेरी, खेड़ा और बिसरख जैसे इलाकों में अवैध इमारतों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. इन इलाकों में कई छोटे-छोटे प्रोपर्टी डीलर्स बिल्डर्स बन गए. इन लोगों ने नोएडा अथॉरिटी के भ्रष्ट अधिकारियों से मिलीभगत करके नक्शा पास कराने से लेकर आर्किटेक्ट की सलाह नजरअंदाज करते हुए कुकुरमुत्तों की तरह मकान बनाने लगे. इन बिल्डरों ने इमारतों में भूकंपरोधी और प्राकृतिक आपदा से बचने की जरूरत को भी नजरअंदाज कर दिया है.
अब जब यह घटना हो चुकी है तो सवाल यह उठता है कि बिना इजाजत के सरेआम चार मंजिला और छह मंजिला इमारत कैसे बन रहे हैं? प्रशासन खुद को इसके लिए जिम्मेदार नहीं मानता. इस घटना के 24 घंटे से भी ज्यादा का वक्त निकल गया है लेकिन बचाव कार्य अभी पूरा नहीं हो पाया है. अब देखना है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने का दावा करने वाले योगी दोषियों को कितनी जल्दी सजा दिलवा पाते हैं.
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