निचली अदालतों की 5400 खाली सीटों को भरने के लिए केंद्र सरकार देश भर में एक परीक्षा का आयोजन कराने का विचार कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के साथ मिलकर कानून मंत्रालय 6000 सीटों के लिए ये परीक्षा कराने की तैयारी कर रहा है. इस परीक्षा को कराने के लिए यूपीएससी या फिर कोई और केंद्रीय एजेंसी को भी शामिल किया जा सकता है.
जिला जज और अधिनस्थ जजों के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में अलग अलग परीक्षा कराई जाएगी. सीबीएसई द्वारा एनईईटी की परीक्षा के तर्ज पर परीक्षा को कराने की तैयारी है जिसमें एक राज्य के स्थानीय भाषा को भी प्रमुखता दी जाएगी. इसके लिए ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट भी उपलब्ध कराई जाएगी.
रंजन गोगोई हैं तैयार:
निचली अदालतों में अभी 2.78 करोड़ लंबित हैं. नए सीजेआई रंजन गोगोई ने आते ही निचली अदालतों में रिक्त स्थानों को भरने की इच्छा जताई थी. वर्तमान में जिला और अधीनस्थ अदालतों में जजों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार और संबंधित हाई कोर्ट को ही है. जिससे अनियमतताएं हुईं और लोअर कोर्ट में भारी तादाद में रिक्तियां रह गईं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पिछले साल अप्रैल में कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से एक केंद्रीय व्यवस्था बनाने की गुहार लगाई थी. कोर्ट केंद्र के प्रस्ताव को रिट याचिका में बदल दिया और 9 मई 2017 को सभी राज्यों और हाई कोर्ट को इस पर अपनी राय और जवाब देने का आदेश दिया. हालांकि अभी भी कई हाईकोर्ट इसके समर्थन में नहीं हैं. लेकिन सीजेआई इसके पक्ष में हैं. सारी नियुक्तियां संबंधित राज्य सरकारों द्वारा ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट के आधार पर होगी. और हाई कोर्ट का इसपर पूरा प्रशासनिक कंट्रोल होगा.
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