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संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.
सरकार 500 करोड़ रुपए के कोष से बाजार गारंटी योजना शुरू करने का विचार कर रही है. इसके तहत फसल का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे जाने पर राज्य खरीदारी करेंगे. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
प्रस्तावित योजना से खरीद व्यवस्था मजबूत होगी और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसान खराब मार्केटिंग व्यवस्था से प्रभावित नहीं हों. सूत्रों ने कहा कि इस बारे में कृषि मंत्रालय राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार विमर्श कर इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में लगा है.
प्रस्ताव के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के निर्णय समेत बाजार गारंटी योजना (एमएएस) के वास्तविक क्रियान्वयन का जिम्मा राज्यों के पास होगा. उन्होंने कहा कि जैसा कि केंद्र सरकार ने अधिसूचित किया है, राज्य एमएसपी पर फसलों की खरीद (गेहूं और धान को छोड़कर) करेंगे.
राज्यों तथा खरीद एजेंसियों के वित्तीय संसाधन की सीमा को देखते हुए सरकार ब्याज मुक्त कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने को लेकर शुरू में 500 करोड़ रुपए का कोष गठित करने की योजना बना रही है.
पूरी प्रक्रिया में राज्यों के नुकसान होने पर भरपाई करेगी केंद्र सरकार
इसके तहत यह निर्णय राज्यों को करना है कि उन्हें कब खरीद करनी है और कब बाजार में प्रवेश करना है. साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की अपनी एजेंसियों या पैनल में शामिल या अधिकृत निजी एजेंसियों या केंद्रीय खरीद एजेंसियों के जरिए खरीद शुरू करनी है.
राज्यों के पास खरीदे गए जिंसों के उपयुक्त तरीके से निपटान की जिम्मेदारी होगी. इस पूरी प्रक्रिया में अगर राज्यों को नुकसान होता है तो उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी. यह भरपाई एमएसपी के अधिकतम 40 प्रतिशत मूल्य तक होगी.
वर्तमान में चावल और गेहूं की खरी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियां करती हैं. जब दूसरी फसल उपज का दाम एमएसपी से नीचे जाता है तो सरकार मूल्य समर्थन योजना को लागू करती है.
इसके तहत राज्यों को धन आवंटित किया जाता है. सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण कोष भी शुरू किया है जिसके तहत दलहन का बफर स्टॉक तैयार किया जाता है.