गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल काॅलेज में ऑक्सीजन की कमी से तड़प-तड़पकर 33 बच्चों की मौत के बाद इंसेफेलाइटिस वार्ड के मुखिया डॉक्टर कफ़ील खान चंद मिनटों में मरीजों के लिए मसीहा बन गए थे. लेकिन जांच के बाद डॉ. कफील को योगी सरकार ने सस्पेंड कर हीरो से जीरो बना दिया. वहीं घटना के बाद से डॉ. कफ़ील भूमिगत हो गए हैं.
लेकिन न्यूज18 हिंदी की रिपोर्ट में पता चला है कि आखिर कहां हैं डॉक्टर कफ़ील, जिनपर लगा है मासूम बच्चों की मौत का कलंक. 10 अगस्त के बाद से डॉ. कफ़ील का मोबाइल फोन स्विच ऑफ हो गया था. अब उनके विदेश भागने की अफवाह गोरखपुर शहर में जोरों पर है. लेकिन न्यूज18 हिंदी से खास बातचीत में डॉ. कफ़ील ने इस अफवाह को सिरे से खारिज कर दिया.
'मां को लेने लखनऊ आया हूं'
डॉक्टर कफ़ील के लापता होने के मामले में जब न्यूज18 हिंदी ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि मेरी मां हज करने मक्का गई थी. उन्हीं को लेने लखनऊ आया हूं. वहीं पहले हमसे बातचीत में हिचकते हुए अपना लोकेशन पीजीआई इलाके में बताया.
डॉ. कफ़ील ने बताया कि मुझे बेबुनियाद तौर पर इस घटना में बलि का बकरा बनाया गया है. मेरा कोई कसूर नहीं है. घटना की जांच चल रही है. 20 अगस्त को जांच कमेटी के आगे मेरा बयान दर्ज होनेवाला है. इससे पहले मै मीडिया को कोई बयान नहीं दे सकता. मैं 19 अगस्त को गोरखपुर पहुंच जाऊंगा और 20 अगस्त को डिपार्टमेंट ज्वाइन करूंगा. ये बोलकर डॉ. कफील ने हमारा फोन काट दिया.
पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर और इंसेफेलाइटिस वार्ड के चीफ रहे डॉ. कफील खान के चलने वाले नहर रोड के रुस्तमपुर ढाला के प्राइवेट क्लीनिक पर ताला लटका हुआ है. क्लीनिक पर सिर्फ दो स्टाफ ही मौजूद हैं.
डॉ. कफील के प्राइवेट क्लीनिक की फोटो जब हमने उनसे डाॅक्टर कफील के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं मालूम कि साहब कहां हैं. शकील और आदिल दोनों डॉ. कफील के भाई हैं, लेकिन इनको भी नहीं मालूम कि उनका भाई कहां है?
क्या था मामला
दरअसल गुरुवार रात करीब दो बजे उन्हें अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की सूचना मिली. सूचना मिलते ही डॉ. कफ़ील समझ गए कि स्थिति भयावह होने वाली है. आनन-फानन में वह अपने मित्र डॉक्टर के पास पहुंचे और ऑक्सीजन के तीन सिलेंडर अपनी गाड़ी में लेकर शुक्रवार रात तीन बजे सीधे बीआरडी अस्पताल पहुंचे. तीन सिलेंडरों से बालरोग विभाग में करीब 15 मिनट ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सकी.
रात भर किसी तरह से काम चल पाया, लेकिन सुबह सात बजे ऑक्सीजन खत्म होते ही एक बार फिर स्थिति गंभीर हो गई. डॉक्टर ने शहर के गैस सप्लायर से फोन पर बात की. बड़े अधिकारियों को भी फोन लगाया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया.
दोस्तों से ली थी मदद
डॉ. कफील एक बार फिर अपने डॉक्टर मित्रों के पास मदद के लिए पहुंचे और करीब एक दर्जन ऑक्सीजन सिलेंडर का जुगाड़ किया. इस बीच उन्होंने शहर के करीब 6 ऑक्सीजन सप्लायर को फोन लगाया. सभी ने कैशपेमेंट की बात कही. इसके बाद कफ़ील अहमद ने बिना देरी किए अपने कर्मचारी को खुद का एटीएम दिया और पैसे निकालकर ऑक्सीजन सिलेंडर लाने को कहा.
इस बीच डॉक्टर ने एम्बु पंप से बच्चों को बचाने की कोशिश भी की. डॉ. कफ़ील के इस प्रयास की सोशल मीडिया पर खूब प्रशंसा हुई थी.
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