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आर्थिक असमानता को आर्थिक पॉलिसी से दूर की जानी चाहिए ना की रिजर्वेशन से: अमर्त्य सेन

आर्थिक असमानता झेल रहे सामान्य वर्ग के लोगों के लिए अच्छी आर्थिक नीतियां बननी चाहिए

Updated On: Jan 17, 2019 09:09 PM IST

FP Staff

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आर्थिक असमानता को आर्थिक पॉलिसी से दूर की जानी चाहिए ना की रिजर्वेशन से: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को प्रस्तावित 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान का विरोध किया है. सेन ने अपनी राय रखते हुए कहा कि आर्थिक असमानता को आर्थिक पॉलिसी से दूर की जानी चाहिए ना की रिजर्वेशन से.

न्यूज 18 को दिए अपने एक इंटरव्यू में सेन ने कहा, यह निश्चित रूप से डूबी हुई सोच है क्योंकि जाति व्यवस्था का एक लंबा इतिहास रहा है. आरक्षण लाने का कारण यह कभी नही था कि कुछ लोग वंचित हैं तो उन्हें आरक्षण दे दिया जाए. इसका कारण यह था कि इसके पीछे एक लंबा इतिहास रहा है. भले ही इससे इनकी कुछ समस्याओं को दूर कर दिया जाए, लेकिन जो चीजें अछूत और निम्न जाति के लोग सहते हैं, वो दूर नहीं की जा सकती.

आरक्षण जाति के आधार पर ही मिलनी चाहिए, गरीबी के आधार पर नहीं

आरक्षण कोटा कभी भी अच्छी इकोनॉमिक पॉलिसी की जगह नहीं ले सकती. अच्छी इकोनॉमिक पॉलिसी जिससे गरीब लोगों को रोजगार, अच्छी शिक्षा और हेल्थकेयर मिल सके. सामाजिक असमानता झेल रहे अछूत,अनुसूचित जनजाति के लोगों की तुलना आर्थिक असमानता झेल रहे लोगों से नहीं की जा सकती. ऐसे में आर्थिक असमानता झेल रहे सामान्य वर्ग के लोगों के लिए अच्छी आर्थिक नीतियां बननी चाहिए. अगर यह होता है तो ये सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद होगा.

सेन ने आगे कहा, आरक्षण जाति के आधार पर ही मिलनी चाहिए. गरीबी के आधार पर नहीं. यह कहीं से भी सही नहीं है कि गरीब लोग जो ब्राह्मण या बनिया हों, उन्हें आर्थिक समानता देने के लिए आरक्षण दिया जाए.

हाल ही में पार्लियामेंट ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी कोटा बिल को मंजूरी दी है. इसके साथ ही अब सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सामान्य वर्ग के परिवार जिनकी आमदनी 8 लाख रुपए सालाना से कम है वो 10 फीसदी आरक्षण हासिल कर सकेंगे. आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण दिए जाने वाले बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगते ही अब ये बिल कानून बन गया है.

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