कन्नड़ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने परशुराम वाघमारे को गिरफ्तार किया है. इस हफ्ते के शुरुआती दिनों में एसआईटी ने आरोपी वाघमारे को उत्तर कर्नाटक के विजयपुरा जिले से गिरफ्तार किया. एसआईटी का दावा है कि पूछताछ में वाघमारे ने लंकेश की हत्या की बात कबूल ली है. उसने जांच टीम को बताया है कि हत्या से पहले यह पता नहींं था कि वह किसे मार रहा है.
घटना 5 सितंबर 2017 की है जब बेंगलुरु के पॉश इलाके आरआर नगर में लंकेश को उनके घर के बाहर हत्या कर दी गई. हमले में उनपर 4 गोलियां दागी गई थीं जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई.
एसआईटी के सूत्रों ने शुक्रवार को टाइम्स ऑफ इंडिया को वाघमारे की कबूल की गईं कुछ बातें बताई. पूछताछ के दौरान वाघमारे ने कहा, मई 2017 में मुझे कहा गया कि अपने धर्म की रक्षा के लिए हमें किसी को मारना है. मैं इसके लिए राजी हो गया. तबतक मुझे यह पता नहीं था कि किसे मारना है. अब लगता है कि मुझे किसी महिला को नहीं मारना चाहिए था.
वाघमारे ने बताया है कि उसे 3 सितंबर को बेंगलुरु लाया गया. उसने बेलगावी में एअरगन चलाने की ट्रेनिंग ली थी. वाघमारे ने कहा, सबसे पहले मुझे एक घर में ले जाया गया. कुछ देर बाद एक बाइक सवार आया और मुझे वह घर दिखाने ले गया जहां मुझे किसी को मारना था. अगले दिन बाइक सवार मुझे बेंगलुरु के किसी और घर में ले गया. एक दूसरा शख्स मुझे बाइक से आरआर नगर के एक मकान में छोड़ गया. मुझे गौरी लंकेश को आज-आज में मारने की बात कही गई लेकिन लंकेश उस दिन घर से नहीं निकलीं.
वाघमारे ने बताया, 5 सितंबर को शाम 4 मुझे मुझे बंदूक दी गई. शाम को ऑफिस से लौटते वक्त लंकेश कार का दरवाजा खोलकर ज्योंहि बाहर निकलीं, मैंने उनपर चार गोलियां दाग दीं. मैं और बाइक सवार अपने रूम पर लौटे और उसी रात शहर छोड़कर निकल गए.
दूसरी ओर, द हिंदू ने वाघमारे को श्री राम सेने संगठन का कार्यकर्ता बताया है. अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लंकेश हत्याकांड को लगभग सुलझ जाने के करीब बताया है. अखबार ने वाघमारे के बारे में लिखा, वाघमारे श्री राम सेने का कार्यकर्ता है जो कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा पर के नगर सिंडगी जिला विजयपुरा का रहने वाला है. हत्यारों में वाघमारे की पहचान हूई थी. इस घटना के चश्मदीद गवाह ने हत्या में शामिल वाघमारे के अलावा एक और आरोपी की पहचान की थी जब वे बिना चेहरा ढके लंकेश के घर के सामने खड़े थे.
कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने गौरी लंकेश हत्याकांड के बारे में कहा, जांच चल रही है इसलिए इस बारे में कुछ नहीं कह सकता. मेरी राय से जांच में कुछ दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए. जांच पूरी होने के बाद आरोप-पत्र दायर होगा और आगे कानून अपना काम करेगा.
I do not want to reveal anything as investigation is going on, any statements of mine shouldn't affect investigation. Once probe is complete charge-sheet will be drawn-up & further process of law will take place: G.Parameshwara, #Karnataka Home Minister on #GauriLankesh case pic.twitter.com/NkW4zQauXR
— ANI (@ANI) June 16, 2018
एक ही हथियार से पंसारे, लंकेश की हत्या
परशुराम वाघमारे गौरी लंकेश की हत्या में गिरफ्तार किए गए छह संदिग्धों में से एक है. एसआईटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि गौरी और गोविंद पंसारे, एम एम कलबुर्गी को गोली मारने के लिए एक ही हथियार का इस्तेमाल किया गया. नाम उजागर न करने की शर्त पर एसआईटी के वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, वाघमारे ने गौरी को गोली मारी और फॉरेंसिक जांच से पुष्टि होती है कि (तर्कवादी) गोविंद पंसारे, एम एम कलबुर्गी और गौरी की हत्या एक ही हथियार से की गई. उन्होंने कहा कि हथियार का अभी पता नहीं लगाया जा सका है.
फॉरेंसिक जांच से इस नतीजे पर तब पहुंचा जाता है जब बंदूक के ट्रिगर से गोली के पिछले हिस्से पर एक ही तरह का निशान बना हुआ मिलता है फिर चाहे बंदूक की बरामदगी हो या न हो. अधिकारी ने बताया कि हिंदू दक्षिणपंथी समूहों के लोगों को शामिल कर बनाए गए इस संगठन में 60 सदस्य हैं जो कम से कम पांच राज्यों में फैले हुए हैं लेकिन इस संगठन का कोई नाम नहीं है. अधिकारी ने कहा, हमें मालूम हुआ है कि इस गिरोह का मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में नेटवर्क है. हम अभी तक उत्तर प्रदेश से उनके ताल्लुक का पता नहीं चला सके हैं.
पहले जासूसी करते, फिर मारते जान से
अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि भले ही इस गिरोह ने महाराष्ट्र के हिंदू जागृति समिति और सनातन संस्था जैसे कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों के लोगों की भर्ती किया लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि ये संस्थाएं सीधे तौर पर हत्या में शामिल हों. दोनों ही संगठनों ने इन तीनों की हत्या में किसी तरह की भूमिका से इनकार किया है. अधिकारी ने बताया कि सुजीत कुमार उर्फ प्रवीण गिरोह के लिए लोगों की भर्ती करता था और उसी से पूछताछ के दौरान इस नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ. उन्होंने बताया कि एसआईटी को संदेह था कि गौरी की हत्या के दौरान तीन और लोग वहां मौजूद थे.
अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह बड़ी सतर्कता से अपने काम को अंजाम देने से पहले उसकी योजना बनाता था. यह गिरोह जासूसी करना, निशाने पर लिए लोगों की कमजोरियां पहचानना और उनकी हत्या करने में छह महीने से साल भर तक का समय लेता था. उन्होंने कहा, यह गिरोह (कन्नड़ लेखक) प्रोफेसर एस भगवान की हत्या की लगभग अंतिम तैयारी में था जब हमने इन्हें धर दबोचा. कर्नाटक पुलिस ने हाल ही में भगवान की हत्या की साजिश का खुलासा किया था और गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों से पूछताछ के दौरान ही गौरी लंकेश की हत्या में इनकी मिलीभगत का संदेह हुआ.
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