एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने रविवार को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा, ‘बड़े नोटों को रद्द किए जाने के तात्कालिक परिणाम के रूप में भुगतान करोबार से जुड़ी पेटीएम और फ्री चार्ज जैसी संस्थाओं को अप्रत्याशित लाभ होगा.'
'नोटबंदी के चलते ग्राहकों के हस्तान्तरणों के लिए वस्तु एवं सेवाओं के खुदरा विक्रेता गैर नकदी तरीके अपनाने को बाध्य होंगे.'
एसोचैम के एक अध्ययन से पता चला है कि मोबाइल और डिजिटल वॉलेट के रूप में काम कर रहे करीब 45 प्री-पेड भुगतान उपकरण (पीपीआई) संस्थाएं सेवा दे रहीं हैं.
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, ‘हालांकि, नोटबंदी इन संस्थाओं के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आई है. पीपीआई को न केवल इस नगदी संकट की अवधि में अप्रत्याशित लाभ होगा, बल्कि आगे भी वे लाभ उठाने जा रहे हैं. यह प्रणाली किराने की बहुत छोटी दुकानों तक पहुंच जाएगी.‘
उन्होंने कहा कि नगदी रहित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के सरकारी जोर के कारण उम्मीद है कि निजी क्षेत्र की पीपीआई उत्पाद अन्वेषण और ग्राहकों व व्यापारियों तक पहुंच बढ़ाने के लिए अधिकाधिक निवेश करेंगी.
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक, फिलहाल 67 बैंक अपने 12 करोड़ ग्राहकों को मोबाइल सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं.
पीपीआई के अलावा बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक हस्तान्तरण और सेवा उपकरणों की पेशकश बैंक भी करेंगे.
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