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देश पर बढ़ा कर्ज, पिछले साढ़े चार सालों में हुई 49 फीसदी वृद्धि

रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2018 तक कर्ज का यह आंकड़ा 82,03,253 करोड़ रुपए पहुंच गया है. वहीं जून 2014 तक यह आंकड़ा 54,90,763 करोड़ रुपए था

Updated On: Jan 19, 2019 09:18 PM IST

FP Staff

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देश पर बढ़ा कर्ज, पिछले साढ़े चार सालों में हुई 49 फीसदी वृद्धि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में देश के ऊपर कर्ज का भार और बढ़ गया है. इंडिया टुडे के अनुसार, बीजेपी के साढ़े चार साल के कार्यकाल में देश पर कर्ज 49 प्रतिशत बढ़कर 82 लाख करोड़ पहुंच गया है. शुक्रवार को जारी किए गए केंद्र सरकार के कर्ज पर स्टेटस रिपोर्ट के 8वें संस्करण में इन आंकड़ो को जुटाया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2018 तक कर्ज का यह आंकड़ा 82,03,253 करोड़ रुपए पहुंच गया है. वहीं जून 2014 तक यह आंकड़ा 54,90,763 करोड़ रुपए था. बताया जा रहा है कि साढ़े चार साल के दौरान 48 करोड़ से 73 करोड़ रुपए के कर्ज की इतनी बड़ी वृद्धि की वजह पब्लिक कर्ज में 51.7 फीसदी की वृद्धि है. पिछले साढ़े चार साल में देश का कर्ज 48 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है.

2010-11 से ही सरकारी कर्ज पर एक वार्षिक स्टेटस रिपोर्ट ला रही है सरकार

वहीं मार्केट लोन पर निर्भरता के आंकड़े में भी वृद्धि दर्ज की गई है. इन साढ़े चार सालों में यह 47.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 52 लाख करोड़ रुपए से अधिक पहुंच गया है. जबकि गोल्ड बांड के माध्यम से उठाया गया कर्ज जून 2014 के अंत में जहां जीरो था, वहीं इन साढ़े चार सालों में यह 9,089 करोड़ रुपए पहुंच गया है.

वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने सरकारी कर्ज पर जारी हुई स्टेटस रिपोर्ट में भारत सरकार की सभी कर्ज स्थिति का विस्तृत विश्लेषण दिया है. इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि सरकार 2010-11 से ही सरकारी कर्ज पर एक वार्षिक स्टेटस रिपोर्ट ला रही है.

इस साल की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार की समस्त देनदारी मध्यम अवधि में गिरावट की तरफ अग्रसर है. सरकार अपने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए मार्केट लिंक्ड बॉरोइंग की सहारा ले रही है. देश का कर्ज बढ़ रहा है, आने वाले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे की तरफ से थोड़ी मदद की उम्मीद है. नवंबर तक पहले आठ महीनों में राजकोषीय घाटा 7.17 लाख करोड़ रुपए या साल के 6.24 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य का 114.8 प्रतिशत रहा है.

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