पूर्व CBI प्रमुख आलोक वर्मा ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. यह जानकारी न्यूज18 ने साझा की है. इससे पहले उन्होंने फायर एंड सेफ्टी के डीजी के तौर पर नई जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया था.
उन्हें एक दिन पहले ही सीबीआई प्रमुख के पद से हटाया गया था और उनका ट्रांसफर फायर एंड सेफ्टी के डीजी के तौर पर किया गया था. आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने से 2 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें उन्हें छुट्टी पर भेजने के लिए कहा गया था.
हालांकि अब सीबीआई के डिप्टी निदेशक नागेश्वर राव ही एजेंसी के अंतरिम निदेशक नियुक्त किए गए हैं और उन्होंने वो सारे ट्रांसफर ऑर्डर रद्द कर दिए हैं जो वर्मा ने जारी किए थे.
#BREAKING | After being removed as CBI chief, and refusing to take charge of the new role as DG, Fire Services, Alok Verma resigns. | #AlokVermaQuits pic.twitter.com/BrydvwsjVA
— News18 (@CNNnews18) January 11, 2019
Former CBI Chief Alok Verma refuses to take charge as DG, Fire Services. A statement says "natural justice was scuttled and the entire process was turned upside down in ensuring that the undersigned is removed from the post of the Director." pic.twitter.com/cgStJpOR0V
— ANI (@ANI) January 11, 2019
Former CBI Chief Alok Verma in a letter to Secy Dept of Personnel&Training: The undersigned is no longer Director,CBI&has already crossed his superannuation age for DG Fire Services, Civil Defence&Home Guards.The undersigned may be deemed as superannuated with effect from today. https://t.co/K0O8wzkGzg
— ANI (@ANI) January 11, 2019
सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को गुरुवार को उनके पद से हटा दिया गया था. ये फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई हाई पावर तीन सदस्यीय चयन समिति में लिया गया था. चयन समिति में पीएम मोदी के साथ-साथ विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सिकरी शामिल थे.
जस्टिस सीकरी को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने प्रतिनिधि के रूप में भेजा था. ये फैसला 2:1 से बहुमत से लिया गया, जिसमें खड़गे ने वर्मा को हटाए जाने का विरोध किया था.
क्या है पूरा मामला
सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा है. उन्होंने 77 दिन बाद अपना कार्यभार बुधवार को संभाला था क्योंकि केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर 2018 को देर रात आदेश जारी कर वर्मा के अधिकार वापस ले लिए थे और उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया था.
इस कदम की व्यापक स्तर पर आलोचना हुई थी. इस आदेश को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था, जिसके बाद बुधवार को वर्मा ने कार्यभार संभाला था. पद पर काबिज होते ही उन्होंने अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर नागेश्वर राव द्वारा दिए गए ट्रांसफर ऑर्डर रद्द कर दिए थे और उनके कई फैसलों को बदलना शुरू कर दिया था. जिसके बाद गुरुवार को उन्हें पद से हटाकर उनका ट्रांसफर कर दिया गया.
आलोक वर्मा को हटाए जाने और डिमोशन को लेकर एक बात और निकलकर आ रही है कि उन्हें पद से हटाया नहीं गया है, बल्कि उनका ट्रांसफर किया गया है. आदेश में कहा गया है कि चयन समिति ने आलोक वर्मा की डायरेक्टर, सीबीआई की पोस्ट से डायरेक्टर जनरल, फायर सर्विस- सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड के पद पर ट्रांसफर को मंजूरी दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट के वकील और पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ अशोक धमीजा ने कहा था कि आलोक वर्मा का सीबीआई डायरेक्टर के पद से ट्रांसफर हुआ है. DSPE एक्ट के S. 4-B के हिसाब से भी इसे ट्रांसफर ही कहा जाएगा न कि पद से हटाए जाना. अधिकारियों को उनके ट्रांसफर से पहले अपने बचाव का मौका तक नहीं दिया जा रहा है और S. 4-B के तहत भी उन्हें बचाव का अधिकार नहीं मिलता है. वर्मा का ट्रांसफर सीवीसी रिपोर्ट को देखते हुए हुआ है.
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