पूर्व ब्रिटिश कमांडर ने हिंदुस्तान के बंटवारे के लिए अंग्रेजों के लंबे समय तक देश में रहने को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि यदि सशस्त्र बलों का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाता तो बड़े पैमाने पर लोगों के जान माल को बचाया जा सकता था.
वरिष्ठ ब्रिटिश कमांडर बारने व्हाइट स्पनर ने सैन्य परिप्रेक्ष्य में विभाजन का विश्लेषण करने का प्रयास करते हुए अपनी किताब में बंटवारे को एक ऐसी त्रासदी करार दिया है जिसकी वजह ब्रिटिश शासकों का लंबे समय तक हिंदुस्तान में बने रहना था जो कि 1947 आते-आते ऐसी हालत में पहुंच गया था कि इससे बचना मुश्किल था.
पंजाब के हालात काबू नहीं किए गए
2008 में व्हाइट स्पनर गठबंधन बलों द्वारा बगदाद में तय किए गए तीन प्रांतों तथा बसरा में ब्रिटिश और गठबंधन बलों के सैन्य कमांडर थे . उनका कहना है कि उन्होंने एक सैनिक की नजर से ‘बंटवारा: 1947 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कहानी और पाकिस्तान का गठन’ किताब को लिखा है.
वह कहते हैं, ‘यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और पाकिस्तान के अस्तित्व में आने का संपूर्ण इतिहास नहीं है. ऐसे काम को करने के लिए पूरा जीवन लगाना पड़ेगा और यह बहुत बड़ा काम होगा इसलिए बेहतर यही है कि इसे पेशेवर इतिहासकारों पर छोड़ दिया जाए.’
वह कहते हैं, ‘इसके विपरीत मैंने वह भूमिका अदा की है जो एक अदना सैनिक है और दुनिया में ब्रिटेन के एक छोटे से हिस्से के रूप में घटनाओं को आकार लेते हुए देखा है. यह किताब 70 साल पहले राजनेताओं, प्रशासकों और सैनिकों पर उस समय बने दबाव और उनकी सोच को खंगालने की कवायद है. इसमें इस नजर से भी सोचा गया है कि इन घटनाओं का भारतीय महाद्वीप के लोगों पर क्या असर पड़ा.’ व्हाइट स्पनर के अनुसार, उनकी पृष्ठभूमि को देखते हुए , उनके पास इस त्रासदी में ब्रिटिश हुक्मरानों की भूमिका को बेहतर तरीके से समझने का नजरिया है.
वह कहते हैं, ‘मैं इस बात को नहीं मानता कि केवल भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी लेखकों को ही 1947 के बारे में लिखना चाहिए. इस मामले में सैन्य पहलुओं की पड़ताल किए जाने की जरूरत है.’ वह कहते हैं कि उन्हें कभी यह बात समझ में नहीं आई कि पंजाब में हालात को काबू करने के लिए ब्रिटिश और ब्रिटिश इंडियन आर्मी को व्यापक पैमाने पर क्यों नहीं इस्तेमाल किया गया.
मार्च 1947 में सेना तैनाती का फैसला रोक सकता था दंगे
वह कहते हैं, ‘सेना की प्रभावी तरीके से तैनाती का फैसला, यदि दिल्ली प्रशासन द्वारा मार्च 1947 के शुरूआत में ही कर दिया जाता तो इतने बड़े पैमाने पर हिंसा नहीं होती. ऐसा क्यों नहीं किया गया? मुझे यह भी महसूस होता है कि भारत में बंटवारे के बारे में जितना अधिक लिखा गया है, उसका बहुत ही कम ब्रिटेन में लिखा गया. यह वैसा ही है जैसे कि दूसरे विश्व युद्ध की घटनाओं पर हिंदुस्तान में कम रौशनी डाली गई.’ यही कारण रहा कि उन्होंने बंटवारे के बारे में लिखने की योजना बनाई.
एटोन कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्रयूज से शिक्षित स्पनर 1979 में सेवा में आए थे. 2009 में उन्हें ब्रिटिश फील्ड आर्मी का कमांडर बनाया गया और इस पद पर वह 2011 में सेवानिवृत्त होने तक रहे.
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