हम में से अधिकतर लोग अपने जीवन में गलत वित्तीय फैसले लेते हैं. ये गलतियां उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकती हैं. उम्र के शुरुआती दौर में ऐसी गलतियों की भरपाई हो सकती है, लेकिन उम्र बढ़ने के बाद ये गलतियां आपको भारी पड़ सकती हैं. 40 की उम्र कुछ फाइनेंशियल मिस्टेक से बचना बहुत जरूरी है. अगर आप इन आर्थिक गलतियों से बचते हैं तो आप कठिन दौर में भी खुद को सुरक्षित रख सकते हैं. आइए उन गलतियों पर चर्चा करें, जिसे आपका बचना जरूरी है.
अपने इमर्जेंसी फंड को न बढ़ाना
बेरोजगारी, बीमारी और दूसरी अप्रत्याशित घटनाओं के कारण जब आपकी आमदनी बंद होने पर इमरजेंसी फंड की जरूरत बढ़ जाती है. मंथली खर्च बढ़ने के साथ इमरजेंसी फंड बढ़ाना भी जरूरी है. यदि आप अपने इमर्जेंसी फंड को वक्त के साथ नहीं बढ़ाते तो मुश्किल वक्त में आपको अपनी सेविंग्स खर्च करना पड़ सकता है.
महंगाई और परिवार का बोझ बढ़ने से भी मंथली खर्च बढ़ता है, जिस पर आमतौर पर लोग ध्यान नहीं देते हैं. मसलन, 40 के पड़ाव पर पहुंच चुके शख्स पर पत्नी, बच्चे और बूढ़े मां-बाप की जिम्मेदारी होती है. 40 साल के शख्स का खर्च 30 साल के शख्स से ज्यादा होता है.
आपका इमरजेंसी फंड औसत मासिक खर्च का 6 गुना होना चाहिए. मान लीजिए आपका मासिक खर्च 30,000 रुपए है तो आपका इमरजेंसी फंड 1,80,000 रुपए से कम नहीं होना चाहिए. इमरजेंसी फंड के लिए लिक्विड फंड जिन्हें आसानी से भुनाया जा सके और शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में निवेश करें. बचत खातों के मुकाबले इन पर अच्छा रिटर्न मिलता है. साथ ही बैंक एफडी की तुलना में इस पर टैक्स छूट का भी फायदा मिलता है.
अपने रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त निवेश न करना
अक्सर ऐसा देखा गया है कि 45 साल से अधिक उम्र के लोग बच्चों की शिक्षा और लोन रीपेमेंट के कारण अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग टाल देते हैं. रिटायरमेंट के लिए वे ईपीएफ और पीपीएफ पर ही निर्भर रहते हैं.
हालांकि, रिटायरमेंट के लिहाज से यह फंड नाकाफी है. इससे हासिल रिटर्न महंगाई दर से ज्यादा नहीं हो पाती है. ऐसे में बच्चों की शिक्षा के लिए फंड जुटाने के बजाय रिटायरमेंट का इंतजाम करना जरूरी है. जहां तक बच्चों की पढ़ाई का मामला है तो उसके लिए एजुकेशन लोन उपलब्ध है.
यदि आपके रिटायरमेंट में अभी 5 साल का समय है, तो आप इक्विटी फंड में निवेश कर सकते हैं. इससे आप रिटायरमेंट के लिए फंड जुटा सकते हैं. अगर आप इक्विटीज में शॉर्ट टर्म उतार चढ़ाव से बचना चाहते हो तो बैलेंस्ड फंड में निवेश करें.
अपने पोर्टफोलियो को लेकर ज्यादा रूढ़िवादी होना
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ने लगती है, हम निवेश को लेकर कंजर्वेटिव हो जाते हैं. इक्विटी में निवेश घटाकर फिक्स्ड आय में निवेश बढ़ाने लगते हैं, जो गलत रणनीति है. इक्विटी में निवेश घटाने या बढ़ाने का फैसला इस बात से होता है कि लिक्विडटी कितनी है.
अगर आपके पास शॉर्ट टर्म टारगेट के लिए पर्याप्त फंड है तो आप बेहतर रिटर्न के लिए इक्विटी फंडस में निवेश कर सकते हैं.
समुचित बीमा कवर का न होना
अधिकांश लोग 40 व 50 के दशक की अवस्था में भी पर्याप्त बीमा कवर से वंचित रहते हैं, उनका बीमा उनकी जरूरत के मुताबिक नहीं होता है. किसी शख्स का बीमा कवर उसकी एनुअल इनकम का 15 गुना से ज्यादा होना चाहिए. इससे कम बीमा कवर को अंडर-इंश्योर्ड माना जाएगा. इसके अलावा पर्सनल एक्सिडेंट कवर और हेल्थ इंश्योरेंस भी जरूरी है.
अपने बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए निवेश न करना
पिछल दो दशकों में भारत में हायर एजुकेशन का खर्च काफी बढ़ गया है. ऐसे में बच्चों को एजुकेशन लोन लेना पड़ता है. अगर आप अपने बच्चों को करियर के शुरुआती दौर में ही कर्ज जंजाल में नहीं डालना चाहते हैं तो उनके एजुकेशन के लिए अलग से फंड बनाएं.
अगर आपने उम्र के 50वें पड़ाव पर पहुंचने वाले हैं और अपने रिटायरमेंट या बच्चों के हायर एजुकेशन की कोई प्लानिंग नहीं की है तो बेहतर होगा कि आप रिटायरमेंट फंड बनाए. क्योंकि बच्चों को एजुकेशन लोन मिल जाएगा लेकिन रिटायरमेंट के बाद आपके लिए फंड जुटाना मुश्किल हो जाएगा.र दें.
अगर आप के बच्चे की हायर एजुकेशन शुरू होने में कम से कम 5 वर्ष का समय है, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करें. अगर वक्त कम है तो बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड्स में निवेश करें. इन निवेशों को कोलैटरल्स के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे एजुकेशन लोन मंजूर होने की संभावना बढ़ जाती है.
(लेखक Paisabazaar.com के सीईओ व सह-संस्थापक हैं)
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