भारत की 110 लड़ाकू विमान खरीदने की डील 2 पर दो साल के लिए रोक लग सकती है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार बोइंग कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि ऑर्डर किस कंपनी को दिया जाए इसका फैसला करने में दो साल लग सकते हैं.
भारत को लड़ाकू विमान सप्लाइ करने की रेस में बोइंग सबसे आगे है. अधिकारी ने ये भी कहा कि बोइंग कंपनी इंडियन नेवी को 57 लड़ाकू विमान सप्लाई करेगी. भारतीय वाणिज्य और रक्षा मंत्रालय के नियमों के अनुसार इस डील में 85 फीसदी विमान भारत में बनाए जाएंगे. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस डील में करीब 1 लाख करोड़ रुपए खर्च होने हैं.
अप्रैल में बोइंग ने कहा कि वो भारत में F/A-18 सुपर हॉर्नेट के निर्माण के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड के साथ साझेदारी करेगा. बोइंग के अलावा लॉकहीड मॉर्टिन, साब एबी और बीएई सिस्टम्स भी इस रेस में हैं. बीएई के ग्रुप बिज़नेस डेवेलेपमेंट के डायरेक्टर एलन गारवूड ने कहा कि कंपनी भारत में पिछले 70 सालों से काम कर रही है.
3 सालों में देना होगा पहला विमान
इस समय पाकिस्तान और चीन से मुकाबला करने के लिए भारत को नए लड़ाकू विमानों की काफी जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि अब भारत धीरे-धीरे रूस से खरीदे गए विमानों को सिस्टम से बाहर कर रहा है.
इस नए टेंडर के अनुसार जिस भी कंपनी को लड़ाकू विमान सप्लाई करने का ऑर्डर दिया जाता है उसे कम से कम तीन सालों के अंदर पहला विमान सप्लाई करना होगा.
भारत सरकार ने पहले कहा था कि वो अपने लड़ाकू विमानों की फ्लीट को सिंगल इंजन जेट से प्रतिस्थापित करना चाहता है लेकिन बाद में कहा कि डबल इंजन एयरक्राफ्ट पर भी विचार किया जाएगा.
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