बेनामी संपत्ति को आधार से लिंक करने की एक खबर न्यूज वेबसाइट्स पर इतनी तेजी से आगे बढ़ी कि इस पर सफाई देने के लिए खुद सरकार को आगे आना पड़ा. खबर यह थी कि सरकार ने 1950 के बाद सभी प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है.
खबर में कहा गया कि इसके लिए समय सीमा 14 अगस्त तय की गई है. इतना ही नहीं इस खबर के साथ सरकार की तरफ से जारी पत्र भी खूब शेयर हो रहा था.
यह पत्र बाकायदा कैबिनेट सेक्रेटेरिएट की तरफ से भेजा गया था. इसमें कहा गया था कि डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के तहत सरकार ने प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है.
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने इस खबर और झूठे लेटर को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच की जा रही है.
The letter attributed to Cabinet Secretariat on #Aadhaar linking to Land records,is completely fake & mischievous pic.twitter.com/qbk6TsyiII
— Frank Noronha (@DG_PIB) June 19, 2017
ये होता तो क्या होता?
अगर यह खबर सही होती तो रियल एस्टेट में काला धन खपाने की हरकतों पर काफी हद तक लगाम लगाया जा सकता है. ऐसा नहीं होता कि इससे बेनामी संपत्ति का नामोनिशान मिट जाता लेकिन बड़े पैमाने पर रोक जरूर मुमकिन होता.
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