फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने आतंक की फंडिंग रोक पाने में विफल रहने की वजह से पाक को 'ग्रे लिस्ट' यानी संदिग्धों की सूची में डाल दिया है. बता दें कि एफटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकवादियों को आर्थिक मदद मुहैया कराने वाली गतिविधियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने को कहा था लेकिन पाकिस्तान इसमें विफल साबित हो गया.
हालांकि अपनी विफलता को छुपाने के लिए पाकिस्तान ने बीते बुधवार को मीटिंग के दौरान एफटीएफ को 26 सूत्री ऐक्शन प्लान सौंपा था ताकि वह इस कार्रवाई से बच सके.इस प्लान में यह बताया गया कि वह आतंकियों को दिए जाने वाली आर्थिक मदद पर कैसे रोक लगाएगा और इसके लिए कौन-कौन से कदम उठाएगा. जिससे पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट होने से बच गया लेकिन वह अब भी ग्रे लिस्ट में बना हुआ है.
बता दें कि पाकिस्तान 2012 से 2015 तक भी ग्रे लिस्ट में शामिल था. इधर जब एफटीएफ की मीटिंग का दिन नजदीक आने लगा तब जाकर पाकिस्तान की सिक्योरिटी और विनियम आयोग ने बीते 20 जून को मनी लॉन्डरिंग औरआतंकवादियों की फंडिंग रेगुलेशन 2018 का गठन किया था.
हालांकि एफएटीएफ के फैसले को पाकिस्तान हमेशा से राजनीति से प्रेरित कहता आया है. उसका मानना है कि इस संस्था पर भारत और अमेरिका का दबदबा है इसलिए उसे टारगेट किया जाता है.
पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहम्मद आजम ने तो यह तक कहा है कि अमेरिका और भारत ने चीन और सऊदी अरब पर भी दबाव डाला है कि वह पाकिस्तान की मदद ना करें और ना ही इस मामले में कोई हस्तक्षेप करें.
बता दें कि एफएटीएफ एक अंतर सरकारी संस्था है. जिसका गठन साल 1989 में मनी लॉन्डरिंग, आतंकवादियों की फंडिंग और वैश्विक आर्थिक ढांचे के लिए अन्य खतरनाक तरीकों पर नजर रखने के लिए किया गया है
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