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दिल्ली में स्मॉग रोकने के लिए ईपीसीए के फैसले कितने कारगर होंगे?

Updated On: Oct 31, 2018 05:30 PM IST

Ravishankar Singh Ravishankar Singh

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दिल्ली में स्मॉग रोकने के लिए ईपीसीए के फैसले कितने कारगर होंगे?

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार बिगड़ता जा रहा है. प्रदूषण पर काम करने वाले सरकारी महकमों के तमाम प्रयासों के बाद भी हालात बेकाबू हो गए हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने कड़े फैसले लेने शुरू कर दिए है. ईपीसीए चेयरमैन भूरे लाल यादव ने हरियाणा, यूपी. दिल्ली और राजस्थान सरकार को विशेष निर्देश जारी किए हैं.

ईपीसीए ने आम लोगों से भी आग्रह किया है कि अगले-10-15 दिन निजी वाहनों की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर ज्यादा फोकस करें. दिल्ली परिवहन विभाग ने भी चेतावनी जारी करते हुए कहा कि सड़कों पर पेट्रोल पर चलने वाली 15 साल से पुरानी गाड़ी और डीजल की 10 साल से पुरानी गाड़ियां देखी गईं तो उन्हें जब्त कर लिया जाएगा.

ईपीसीए ने एक नवंबर से लेकर 10 नंबर तक एनसीआर में निर्माण कार्य पर पूरी तरह रोक लगा दी है. प्रशासन ने स्टोन क्रशर, धूल पैदा करने वाले सभी उद्योग घंधों को अगले आदेश तक बंद करने का निर्देश जारी किया है. साथ ही ईपीसीए ने प्रदूषण फैला रहे दो पहिया, चार पहिया वाहनों के खिलाफ नो-टॉलरेंस की नीति अपना कर भारी जुर्माना का करने का प्रावधान करने को कहा है.

ईपीसीए के चेयरमैन भूरे लाल यादव ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए आने वाले दिनों में प्राइवेट गाड़ियों पर भी प्रतिबंध लगेगा. प्राइवेट गाड़ियों पर यह प्रतिबंध टास्क फोर्स की सिफारिश के बाद किया गया है. आने वाले दिनों में हमलोग दो पहिया वाहनों को भी रोड पर निकलने की इजाजत नहीं देंगे.

सिर्फ सीएनजी गाड़ियां ही रोड पर निकल पाएंगी. सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड(सीपीसीबी) की सिफारिश मिलते ही यह कदम उठाया जाएगा. ईपीसीए की ही रिपोर्ट कहती है कि दो पहिया वाहन सबसे ज्यादा पीयूसी के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. ऐसे में दो पहिया वाहनों को भी किसी भी कीमत पर छूट नहीं दी जा सकती है.

Photo Source: News-18

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बता दें कि सिर्फ दिल्ली में इस समय डीटीसी की लगभग 3 हजार 800 बसें हैं. लगभग 1650 के आसपास क्लस्टर बसें हैं. इसके अलावा, आरटीवी, मैक्सी कैब, ग्रामीण सेवा, इको फ्रेंडली बसें हैं. इन सभी को मिलाकर देखें तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ही लगभग 8 हजार गाड़ियां रोड पर हर रोज दौड़ती हैं. साथ ही मेट्रो की सुविधा भी अब दिल्ली-एनसीआर के अधिकांश भागों में है. ऐसे में प्राइवेट गाड़ियों को रोक कर ईपीसीए ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर फोकस करने का फैसला किया है.

दिल्ली में बीते सितंबर महीने तक लगभग एक करोड़ 10 लाख रजिस्ट्रर्ड गाड़ियां हैं, जिसमें 38 लाख गाड़ियां 10 साल और 15 साल की लिस्ट में आ गई है. बाकी बची लगभग 72 लाख गाड़ियों में 60 से 65 प्रतिशत गाड़ियां दो पहिया हैं. ऐसे में ईपीसीए उम्मीद कर रही है कि दो पहिया वाहनों और 10 से 15 साल की गाड़ियों को दिल्ली में प्रतिबंध कर काफी हद तक प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है.

ईपीसीए ने अपने आदेश में सरकारी गाड़ियों पर विशेष लगाम कसने की बात कही है. ईपीसीए का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर में कुछ सरकारी वाहन भी ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं. ये गाड़ियां काफी पुराने हो चुकी हैं. नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए ये सरकारी गाड़ियां पिछले कई सालों से दिल्ली-एनसीआर में चल रही हैं. इन गाड़ियों को बंद करने का आदेश पहले भी जारी किया जा चुका था लेकिन, सरकारी महकमों के हुक्मरानों ने इस पर अब तक अमल नहीं किया.

जानकार बताते हैं कि इनमें से अधिकांश गाड़ियां 20 से 25 साल पुरानी हैं. ये गाड़ियां अब भी इस्तेमाल में हैं. अधिकारियों के टोटके के कारण ऐसा हो रहा है. जो गाड़ियां विभागों को सरेंडर कर देना चाहिए उन गाड़ियों को अफसरों ने अपने पास रखा है. वह कोई भी शुभ काम करने के लिए उन गाड़ियों का ही इस्तेमाल करते हैं. अफसरों का मानना है कि यह गाड़ी उनके लिए लकी साबित हो रही है.

केंद्र और दिल्ली सरकार के कई विभागों में इस समय भी 20 से 25 साल पुरानी गाड़ियां धड़ल्ले से प्रयोग में लाई जा रही हैं. इन गाड़ियों को अफसरों ने या तो खुद के लिए या फिर अपने परिवार वालों के लिए विभाग से ले रखा है. ईपीसीए के ताजा निर्देश के बाद अब इन गाड़ियों पर नकेल कसी जा सकती है.

बीते कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में पीएम-10 और- 2.5 का स्तर सामान्य से कई गुना ज्यादा हो गया है. दिल्ली के कुछ इलाकों में तो बुधवार को पीएम-10 का स्तर 500 माइकोग्राम प्रति क्यूबिक के आस-पास पहुंच गया है वहीं पीएम-2.5 का स्तर 250 माइकोग्राम प्रति क्यूबिक तक पहुंच गया है. पिछले तीन-चार दिनों से हवा की क्वालिटी को देखते हुए यह साफ हो गया है कि ईपीसीए कड़ा कदम उठाने जा रही है.

इधर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकारों ने भी एक्शन लेना शुरू कर दिया है. यूपी का गाजियाबाद जिला प्रशासन भी अब हरकत में आ गया है. आनन-फानन में जिले के सभी निर्माण कार्यों को 11 नवंबर तक बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया. साथ ही जिला प्रशासन ने मंगलवार को प्रदूषण फैलाने वाली आठ फैक्ट्रियों को सील कर दिया. अधिकारियों ने निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ एक से 10 नवंबर के बीच ईंधन के रूप में कोयला और बायोमास के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. साथ ही, गाड़ियों के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी करने पर भी विचार किया जा रहा है.

Air Pollution In Delhi

प्रतीकात्मक स्टोरी

दो दिन पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट आने के बाद और हाहाकार मच हुआ है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में भारत में पांच साल से कम उम्र के करीब एक लाख बच्चों की जहरीली हवा के प्रभाव में आने से मौत हो गई. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि निम्न-मध्यम आय वर्ग के देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे 2016 में हवा में मौजूद महीन कण (पीएम) से होने वाले वायु प्रदूषण के शिकार हुए.

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