चुनाव आयोग की एक समिति ने निर्वाचन प्रक्रिया संबंधी कानून में बदलाव की मांग की है. समिति ने वोटिंग शुरू होने से 48 घंटे पहले अखबारों में चुनावी विज्ञापन पर रोक लगाने की सिफारिश की है.
इसे लागू करने के लिए सरकार को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन करना होगा. आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हालांकि स्वीकार किया कि आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इसे लागू करने के लिए आवश्यक संशोधन की संभावना क्षीण है.
उल्लेखनीय है कि मौजूदा व्यवस्था में मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार संबंधी सामग्री के प्रकाशन पर प्रतिबंध के दायरे में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है. समिति ने जनप्रतिनिधत्व कानून की धारा 126 में संशोधन कर प्रतिबंध के दायरे में प्रिंट मीडिया को भी शामिल करने की सिफारिश की है.
इसे लागू किए जाने पर राजनीतिक दल मतदान के दिन अखबारों में चुनावी विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकेंगे. इसे अगले लोकसभा चुनाव में लागू करने के लिये केंद्र सरकार को संसद के आगामी बजट सत्र में ही कानून में संशोधन करना होगा.
अधिकारी ने महज 14 दिन के बजट सत्र में संशोधन की बहुत कम संभावना से इनकार नहीं किया. इसके मद्देनजर आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार अभियान पर प्रतिबंध की अवधि में मौजूदा नियम ही प्रभावी रहने की प्रबल संभावना है.
उल्लेखनीय है कि 2016 में भी चुनाव आयोग ने सरकार से प्रचार अभियान के प्रतिबंध की अवधि में प्रचार सामग्री के प्रकाशन पर प्रतिबंध के दायरे में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ प्रिंट मीडिया को भी लाने की सिफारिश की थी.
(तस्वीर प्रतीकात्मक है)
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