दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, कैंपस की राजनीति में भी गर्माहट आने लगी है. आम आदमी पार्टी की छात्र विंग छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) और वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) इस बार साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों के साथ लड़ने के फैसले ने इस बार डूसू चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है. कई छात्रों का मानना है कि सालों से डूसू में एबीवीपी और एनएसयूआई के दबदबे को इस बार आइसा और सीवाईएसएस से कड़ी चुनौती मिल रही है.
आइसा और सीवाईएसएस के एक साथ आने के फैसले पर आम आदमी पार्टी का कहना है कि दोनों के साथ आने से दिल्ली विश्वविद्यालय के अंदर सकारात्मक राजनीति की शुरुआत होगी. लेकिन, दूसरी तरफ पार्टी आलाकमान के इस फैसले के बाद सीवाईएसएस के अंदर विरोध भी शुरू हो गए हैं. सीवाईएसएस के सदस्य और डूसू में सीवाईएसएस के पूर्व सेक्रेटरी आयुष पांडे ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है. पार्टी के इस फैसले को कई और छात्रों ने भी गलत कदम बताया है.
आइसा के साथ गठबंधन का विरोध कर रहे इन छात्रों का कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सीवाईएसएस को वामपंथियों के सहारे चलने के लिए मजबूर कर दिया है. पार्टी में ऊपर के स्तर के बाद छात्र राजनीति का भी गला घोंटने का काम किया जा रहा है. कुछ छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि सीवाईएसएस ने एक ऐसे संगठन के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया है, जिसके अध्यक्ष और सदस्यों पर जेएनयू में छेड़छाड़ का मामला पहले से ही दर्ज है.
वहीं सीवाईएसएस का कहना है कि आइसा के साथ गठबंधन को लेकर किसी भी तरह का कोई नाराजगी नहीं है. आइसा के साथ गठबंधन पर वही छात्र हंगामा कर रहे हैं, जो पिछले कई सालों से पार्टी की छात्र राजनीति में सक्रिय नहीं हैं. आइसा के अध्यक्ष और सदस्यों पर छेड़छाड़ का आरोप भी अब पुरानी बात हो चुकी है इससे गठबंधन का कोई लेना-देना नहीं है.
सीवाईएसएस के छात्र विंग के जनरल सेक्रेटरी हरि ओम प्रभाकर फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘देखिए आइसा के साथ चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी ने किया है. इस फैसले पर सीवाईएसएस की मौजूदा छात्र विंग में किसी भी तरह का कोई विरोध नहीं है. हमलोगों का ध्यान प्रत्याशियों के नाम का चयन करने में है. एक-दो दिनों में हम अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर देंगे. अभी तक किसी भी छात्र संगठन के प्रत्याशियों का नाम फाइनल नहीं हुआ है.
कैंपस में इस बार एक अलग तरह का माहौल बना है. जिस तरह से एनसयूआई और एबीवीपी ने आक्रामक रुख अख्तियार कर रखा है उससे उन लोगों में घबराहट साफ झलक रही है. कैंपस में लड़कियों के ऊपर अटैक होने शुरू हो गए हैं. कैंपस का माहौल बिगाड़ने के लिए एबीवीपी के द्वारा आज आइसा के प्रेसिडेंट पर हमला भी किया गया है. कल हमपर भी ये लोग हमला करेंगे. ये लोग बिल्कुल घबरा गए हैं.’
पिछले दिनों ही आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने मीडिया से बात करते हुए कहा, हाल के कुछ वर्षों में दिल्ली की छात्र राजनीति में जो भय का माहौल बना हुआ है उसके बाद ही आइसा के साथ पार्टी ने गठबंधन करने का निर्णय किया. डूसू में गुंडागर्दी और पैसों के बल पर चुनाव लड़े जाते हैं, हम इस प्रथा को खत्म करने के लिए चुनाव लड़ेंगें’
सीवाईएसएस का साफ कहना है कि विश्वविद्यालय में एबीवीपी और एनएसयूआई की गुंडागर्दी के कारण अध्यापकों, छात्रों और कर्मचारियों के बीच बदवाल के लिए सकारात्मक राजनीति की मांग उठ रही थी. उन सभी की भावनाओं को देखते हुए हमलोगों ने ये फैसला लिया है. सीवाईएसएस और आइसा के संयुक्त फैसले के अनुसार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर आइसा के प्रत्याशी और सचिव और उप-सचिव के पद पर सीवाईएसएस के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे.
आम आदमी पार्टी का कहना है कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों और अध्यापकों में जो डर का माहौल बना हुआ है, वो खत्म हो. कैंपस में गुंडागर्दी की राजनीति के बदले बेहतर शिक्षा और बेहतर सुविधा की राजनीति की शुरुआत हो. पार्टी छात्रों की अच्छी शिक्षा और बेहतर सुविधा के लिए लंबे समय से प्रयास कर रही है. पिछले कई सालों से छात्रों की मांग थी की एसी बसों में भी स्टूडेंट्स पास लागू हों, उस पर डीटीसी बोर्ड की मीटिंग हो चुकी है, और जल्द ही एसी बसों में भी स्टूडेंट पास शुरू हो जाएगा.
आम आदमी पार्टी का कहना है कि दोनों का संयुक्त पैनल डूसू की सत्ता में आता है तो हम लोग विद्यार्थियों की मांगों को पुरजोर तरीके से उठाएंगे. विद्यार्थियों की जो मूलभूत मांगे हैं, जैसे बेहतर लाइब्रेरी, सभी के लिए हॉस्टल की सुविधा, लड़कियों की सुरक्षा के बेहतर इंतजाम आदि पर पुरजोर तरीके से काम करेंगे. जिस तरह से दिल्ली सरकार राज्य की जनता की सुरक्षा के मद्देनज़र दिल्ली में सीसीटीवी कैमरा लगवाने का काम करने जा रही है, वैसे ही महिला विद्यार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए दिल्ली के सभी कॉलेजों में और दिल्ली के सभी कैंपसों में सीसीटीवी कैमरा लगवाने का काम करेंगे.
वहीं आइसा के साथ छात्र राजनीति की शुरुआत से ही जुड़ी रहने वाली और जानी-मानी सोशल एक्टिविस्ट कविता कृष्णन फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहती हैं, ‘पिछले कुछ सालों से आइसा डूसू चुनाव में छात्रों की समस्याओं को बढ़-चढ़ कर उठाती रही है. इस बार भी हमलोग एबीवीपी और एनएसयूआई को चुनौती दे रहे हैं. इस बार हमलोग छात्रों की लोकतांत्रिक मांगों को एक दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि इस बार का डूसू का परिणाम काफी चौकाने वाला साबित होगा. एबीवीपी के जनविरोधी और तानाशाही निजाम को इस गठबंधन के जरिए हमलोग कड़ी चुनौती दे रहे हैं.’
वहीं आइसा की कवलप्रीत कौर के मुताबिक, ‘आज कैंपस का माहौल बहुत ही भयावह हो गया है. केवल और केवल गुंडागर्दी की राजनीति रह गई है. विद्यार्थियों की जायज मांगों पर कोई बात करने को राजी नहीं होता और अगर कोई विद्यार्थी अपने हित की बात करता है, तो उसके साथ मारपीट की जाती है. न केवल विद्यार्थियों के साथ बल्कि अध्यापकों और कर्मचारियों के साथ भी मारपीट की घटनाएं सामने आती रहती हैं. दिल्ली विश्वविध्यालय के छात्र आज एक विकल्प की तलाश में हैं, जो उनके मुद्दों को प्रशासन के सामने रख सके, कैंपस में पढ़ाई का एक अच्छा माहौल दे सके, विद्यार्थियों को मूलभूत सुविधाएं दिलाने में उनकी मदद करे. हमें उम्मीद है कि सीवाईएसएस और आइसा का ये गठबंधन दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को वो विकल्प देगा जिसकी उन्हें तलाश है. हमें पूरा यकीन है की हम मिलकर डीयू कैंपस में एक सकारात्मक राजनीति की शुरुआत करेंगे.
इस बार छात्र संगठनों के द्वारा मुख्यतौर पर मेट्रो पास, नए हॉस्टल्स का निर्माण, कैंपस के लिए स्पेशल बस, बसों के पास के लिए काउंटर की संख्या में बढोतरी, कैंपस में सीसीटीवी लगाने और एससी/एसटी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की मांगों को प्रमुख तौर पर उठाया जा रहा है.
एक तरफ जहां एबीवीपी कैंपस में जगह-जगह छात्र अधिकार रैली निकाल रही है तो वहीं एनएसयूआई इस बार चारों सीटें जीतने का दम भर रही है. कैंपस में पिछले कुछ दिनों से टिकट दावेदारी के लिए भावी प्रत्याशियों की जोर-आजमाइश भी देखने को मिल रही है.
छात्र नेता अपने-अपने समर्थकों के साथ कैंपस की सड़कों पर उतर रहे हैं. इसके लिए भावी प्रत्याशियों ने अभी से ही धनबल और बाहुबल का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. कैंपस में महंगी गाड़ियों और बाहर के छात्रों का जमावड़ा भी लगना शुरू हो गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद किसी भी प्रत्याशी के द्वारा 5 हजार रुपए से ज्यादा चुनाव खर्च पर रोक है. कॉलेजों में चिन्हित की गई जगहों पर ही पोस्टर-बैनर और नारे लिखने की छूट है. किसी अन्य जगह पर पोस्टर-बैनर और नारे लिखने पर कानूनी कार्रवाई की बात है. रात 10 बजे के बाद चुनाव प्रचार की इजाजत नहीं है. लेकिन, इसके बावजूद छात्र संगठनों के द्वारा धनबल और बाहुबल का खुलेआम प्रदर्शन हो रहा है.
सभी पार्टियों ने साल 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस बार के डूसू चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है. लिहाजा सभी पार्टियों की छात्र इकाइयों ने अभी तक अपने कैंडिडेट्स के नाम फाइनल नहीं किया है, जबकि नामांकन के अब सिर्फ तीन दिन बचे हैं. 4 सितंबर को नामांकन भरने की आखिरी तारीख है जबकि 12 सितंबर को डूसू चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं.
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