दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव 2018 के लिए मंगलवार का दिन नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था. नामांकन दाखिल के अंतिम दिन एबीवीपी और एनएसयूआई के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया. सीवाईएसएस और आइसा के प्रत्याशियों ने सोमवार को ही नामांकन दाखिल कर दिया था. अब नॉमिनेशन पेपर्स की जांच के बाद ही उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी. कल यानी पांच सितंबर को उम्मीदवार अपना नामांकन वापस ले सकते हैं और इसके बाद शाम पांच बजे उम्मीदवारों की फाइनल लिस्ट जारी कर दी जाएगी.
पिछले कई सालों से देखा जा रहा है कि एनएसयूआई, एबीवीपी और दूसरे छात्र संगठनों के द्वारा डूसू के चार पदों के लिए चार से ज्यादा उम्मीदवारों का नामांकन दाखिल कराया जाता है. अगर किसी एक-दो प्रत्याशी का नामांकन अंतिम समय में रद्द हो जाता है तो पूरा पैनल उतारने में संगठन को दिक्कत न आए इसके लिए यह कदम उठाया जाता है.
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस बार का डूसू चुनाव काफी अहम हो गया है. इसी का नतीजा है कि सभी पार्टियों के छात्र संगठनों के द्वारा अपने-अपने प्रत्याशियों के चयन में काफी सावधानी और सतर्कता बरती जा रही है. नामांकन दाखिल करने वाले संभावित चार प्रत्याशियों को चुनने के लिए भी छात्र संगठन के अंदर काफी होड़ मची हुई है. पिछले कुछ दिनों से छात्र संगठनों के अंदर भी शक्ति प्रदर्शन को लेकर उम्मीदवारों के बीच होड़ शुरू हो गई है. छात्र अपनी लोकप्रियता और काबिलियत दर्शाने में दिन और रात एक किए हुए हैं. साथ ही संभावित उम्मीदवार अपनी-अपनी पार्टियों के बड़े नेताओं का भी आशीर्वाद पाने का प्रयास कर रहे हैं.
कुलमिलाकर दिल्ली विश्वविद्यालय डूसू चुनाव के रंग में पूरी तरह रंग गया है. कैंपस की राजनीति में भी गर्माहट आ गई है. आम आदमी पार्टी की छात्र विंग छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) और वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के एक साथ चुनाव लड़ने के फैसले ने डूसू चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है. डूसू चुनाव में सालों से कब्जा जमाए एबीवीपी और एनएसयूआई के दबदबे को इस बार आइसा और सीवाईएसएस से कड़ी चुनौती मिल रही है.
पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि डूसू चुनाव में मुख्य मुकाबला एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच ही होता चला आ रहा है. कुछ जानकारों का मानना है कि इस बार भी अमूमन यही नजारा देखने को मिलेगा. फिर भी कुछ सीटों को लेकर सीवाईएसएस और आइसा कड़ी टक्कर दे सकती है. पिछले कुछ सालों की तुलना में इस साल कैंपस का नजारा अलग हटकर है. सीवाईएसएस और आइसा पहली बार डूसू चुनाव में साथ मिलकर एबीवीपी और एनएसयूआई को टक्कर दे रही है. क्योंकि आइसा वामपंथी विचारधारा से प्रभावित है और जेएनयू स्टाइल में कैंपेन करती है. इसलिए एनसयूआई और एबीवीपी ने भी पहले की तुलना में आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. यह स्थिति कैंपस में अगले कुछ दिनों तक बरकरार रहेगी.
आप की छात्र विंग सीवाईएसएस का साफ कहना है कि कैंपस में बाहरी लड़के-लड़कियों के ऊपर अटैक होने भी शुरू हो गए हैं. कैंपस का माहौल बिगाड़ने के लिए बाहरी छात्रों को भी बुलाया जा रहा है. दिल्ली की छात्र राजनीति में अब भय का माहौल पैदा हो गया है. डूसू में गुंडागर्दी और पैसों के बल पर चुनाव लड़े जाते हैं.
सीवाईएसएस का साफ कहना है कि विश्वविद्यालय में एबीवीपी और एनएसयूआई की गुंडागर्दी के कारण अध्यापकों, छात्रों और कर्मचारियों के बीच सेसकारात्मक राजनीति की मांग उठ रही है. उन सभी की भावनाओं को देखते हुए पार्टी ने फैसला किया है कि इस बार आइसा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाए. सीवाईएसएस और आइसा के संयुक्त फैसले के अनुसार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर आइसा के प्रत्याशी और सचिव और उप-सचिव के पद पर सीवाईएसएस के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे.
इस बार छात्र संगठनों के द्वारा मुख्यतौर पर मेट्रो पास, नए हॉस्टल्स का निर्माण, कैंपस के लिए स्पेशल बस, बसों के पास के लिए काउंटर की संख्या में बढोतरी, कैंपस में सीसीटीवी लगाने और एससी/एसटी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की मांगों को प्रमुख तौर पर उठाया जा रहा है. छात्र नेता अपने-अपने समर्थकों के साथ कैंपस की सड़कों पर उतर रहे हैं. इसके लिए भावी प्रत्याशियों ने अभी से ही धनबल और बाहुबल का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. कैंपस में महंगी गाड़ियों और बाहर के छात्रों का जमावड़ा भी लगना शुरू हो गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद किसी भी प्रत्याशी के द्वारा 5 हजार रुपए से ज्यादा चुनाव खर्च पर रोक है. कॉलेजों में चिन्हित की गई जगहों पर ही पोस्टर-बैनर और नारे लिखने की छूट है. किसी अन्य जगह पर पोस्टर-बैनर और नारे लिखने पर कानूनी कार्रवाई की बात है. रात 10 बजे के बाद चुनाव प्रचार की इजाजत नहीं है. लेकिन, इसके बावजूद छात्र संगठनों के द्वारा धनबल और बाहुबल का खुलेआम प्रदर्शन हो रहा है.
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में सीवाईएसएस जहां ‘देश की बात’ नाम का प्रोग्राम जगह-जगह कर रही है वहीं एनएसयूआई और एबीवीपी दिल्ली के कई कॉलेजों में जा-जाकर प्रोग्राम ऑर्गनाइज्ड कर छात्रों को समझा रही है. आप नेता और दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय कहते हैं, ‘आज देश में राष्ट्रवाद के नाम पर जनता को गुमराह किया जा रहा है और अब छात्रों के साथ भी वही खेल खेला जा रहा है. आज युवाओं को राष्ट्रवाद के नाम पर बहका कर उनके जज्बातों को वोट के रूप के भुनाने का काम किया जा रहा है. छात्र अगर इस नाकारात्मक राष्ट्रवाद के खेल को नहीं समझे तो बाद में पछताना पड़ेगा. आज देश में एक धर्म के नाम पर राष्ट्रवाद स्थापित करने की बात कही जा रही है, लेकिन इतिहास गवाह है कि इसके परिणाम हमेशा ही भयावह रहे हैं.
कुलमिलाकर पिछले 3 सालों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की छात्र विंग सीवाईएसएस दूसरी बार डूसू इलेक्शन में अपना किस्मत आजमा रही है. इससे पहले साल 2015 में सीवाईएसएस डूसू चुनाव में उतरी थी, लेकिन एक भी सीट जीत नहीं पाई थी. पिछले दो डूसू चुनाव में सीवाईएसएस चुनाव नहीं लड़ी थी, लेकिन इस बार पार्टी नई रणनीति और नए तेवर के साथ डूसू इलेक्शन में मैदान में उतरी है.
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