आजकल ज्यादातर लोग कम उम्र में रिटायरमेंट प्लान कर सेटल होना चाहते हैं. उनकी आस रहती है कि उन्हें आराम की नौकरी मिल जाए, जिसमें किसी तरह का कोई टेंशन ना हो और वह सुकून से जिंदगी गुजार सकें. ऐसे तमाम लोगों के लिए पद्मश्री के लिए चुनी गईं 91 वर्ष की डॉक्टर भक्ति यादव मिसाल हैं.
उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद अक्सर वृद्धों में जिंदगी जीने की उम्मीदें कम होने लगती हैं. लेकिन डॉक्टर भक्ति यादव में अब भी ऐसा जज्बा है कि वह हर पल मरीजों की सेवा में बिताती हैं. गुजरात, राजस्थान तक की महिलाएं नॉर्मल डिलिवरी की उम्मीद से उनके पास आती हैं.
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में रहने वाली स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. भक्ति यादव 1948 से मरीजों का बिना कोई फीस लिए इलाज करती हैं. उन्हें अपने शहर इंदौर की पहली महिला डॉक्टर होने का गौरव भी हासिल हैं. 91 की उम्र में भी उन्हें सबसे ज्यादा तस्सली मरीजों की सेवा करने पर ही मिलती है.
हालांकि, डॉ. भक्ति यादव के शरीर पर उम्र का असर होने लगा है. 91 वर्ष की उम्र होने की वजह से उनकी हड्डियां कमजोर हो गई हैं. हाथ कांपते हैं. उसके बाद भी वह रोज अपने क्लिनिक में मरीजों को देखती हैं.
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