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सरकार के नए सरोगेसी बिल पर डॉक्टरों ने क्यों जताई चिंता?

डॉक्टरों का कहना है कि पूरी तरह से सरोगेसी पर बैन लगाने से अच्छा 'पेशेंट फ्रेंडली नियम' बनाने चाहिए थे

Updated On: Dec 21, 2018 05:30 PM IST

FP Staff

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सरकार के नए सरोगेसी बिल पर डॉक्टरों ने क्यों जताई चिंता?

इस हफ्ते ही लोकसभा में देश का नया सरोगेसी बिल पास किया गया है. इस बिल में सरकार ने कॉमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगा दी है और कई कड़े नियम बनाए गए हैं. अब डॉक्टरों ने इस बिल पर चिंता जताई है.

न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में बीएलके सुपर स्पेशल्टी हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ इन्फर्टिलिटी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आंचल अग्रवाल ने कहा कि सरकार को इस पर पूरी तरह से बैन लगाने के बजाय मरीजों को कुछ राहत देते हुए नियम बनाने चाहिए थे.

उन्होंने कहा कि 'जिन जोड़ों को यूटेरस की संरचना की वजह से या यूटेरस की सर्जरी होने की वजह से सरोगेसी की जरूरत पड़ती है, उन्हें इसका बहुत नुकसान होगा. क्लीनिक्स में स्किल और टेक्नोलॉजी होते हुए भी डॉक्टर उनकी मदद नहीं कर पाएंगे. प्रेग्नेंसी नौ महीनों का एक लंबा प्रोसेस है. जरूरी नहीं है कि कोई रिश्तेदार इतने वक्त के लिए कमिटेड हो.'

नर्चर आईवीएफ सेंटर की गाइनेकोलॉजी डॉ. अर्चना बजाज धवन ने कहा कि देश में साल भर में लगभग 10,000 सरोगेसी कराई जाती है, इस बिल के बाद जिन लोगों को बच्चों की चाह है, उनके लिए ऑप्शन कम हो जाएंगे.

उन्होंने कहा कि कॉमर्शियल सरोगेसी को रोकने के लिए अल्ट्रुइस्टिक सर्जरी को शर्त बनाना बहुत मुश्किल है. उन्होंने आगे जोड़ा, 'कभी-कभी करीबी रिश्तेदार भी सरोगेसी जैसे मामलों में आगे नहीं आते. जिन लोगों को सरोगेसी की सच में जरूरत है, उनके लिए कॉमर्शियल सरोगेसी पर बैन नहीं लगाना चाहिए था. ये रोक लगाना सरोगेसी के स्कोप और फायदों को कम कर देगा.'

वहीं, कुछ डॉक्टरों ने ये भी कहा कि इस बिल के बाद से देश में टूरिज्म पर भी असर पड़ेगा क्योंकि भारत दुनिया में आईवीएफ ट्रीटमेंट का बड़ा बाजार है.

बता दें कि बुधवार को लोकसभा में पास हुए इस बिल के जरिए अब भारत में कॉमर्शियल सरोगेसी को बैन कर दिया गया है. अब भारत में लोग सरोगेसी का इस्तेमाल बिजनेस की तरह नहीं कर पाएंगे. अब देश में व्यवसायिक सरोगेसी पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी. यह बिल सदन में 2016 से ही लंबित था.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक विधेयक है और इसे ‘कॉमर्शियल सरोगेसी’ पर रोक लगाने और परिवारों में नि:संतान दंपतियों की सुविधा को ध्यान में रखने के लिए लाया गया है.

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