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दिल्ली मेट्रो एयरपोर्ट लाइन पर HC ने लिया DMRC का पक्ष, कहा- सुरक्षा से समझौता नहीं

कोर्ट ने ये सवाल किया कि गति प्रतिबंध की वजह से भला DAMEPL समझौते में अपना दायित्व निभाने से क्यों पीछे हट गई?

Updated On: Jan 26, 2019 02:30 PM IST

FP Staff

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दिल्ली मेट्रो एयरपोर्ट लाइन पर HC ने लिया DMRC का पक्ष, कहा- सुरक्षा से समझौता नहीं

दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो लाइन मामले में अपना फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि मेट्रो की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता. किसी विशेष ट्रैक पर दिल्ली मेट्रो ट्रेन की गति सीमा तय करना और उसकी सुरक्षा को कम करना ही मेट्रो रेलवे आयुक्त का एकमात्र विशेषाधिकार है. इसे आर्बिट्रेशन की कार्यवाही से निरस्त (रद्द) नहीं किया जा सकता.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की अनुषंगी (सबसिडरी) दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) ने दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो लाइन में सुरक्षा संबंधी मुद्दों के चलते इसके प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया था.

इसके बाद यह पूरा मामला आर्बिट्रेशन कोर्ट में पहुंच गया जहां कोर्ट ने मई 2017 में डीएएमईपीएल के इस पक्ष को स्वीकार कर लिया कि इस मेट्रो लाइन पर मेट्रो की फंक्शनिंग संभव नहीं है क्योंकि इसमें ढांचागत खामी है. इस लाइन पर रेल जिस वायाडक्ट से होकर गुजरती है उसमें खामी है इसलिए इस पर ट्रेन नहीं चलाई जा सकत. इसके बाद कोर्ट ने रिलायंस के पक्ष में फैसला सुनाते हुए डीएमआरसी को 4,500 करोड़ रुपए के भुगतान का फैसला सुनाया.

कोर्ट के आए इस फैसले के बाद डीएमआरसी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने आर्बिट्रेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद डीएमआरसी ने इसे बड़ी पीठ में चुनौती दी. अब मामला जस्टिस संजीव खन्ना और चंद्र शेखर की बेंच के पास पहुंचा.

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट

पीठ ने आर्बिट्रेशन कोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल

पीठ ने आर्बिट्रेशन कोर्ट के फैसले पर सवाल करते हुए कहा कि कोर्ट इस पूरे मामले की ढंग से जांच नहीं की है. कोर्ट ने बुनियादी ढांचे में खामी के सवाल पर निर्णय करते वक्त मेट्रो सुरक्षा आयुक्त द्वारा इस लाइन पर वाणिज्यिक परिचालन की अनुमति दिए जाने के प्रमाणपत्र जैसे एक महत्वपूर्ण साक्ष्य पर गौर नहीं किया कि मेट्रो का परिचालन तो जून 2013 से ही शुरू हो गया था.

हाईकोर्ट ने कहा कि मेट्रो लाइन की सुरक्षा सार्वजनिक महत्ता का मामला है, इसलिए मेट्रो एक्ट के तहत इसकी मंजूरी मिलना जरूरी है. इस तरह की मंजूरी को आर्बिट्रेशन की कार्यवाही में चुनौती नहीं दी जा सकती है.

हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के उस निष्कर्ष की आलोचना की जिसमें गति प्रतिबंधों की वजह से एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन के कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर देने की बात कही गई है. कोर्ट ने ये सवाल किया कि गति प्रतिबंध की वजह से भला DAMEPL समझौते में अपना दायित्व निभाने से क्यों पीछे हट गई?

बेंच ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने इस बात पर गौर नहीं किया कि एयरपोर्ट लाइन जून 2013 से संचालन कर रही है जब डीएएमईपीएल ने ढांचागत खामियों की मरम्मत के बावजूद परियोजना को छोड़ दिया था. डीएमआरसी ने मई 2017 तक लाइन को चालू रखा.

इन चार वर्षों में अभी तक किसी भी तरह की कोई दिक्कत और शिकायत नहीं दर्ज की गई है. यहां तक कि एक एक्सीडेंट तक नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने इस पूरे मामले में ढ़ंग से जांच नहीं की है.

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