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डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया पर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त, क्या होगा इसका असर?

नेशनल मलेरिया रिसर्च इंस्टीच्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार दिल्ली-एनसीआर में सेरो टाइप-3 डेंगू वायरस पनप सकता है जो कम खतरनाक है. 2016 में सेरो टाइप-2 का डेंगू था, जो काफी खतरनाक था

Updated On: Jul 16, 2018 10:01 PM IST

Ravishankar Singh Ravishankar Singh

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डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया पर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त, क्या होगा इसका असर?

दिल्ली हाईकोर्ट ने डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया को लेकर सिविक एजेंसियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को संबंधित विभागों से पूछा है कि इस बार मॉनसून के बाद पनपने वाली बीमारियों के रोकथाम के लिए कितनी कारगर तैयारी की गई है? पिछले साल की तुलना में इस साल डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया में कितनी कमी आई है? साथ ही दिल्ली में कचरा प्रबंधन को लेकर क्या-क्या उपाए किए गए हैं?

विभागों से यह भी पूछा गया है कि कचरा प्रबंधन को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए एजेंसियों ने क्या-क्या कदम उठाए हैं. इन सभी मामलों कीअगली सुनवाई 7 अगस्त को एक बार फिर से हाईकोर्ट में होने वाली है.

सरकार के दावों का क्या होगा हश्र?

हर बार की तरह दिल्ली सरकार इस बार भी डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की रोकथाम से जुड़े बड़े दावे कर रही है. दिल्ली सरकार और एमसीडी लगातार यह कह रहा है कि इस बार मच्छरों से पनपने वाली सभी बीमारियों की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए गए हैं. लेकिन, हकीकत कुछ और है.

पिछले सप्ताह मॉनसून की पहली बारिश से ही इन तैयारियों की पोल खुल गई थी. हर बार की तरह इस बार भी एमसीडी की हेड बीजेपी और दिल्ली सरकार के बीच डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया.

बेशक पिछले साल के मुकाबले इस साल डेंगू और मलेरिया का प्रकोप थोड़ा कम नजर आ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2011 से लेकर साल 2016 तक दिल्ली में चिकनगुनिया के सिर्फ दो मरीजों की पुष्टि हुई थी. वहीं पिछले साल यह संख्या 81 तक पहुंच गई थी और इस साल अब तक यह आंकड़ा 37 तक पहुच गया है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने बढ़ाई सख्ती

दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी साल फरवरी महीने से दिल्ली के सिविक एजेंसियों के कामकाज की रिपोर्ट लेनी शुरू की है. शायद इसी का नतीजा है कि इस साल चिकनगुनिया की तुलना में डेंगू और मलेरिया के मामलों में कुछ कमी आई है.

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दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक साल 2011 से साल 2017 तक मलेरिया के 585 मरीज मिले थे. वहीं डेंगू के एक हजार 958 मरीज मिले थे, जिनमें से 11 मरीजों की मौत हो गई थी. पिछले कुछ सालों से डेंगू और मलरिया के मरीजों की संख्या में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है.

दिल्ली में जुलाई के पहले हफ्ते में मलेरिया के कम से कम आठ नए मामले सामने आए थे. इसी के साथ मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़कर 54 हो गई थी. नगर निगम ने पिछले सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मलेरिया के 54 मामलों में आठ मामले इस महीने सामने आए हैं. इसके अलावा जून में 25, मई में 17, अप्रैल और मई में एक-एक और फरवरी में दो मामले सामने आए थे.

दक्षिण दिल्ली नगर निगम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल डेंगू के दर्ज किए गए कुल 33 मामलों में जुलाई में तीन, जनवरी में छह, फरवरी में तीन, मार्च में एक, अप्रैल में दो, मई में 10 और जून में आठ मामले दर्ज किए गए. वहीं, जुलाई के पहले हफ्ते में चिकुनगुनिया के तीन नए मामले सामने आने के साथ इस साल इससे पीड़ित रोगियों की कुल संख्या बढ़ कर 16 हो गई.

जानें कितना मिला है फंड?

दो महीने पहले ही दिल्ली सरकार ने डेंगू और चिकनगुनिया के खतरे से निपटने के लिए तीनों एमसीडी को 25 करोड़ रुपए जारी किए थे. एमसीडी को पैसे जारी करने को लेकर एमसीडी और दिल्ली सरकार में काफी दिनों से रार चल रही थी. दिल्ली के एलजी अनिल बैजल डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के निपटने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं. पिछले महीने ही अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें की थी.

दिल्ली के एलजी अनिल बैजल ने नगर निगम के अधिकारियों को पिछले महीने ही जिम्मेदारी तय की थी. एलजी ने नगर निगम को सख्त हिदायत दी थी कि इस बार अगर मामला बिगड़ता है तो लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा.

दिल्ली में चिकनगुनिया और डेंगू जबरदस्त तरीके से पैर पसार रहा है. दिल्ली वासियों को एक बड़ी उम्मीद इस बार एमसीडी चुनाव में जीते पार्षदों से थी. लेकिन, डेंगू और चिकनगुनिया के बढ़ते लगातार मामले ने इन पार्षदों के चुनावी वायदों का झूठा साबित कर दिया. पिछले एमसीडी चुनाव में डेंगू और चिकनगुनिया का मुद्दा छाया रहा था. हर राजनीतिक पार्टियों ने इसको मुद्दा बनाया था.

दिल्ली में पिछले कुछ सालों से डेंगू और चिकनगुनिया के कारण लगातार मौतें हो रही हैं. हाल के वर्षों में साल 2015 में डेंगू से सबसे ज्यादा 60 लोगों की मौत हुई थी. दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार के तरफ से हर साल ठोस पहल की बात की जाती रही है. पर, हर साल यही कहानी दोहराती रहती है.

क्यों बढ़ रहा है दिल्ली में खतरा

दिल्ली में कई कारणों से मच्छरों का लारवा बढ़ रहा है. मच्छरों से बचाव के लिए एमसीडी लगातार दवाओं का छिड़काव कर रहा है. तमाम कोशिशों के बावजूद मच्छरों पर लगाम नहीं लगाया जाता है. एमसीडी की कोशिशों को नकारते हुए कैग ने 2016 में एमसीडी के इस प्रयास को खारिज कर दिया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि एमसीडी में मच्छरों की निगरानी बेहतर तरीके से नहीं की गई.

हालांकि इस बार नेशनल मलेरिया रिसर्च इंस्टीच्यूट नई दिल्ली ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि इस बार दिल्ली-एनसीआर में सेरो टाइप-3 डेंगू वायरस पनप सकता है. इस टाइप के वायरस में मरीज की मौत होने का खतरा कम रहता है. इस रिसर्च में दावा किया जा रहा है कि साल 2016 में सेरो टाइप-2 का डेंगू था, जो काफी खतरनाक था. इस टाइप के वायरस में मरीज की मौत होने का खतरा हमेशा बना रहता है. लेकिन साल 2017-18 में सेरो टाइप-2 डेंगू मिला है.

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