देशभर में इस समय कालेधन को सफेद करने वालों पर छापेमारी चल रही है. देश की प्रवर्तन निदेशालय(ईडी), आयकर विभाग, सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां एक साथ मुहिम में शामिल है. एजेंसियां पता लगा रही है कि 8 नवंबर के बाद से देश के बैंकों में जो पैसे जमा हुआ वो कितना जायज और नजायज है?
देश की बड़ी-बड़ी जांच एजेंसियों के दफ्तर खाली पड़े हैं. इन एजेंसियों के अधिकारी दफ्तर के कामकाज को छोड़ कर बैंकों की खाक छान रहे हैं.
8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले के बाद बड़े-बड़े दावे किए गए थे कि देश में कलाधन रखने वालों के लिए बुरे दिन शुरू हो गए हैं. लेकिन सरकार के पास जो आंकड़े आ रहे हैं उससे ऐसा होता नहीं दिख रहा है. कुछ बैंकों की मिलीभगत ने सरकार के पूरे प्लान की हवा उड़ा दी है. सरकारी महकमे में खलबली मची है.
निजी बैंकों ने सरकार के दावे की हवा उड़ा दी
लेकिन भारत सरकार के राजस्व सचिव का बयान मुहिम के लिये झटका नजर आ रहा है. भारत सरकार के राजस्व सचिव के मुताबिक देश के खजाने में अब तक सिर्फ 2 हजार करोड़ ही काला धन पकड़ में आया है, जबकि 150 करोड़ की नकदी और सोना बरामद हुए हैं. जबकि सरकार को इस अवधि तक अनुमान था कि कम से कम 2 से 3 लाख करोड़ रुपए कालेधन पकड़ में आ जाएगा, पर हुआ बिल्कुल उलट. सरकार की पूरी उम्मीद अब उन बैंकों पर जा कर टिक गई है जिन बैंकों में पिछले 30 दिन में सबसे ज्यादा पैसे जमा किए गए हैं.
कालेधन की जांच के लिये भारतीय एजेंसियों में कितना दम ?
व्यवस्था में खामियों का फायदा उठा कर कई बैंकों में भारी रकम जमा की गई है. अब सरकारी मशीनरी उन खामियों को भी खंगाल रही है. लेकिन सवाल ये है कि भारत में पल-पल बदलते राजनीतिक और आर्थिक हालातों के बीच भारतीय जांच एजेंसियां कितना सक्षम हैं? इन जांच एजेसियों के पुराने रिकॉर्ड ही इनके खिलाफ गवाही दे रहे हैं. जिन विभागों के पास जांच की जिम्मेदारियां हैं, उन विभागों की अलग-अलग तरह की समस्या पहले से ही मौजूद है.
सीबीआई के पास पुराने केसों की लंबी फेहरिस्त
सीबीआई अगर पुराने केसों पर से ध्यान हटा कर नोटबंदी पर ज्यादा फोकस करेगी तो पुराने मामलों पर असर पड़ेगा. इससे उन लोगों का न्याय प्रभावित हो सकता है जो लंबे समय से इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं. जाहिर तौर पर सीबीआई पर कोर्ट की फटकार लगने का डर भी होगा. लेकिन इन सबके अलावा सीबीआई की अपनी भी समस्याएं हैं. सीबीआई सालों से अधिकारियों की कमी का रोना रोती रहती है. इसके बावजूद नोटबंदी जैसे मामले में सीबीआई की एन्ट्री पर अब सीबीआई खुद भी कुछ जवाब देने को तैयार नहीं है.
आयकर विभाग में सक्षम अधिकारियों की कमी
सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग में भी सक्षम अधिकारियों की कमी है. वित्त मंत्रालय ने उन अधिकारियों को नोटबंदी से जुड़े मामले को देखने से मना कर दिया है जिनका पिछला रिकॉर्ड दागदार रहा है. साथ ही वो अधिकारी भी जांच टीम में नहीं शामिल हैं जो 6 महीने या साल भर के भीतर रिटायर होने वाले हैं. नोटबंदी की जांच का केस वही अधिकारी प्रमुखता से देख रहे हैं जिनकी उम्र 40 साल से नीचे है.
ईडी पर बड़ा दारोमदार
कुल मिलाकर सबकी निगाहें प्रवर्तन निदेशालय पर टिक गई है. प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) का पुराना रिकॉर्ड बताता है कि अभी तक ईडी ने ऐसे एक भी केस को अंजाम तक नहीं पहुंचाया है जिसको ईडी ने अपने हाथ में लिया है.
सन 2005 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट(पीएमएलए एक्ट) में बदलाव के बावजूद भी ईडी असरदार साबित नहीं हो रही है. 2002 के पीएमएलए एक्ट की कई खामियों को 2005 में दूर कर एक नया एक्ट संसद में पेश किया गया था. जिस एक्ट के बारे में कहा गया कि ये बहुत पावरफुल एक्ट है. उस एक्ट का पहला केस 2011 में दर्ज हुआ था. आज तक उस केस की सुनवाई चल रही है.
खासबात ये है कि साल 2005 से 2011 तक एक भी केस ईडी में दर्ज भी नहीं हुआ. लेकिन ईडी के एक अधिकारी का कहना है कि ‘21 सौ लोगों की क्षमता वाले इस विभाग में अभी सिर्फ एक तिहाई लोग काम कर रहे हैं. बाकी पद वर्षों से खाली पड़े हैं.’
प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की जांच का दायरा सीमित
प्रवर्तन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि ‘देश भर में नोटबंदी के बाद हजारों मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से लगभग सौ से दो सौ मामले सीरियस फ्रॉड के अंतगर्त दर्ज किए गए हैं.’
आयकर विभाग ने इन मामलों में से लगभग 50 मामलों की सूची प्रवर्तन निदेशालय को भेजी है जिस पर ईडी जोन वाइज कार्रवाई कर रही है. देश की इनकम टैक्स विभाग और डाटा कलेक्ट करने वाली एजेंसियों से इनपुट लिया जा रहा है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड(सीबीडीटी) ने देश में हो रहे आरटीजीएस और अन्य तरह के ऑन लाइन ट्रांसफर की लगभग 200 से भी ज्यादा शिकायतें ईडी और सीबीआई को भेजी हैं.
आयकर विभाग के अनुसार कई मामलों में इस तरह की अनियमितताएं सामने आई है जो आयकर कानून के अधिकार से बाहर है. इसलिए उन मामलों की जांच सीबीआई और ईडी को रेफर किए जा रहे हैं. ईडी इस समय वही केस हैंडल कर रही है जो सीरियस फ्रॉड के तहत दर्ज किए जा रहे है.
मुंबई में लगभग 20 केस ईडी के पास आए हैं. ईडी ने देश के लगभग 20 शहरों में 10 से 15 लोगों की टीम तैयार की है. मुंबई, दिल्ली, पुणे, अहमदाबाद, चैन्नई जैसे शहरों पर ईडी की पैनी नजर है. ईडी ने कई राज्यों के तेज-तर्रार ऑफिसर्स को इस काम में लगाया है. ऑफिसर्स की तैनाती को भी बेहद गोपनीय रखा गया है.
जांच अधिकारी से लेकर इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों के फोन कॉल्स रिकॉर्ड किए जा रहे हैं. जांच से जुड़े अधिकारियों की सारी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक अलग टीम बनाई गई है.
आरबीआई का दावा
रिजर्व बैंक ने एक आंकड़ा जारी कर बताया है कि 27 नवंबर 2016 तक बैंकों में लगभग 9 लाख करोड़ रुपए के पुराने नोट जमा कराए गए है. आरबीआई ने देश के सभी बैंकों की ब्रांचों को जांच एजेंसियों को डाटा देने को कहा है.
आरबीआई के मांगे गए डाटा में पूछा गया है कि एक दिन में कितने ट्रांजेक्शन हुए और कितने लोग बैंक में आए. साथ ही जिन लोगों ने बैंक से ट्रांजेक्शन किए हैं उनका पूरा रिकॉर्ड बैंक ने जमा कराया या नहीं. इन सारी बातों पर बैंक कड़ी नजर रख रही है. बैंक के सीसीटीवी फुटेज को संभाल कर रखा जा रहा है.
हर बैंक को एक अतिरिक्त सर्वर रूम बनाने के लिए बोला गया है कि जिनसे इन डाटा को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके.
बैंक और बैंक अधिकारियों पर भी जांच एजेंसी की नजर
बैंकों में नोटबंदी के बाद बड़े खेल की आशंका को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच की दिशा बैंक और बैंक में काम कर रहे लोगों की तरफ मोड़ दी है. ईडी जांच कर रही है कि पुराने नोटों के बदलने के दौरान आरबीआई की गाइड लाइन का पालन किया गया है कि नहीं.
ईडी और आयकर विभाग की नजर देश के लगभग 10 बैंकों की सैकड़ों ब्रांचों पर टिक गई है. जिसमें लगभग चार लाख करोड़ रुपए सिर्फ शुरुआत के एक सप्ताह में आ गए थे. ईडी की शुरुआती जांच की दिशा 100 ऐसे बैंकों की ब्रांचों पर टिक गई है जिसमें सबसे ज्यादा ट्रांजेक्शन हुए हैं.
दिल्ली-एनसीआर के लगभग 20 ब्रांच, मुंबई के 20 ब्रांच, अहमदाबाद के 5 ब्रांच, पुणे, चैन्नई, पटना, लखनऊ और कोलकाता जैसे कई शहरों के कुछ ब्रांचों की जांच शुरू कर दी गई है.
गिरफ्तार हो रहे हैं बैंक अधिकारी
दिल्ली सहित देश के कुछ बैंकों के अघिकारियों की गिरफ्तारी ईडी के दावे को मजबूत कर रही है. जन धन खातों में जमा हुई भारी रकम की निकासी पर रोक लगा दी गई है. देश के कई बैंकों के ऑडिटर से पूछताछ की जा रही है. जांच एजेसियां बैंक में जमा डिटेल, बैंक की सीसीटीवी फुटेज, भरे गए फॉर्म की कॉपी सहित बैंक के कर्मचारियों और बैंक के फोन कॉल डिटेल ले रही है.
रातोंरात बनी कंपनियों का खुलेगा कच्चा-चिट्ठा
आठ नवंबर के बाद देश में खुली फर्जी कंपनियों के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं. उन पुरानी कंपनियों के रिकॉर्ड चेक किए जा रहे हैं जिनमें पहले ट्रांजेक्शन न के बराबर होता था और अचानक उन कंपनियों में करोड़ो का ट्रांजेक्शन कैसे हो गया.
जल्द जांच रिपोर्ट की उम्मीद न करे सरकार
आयकर विभाग के रिटायर अधिकारी संजीव कुमार कहते हैं कि आयकर विभाग को बैंक के रिकार्ड्स की जांच करने में सालों लग जाएंगे. एक दिन या एक महीने की ये जांच नहीं है. एक सीमा में रह कर ही विभाग जांच कर पाएगा.
सीबीआई, ईडी अगर प्रेशर दे कर काम करवाएगी तो नतीजों की उम्मीद फिर न करे. विभाग को जांच के दौरान ये भी देखना होगा कि कोई निर्दोष जांच की फांस में न फंसे.
क्या मार्च से जनवरी हो जाएगा फाइनेंशियल ईयर ?
अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले कुछ और दिनों में कुछ और नए फैसले देखने और सुनने को मिले. ऐसी चर्चा चल रही है कि सरकार फाइनेंसिएल ईयर बदलने जा रही है. इसके लिए जनवरी से दिसंबर का महीना तय किया गया है. साथ ही ये भी चर्चा चल रही है कि बैंकों से निकालने वाले पैसों पर भी कुछ प्रतिशत का टैक्स लगाया जा सकता है.
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