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1 अप्रैल से पुराने नोट रखना गैर-कानूनी: क्या अब भी नोट बदलने का मिलेगा मौका?

अभी भी जिनके पास पुराने नोट बचे हैं, उनके लिए बस उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से है.

Updated On: Mar 31, 2017 03:21 PM IST

FP Staff

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1 अप्रैल से पुराने नोट रखना गैर-कानूनी: क्या अब भी नोट बदलने का मिलेगा मौका?

एक अप्रैल 2017 से बंद हो चुके 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट रखना दंडनीय अपराध होगा. जिस किसी के भी पास 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट मिलेंगे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी जाएगी.

सरकार ने साफ किया है कि इसमें उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी जो कि विमुद्रीकरण की अवधि (8 नवंबर-30 दिसंबर) के दौरान देश से बाहर रहें हों.

नया कानून बना

स्पेसीफाइड बैंक नोट्स (सेस्सेशन ऑफ लायबिलिटीज) एक्ट, 2017 के मुताबिक, 10 से ज्यादा बंद हो चुके 500 और 100 रुपए के नोट रखने पर कम से कम 10,000 रुपए का जुर्माना देना पड़ेगा. एनआरआई के अलावा अन्य लोगों के लिए नोट बदलने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2016 थी और इसके बाद नोट सिर्फ आरबीआई के काउंटर पर ही बदले जाने थे.

उल्लेखनीय है कि पुराने नोटों को बैंकों में जमा करने की अंतिम तारीख 30 दिसंबर को समाप्त होने से पहले मोदी कैबिनेट ने नया अध्यादेश पास किया था, जिसके अनुसार 10 से ज्यादा 500 और 1000 के नोट रखने पर सजा का प्रावधान किया गया.

इसके बाद अध्यादेश को राष्ट्रपति के पास भेजा गया और उनकी मंजूरी के बाद यह कानून प्रभावी हो गया. तब काफी लोगों ने यह शिकायत की थी कि जब पीएम मोदी ने नोट बदलने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया था तो ऐसे में यह कानून कैसे लाया गया.

क्या कहता है कानून

- कानून के मुताबिक 31 दिसंबर, 2016 के बाद से बंद हो चुके नोट रखना, ट्रांसफर करना या फिर लेना निषेध है.

- नोटबंदी की अवधि के दौरान देश से बाहर रहने वाले लोगों ने अगर आय की झूठी घोषणा की या फिर 31 मार्च, 2017 तक बंद हो चुके नोट नहीं जमा कराए, तो उन पर कम से कम 50,000 रुपए का जुर्माना लगेगा.

- 10 से ज्यादा पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट रखने और 25 से ज्यादा नोट स्टडी या फिर रिसर्च के लिए भी रखने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा.

- कानून ने डीमॉनेटाइज्ड करेंसी नोट्स को लेकर आरबीआई और सरकार की जिम्मेदारी भी खत्म कर दी है.

जिनके पास अभी नोट बचे हैं उनका क्या?

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए उससे पूछा था कि एनआरआई और विदेश में रह रहे लोगों की तरह सरकार ने अन्य लोगों के लिए 31 दिसंबर, 2016 के बाद नोट जमा कराने के लिए कोई अलग कैटिगरी क्यों नहीं बनाई.

याचिकाकर्ता सुधा मिश्रा के वकील ने कहा था कि पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की ओर से देश के नाम दिए गए संबोधन और फिर संघीय बैंक की अधिसूचना में यह बात कही गई थी कि चलन से बाहर हो चुके नोटों को आरबीआई कार्यालयों में 31 मार्च 2017 तक बदला जा सकता है. ये दोनों ही वैध आश्वासन थे लेकिन अध्यादेश के जरिए इनका उल्लंघन किया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार से कहा है कि वह 11 अप्रैल तक हलफनामा दाखिल कर बताए कि नोट जमा कराने के लिए कोई अलग कैटिगरी क्यों नहीं बनाई.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा है कि जिनके पास पुराने नोट न जमा कर पाने के उचित कारण हों, क्या उन्हें इसका मौका मिलेगा? अभी भी जिनके पास पुराने नोट बचे हैं, उनके लिए बस उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से है.

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