मध्य प्रदेश में 2018 के चुनाव में सभी वर्गों को साधना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है. चुनाव से पहले सामाजिक संस्थाओं के टिकट को लेकर बन रहे दबाव ने कांग्रेस की नींद उड़ा दी है.
दरअसल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश का नेतृत्व संभालते ही जातिगत समीकरण साधना शुरू कर दिया था. इस दौरान उन्होंने कई सामाजिक संस्थाओं और जातिगत आधार पर बने संगठनों से बैठकें कर उनका समर्थन मांगा था और अब चुनाव से पहले टिकटों को लेकर उन्हीं संस्थाओं और संगठनों ने कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर दी है.
2018 के विधानसभा चुनाव में सामाजिक संस्थाओं ने जाति और समाज का दबाव बढ़ाने के लिए अपना शक्ति प्रदर्शन तेज कर दिया है. प्रदेश भर में सामाजिक संस्था के बैनर तले जुट रही भीड़ कांग्रेस ही नहीं बीजेपी पर भी दबाव बना रही है कि इस बार चुनाव में उनकी आबादी के मुताबिक, पार्टी टिकट देने का काम करे. और चुनाव में इस बार समाज का वोट उसी दल के साथ होगा, जो उनको टिकट देगी.
राजनीतिक दलों पर जिन जाति और समाजों का चुनाव में ज्यादा से ज्यादा टिकट देने का दबाव है उनमें, सिंधी, जैन, साहू, मांझी, यादव, राजपूत, मीणा, गुर्जर, लोधी, मुस्लिम, बोहरा, वाल्मिकी, माली, स्वर्णकार, ब्राहम्ण, कायस्थ शामिल है.
वहीं चुनाव से पहले जातिगत संतुलन साधने का दावा करने वाली कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी भी टिकटों के दबाव से परेशान है. इसके बावजूद भी दोनों दलों का फोकस जीताऊ उम्मीदवार पर ही होगा. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के बाद चुनाव प्रचार समिति के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस बात को साफ़ कर चुके हैं.
प्रदेश में जातिगत समीकरण
- 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिनमें सिंधी समाज ने सीटों की दावेंदारी की है. इसमें भोपाल में हुजूर, इंदौर, ग्वालियर पश्चिम, सतना, कटनी, खंडवा और बुरहानपुर शामिल हैं. लोधी समाज के मतदाताओं की संख्या 80 लाख से ज्यादा है.
- बुंदेलखंड समेत पूरे प्रदेश में इस समाज का प्रभाव है. 90 सीटों पर खासा प्रभाव रखने वाले लोधी समाज ने आबादी के अनुपात में टिकट की मांग की है.
- स्वर्णकार की आबादी तीस लाख है.
- सेन समाज के मतदाताओं की संख्या करीब 14 लाख है.
- साहू समाज की आबादी 40 लाख है.
- मुस्लिम आबादी 48 लाख से ज्यादा है. सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर और बुरहानपुर में है.
- कलार समाज की आबादी 75 हजार है.
कुल मिलाकर प्रदेश में 230 में से 70 सीटें ऐसी हैं, जहां जाति और धर्म का खासा असर चुनाव पर दिखाई देता है. सबसे ज्यादा असर रीवा, सतना और सीधी में दिखाई देता है. यहां ब्राह्मण, ठाकुर और पटेल जाति के लोग चुनावी समीकरण बनाते और बिगाड़ते हैं.
इसी तरह यूपी से लगी ग्वालियर और सागर संभाग की कई सीटों पर भी जातियों का असर रहता है. लेकिन इस बार 2018 के चुनाव को लेकर जाति और समाज के आधार पर हो रही टिकटों की मांग से बीजेपी और कांग्रेस दोनों मुश्किल में हैं.
(न्यूज़ 18 के लिए अनुराग श्रीवास्तव की रिपोर्ट)
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.