दिल्ली की एयर क्वालिटी रविवार को भी बेहद खराब रही. अथॉरिटी ने प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर के लिए स्थानीय प्रदूषण करने वाले लोगों को जिम्मेदार ठहराया है.
केंद्र सरकार द्वारा संचालित सफर के मुताबिक, दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 322 रहा, जो बेहद खराब की श्रेणी में आ गया. 0-51 तक एयर क्वालिटी इंडेक्स अच्छा माना जाता है, 51-100 के बीच संतोषजनक स्थिती होती है, इसके आगे 101 से 200 के बीच इसे मध्यम, 201 और 300 के बीच इसे खराब और 301 से 400 के बीच ये बेहद खराब माना जाता है और इससे आगे बढ़ते ही प्रदूषण का स्तर गंभीर की श्रेणी में आ जाती है.
सफर ने पिछले हफ्ते राजधानी की हवा बेहद खराब होने की आशंका जताई थी. रविवार को तापमान में गिरावट के साथ प्रदूषक के तत्वों में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.
सफर के मुताबिक, दिल्ली में एयर क्वालिटी बेहद खराब होने के पीछे के कारण देखे जाएं तो दिल्ली के बाहर से आने वाले प्रदूषक तत्व भी हैं. इसके अलावा दिल्ली के स्थानीय लोग भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं. वाहन, कंस्ट्रक्शन और कूड़े को जलाने के कारण राजधानी दिल्ली की हवा में सुधार नहीं हो पा रहा है.
इससे पहले अथॉरिटी ने कहा था कि वाहनों का दिल्ली की हवा मैली करने में 40 प्रतिशत का योगदान है. CPCB ने कहा था कि दिल्ली के 14 ऐसे इलाके हैं जहां एयर क्वालिटी का स्तर बेहद खराब की स्थिति में पहुंच गया है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने के लिए वह बादलों के ‘उपयुक्त’ स्तर और घनत्व का इंतजार कर रहा है और आईएमडी से मंजूरी का इंतजार कर रहा है. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रक्रिया वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए दीर्घकालीन समाधान नहीं है.
मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनसीएपी) की शुरुआत मध्य दिसम्बर तक हो सकती है क्योंकि इसके अधिकतर अधिकारी रविवार से होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पोलैंड गए हुए हैं. वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए एनसीएपी में कई रणनीतियां प्रस्तावित हैं.
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर शीत ऋतु में अक्सर गंभीर स्तर तक पहुंच जाता है. अधिकारियों ने कहा कि हवा में प्रदूषक तत्वों को दूर करने के लिए वे ‘क्लाउड सिडिंग’ के माध्यम से कृत्रिम बारिश करा सकते हैं.
‘क्लाउड सिडिंग’ विभिन्न तरह के रासायनिक एजेंटों के बादलों के साथ सम्मिश्रण की प्रक्रिया है जिसमें सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आईस और टेबल सॉल्ट भी होता है. इससे बादलों का घनत्व बढ़ाया जाता है जिससे बारिश की संभावना बढ़ जाती है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘हम विभिन्न चीजों के साथ प्रयोग कर रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि संकट की स्थिति और दीर्घावधि में क्या कारगर रहेगा. क्लाउड सिडिंग उस रणनीति का हिस्सा है जहां हम देखना चाहते हैं कि क्या कृत्रिम बारिश से प्रदूषकों को कम करने में मदद मिलेगी.’
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