हम भारतीय इतने ज्यादा दानी प्रवृत्ति के है कि नोटबंदी के दौर में मंदिरों के ट्रस्टियों को ये चिंता सता रही है कि जनता दान कैसे करेगी? वैसे मंदिरों ने इसका सॉल्यूशन भी निकाल लिया है. अब आपको मंदिर जाते समय इस बात की फिक्र करने की जरूरत नहीं कि दान के लिए आपके पास कैश है या नहीं क्योंकि पेटीएम तो है न!
जी हां, अब मंदिर जाइए और पेटीएम करिए. दिल्ली के बड़े-बड़े मंदिरों के ट्रस्टों ने अब दानपेटी में कैश लेने के बजाय पेटीएम से दान लेना शुरू कर दिया है. पेटीएम से दान ट्रांसफर करिए सीधे मंदिर के अकाउंट में.
जब 8 नवंबर की रात को 500-1000 के नोटों को रद्द किया गया तो लोगों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों के साथ-साथ सरकार ने मंदिरों में भी अगले कुछ दिनों तक 500-1000 के नोट स्वीकार करने की बात की. ऐसा कुछ दिनों तक हुआ भी. कुछ लोगों ने दान के साथ-साथ अपना काला धान (धन) भी मंदिरों को अर्पित कर दिया लेकिन फिर मंदिरों ने भी इन अभागे नोटों को लेने से इंकार कर दिया.
दान-पुण्य कैसे करेंगे
अब लोगों को इस बात की फिक्र सताने लगी कि करेंसी के अभाव में वो दान-पुण्य कैसे करेंगे. यहां तक कि, इस समस्या के चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी कमी आ गई. मंदिरों ने इस समस्या पर चिंतन-मंथन किया और समाधान मिला पेटीएम में. साथ ही कुछ मंदिर तो इसके लिए डेबिट-क्रेडिट कार्ड का सहारा लेने में भी पीछे नहीं है.
दिल्ली का प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर भी ये सुविधा दे रहा है. यहां पूरे सालभर दूर-दूर से दर्शनार्थी आते हैं. ऐसे में उनके पास कैश की समस्या तो हो ही सकती है. मंदिर प्रशासन ने इसका पूरा ख्याल रखा है. मंदिर के प्रमुख महंत ने प्रदेश 18 को बताया कि नोटबंदी के चलते लोगों को दान करने में परेशानी हो रही थी. लोग दान करना चाहते हुए भी नहीं कर पा रहे थे.
ब्लैकमनी से नहीं होगा दान
इसलिए मंदिर प्रशासन ने पेटीएम से दान देने की सुविधा शुरू की है. इसके अलावा जल्द ही डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए भी दान लिया जाने लगेगा और ऑनलाइन भुगतान की भी सुविधा पर विचार किया जा रहा है.
इस लिस्ट में झंडेवाला मंदिर भी शामिल है. मंदिर के ट्रस्टी रविंद्र गोयल का कहना है, ‘नोटों के अभाव में दान देने वाले श्रद्धालु बेहद परेशान हैं. इसको ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर में जल्द ही कार्ड स्वाइप मशीनें लगाई जाएंगी. बस श्रद्धालु अपनी इच्छानुसार दान कर पाएंगे. इसके अलावा ऑनलाइन भुगतान की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी.’
वैसे इस्कॉन मंदिर और छतरपुर का श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर कुछ ऐसे मंदिरों में से हैं, जिन्होंने 500-1000 के नोट लेने से मना तो कर दिया है लेकिन अभी कोई दूसरा विकल्प उपलब्ध नहीं कराया जा सका है.
जब इस दौर में कैशलेस सोसाइटी की बात हो ही रही है तो मंदिरों के भी डिजीटल होने में क्या हर्ज है.
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