सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अवैध अतिक्रमण हटाने में नाकाम रहने पर जमकर फटकार लगाई. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि वह सीलिंग के खिलाफ चल रहे प्रोटेस्ट को बढ़ावा न दे. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह दिल्ली के लोगों की जिंदगी के साथ खेलना चाहती है.
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सीलिंग से निजात दिलाने वाले मास्टर प्लान में संशोधन का समर्थन किया है. दिल्ली सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि वह समस्या के मानवीय पक्ष की अनदेखी नहीं कर सकती. संविधान में लोगों को भोजन और जीवन का मौलिक अधिकार दे रखा है. दिल्ली सरकार समाज के हर तबके के अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मास्टर प्लान में प्रस्तावित संशोधन तय प्रक्रिया के मुताबिक किए गए हैं. यह संशोधन पूरी तरह से वैध हैं और कोर्ट को उस पर रोक नहीं लगानी चाहिए. इस संशोधन से मिलने वाली राहत लोगों तक पहुंचनी चाहिए. सीलिंग की वजह से लोगों की रोजी-रोटी नहीं रुकनी चाहिए.
पिछले महीने दिल्ली को सीलिंग की कार्रवाई से राहत दिलाने के लिए डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे के तहत डीडीए ने मास्टर प्लान 2021 में संशोधन करने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिसके बाद दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई में और तेजी आ गई थी.
जारी है आरोप-प्रत्यारोप का दौर
सीलिंग के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी की सरकार और बीजेपी में जमकर राजनीति भी हो रही है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सीलिंग के बहाने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और केंद्र सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं.
बीजेपी का कहना है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल या उनके मंत्रियों के द्वारा सीलिंग के मुद्दे पर बदलते बयान सामने आने से दिल्ली का माहौल बिगड़ रहा है. अरविंद केजरीवाल ने सबसे पहले दिल्ली के अमर कॉलनी में जाकर बयान दिया था कि अगर 31 मार्च तक सीलिंग के मुद्दे पर कोई हल नहीं निकलता है तो वह एक अप्रैल से खुद भी भूख हड़ताल पर बैठेंगे.
लेकिन, बाद में उन्होंने अपना इरादा बदल दिया. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अनशन पर बैठने के मुद्दे पर कहा है कि क्योंकि मामला अदालत में लंबित है, इसलिए अनशन पर इस समय बैठना उचित नहीं है. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी शासित एमसीडी और डीडीए की नाकामियों की वजह से ही दिल्ली में सीलिंग की नौबत आई है.
फिर से तेज हो गई कार्रवाई
दिल्ली में चल रहे अवैध सीलिंग के खिलाफ कार्रवाई से आवासीय कॉलनियों में आम जनता को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं सोमवार से सीलिंग के साथ अवैध निर्माण के खिलाफ भी अभियान तेज कर दिया गया हैं.
सुप्रीम कोर्ट के मॉनिटरिंग कमिटी के निर्देश पर लगभग साढ़े तीन महीने से दिल्ली में सीलिंग अभियान चलाया जा रहा है. पिछले 10 दिनों से इस अभियान में काफी सुस्ती देखी गई. इसके पीछे पर्याप्त संख्या में पुलिस बल नहीं मिलने के कारण बताया गया. ऐसा कहा जा रहा है कि नवरात्रि, अन्ना आंदोलन और लंबी छुट्टी के चलते सीलिंग अभियान में जो सुस्ती आई थी, उसने सोमवार से एक बार फिर से रफ्तार पकड़ ली है.
सीलिंग के मुद्दे पर चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने कारोबारियों से ही आंदोलन के लिए सुझाव मांगे हैं. सीटीआई का कहना है कि सीलिंग को लेकर डीडीए, एमसीडी और केंद्र सरकार की तरफ से हमें किसी भी तरह की कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. ऐसे में आंदोलन को आगे कैसे बढ़ाया जाए इसको लेकर हमलोग जल्द एक बार फिर से बैठने वाले हैं.
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दिल्ली में एक बार फिर से सभी ट्रेड एसोसिएशनों को बुलाकर व्यापार संसद का आयोजन किया जाएगा. इस बैठक में आंदोलन के लिए नए सिरे से रणनीति बनाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में भी व्यापारी खुद कैसे अपना पक्ष रखेंगे इस पर भी विचार किया जाएगा.
वहीं दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई को लेकर राजनेताओं का व्यापारियों से मिलना-जुलना लगातार जारी है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी सीलिंग को लेकर लगातार व्यापारियों से मुलाकात कर रहे हैं. मनोज तिवारी का कहना है कि वह व्यापारियों को विश्वास दिला रहे हैं कि वह हर स्तर पर उनका सहयोग कर रहे हैं.
किसी के पास नहीं है सीलिंग का हल
लेकिन, दिल्ली में सीलिंग की शुरुआत हुए साढ़े तीन महीने होने को हैं. इस दौरान न तो दिल्ली सरकार और न ही केंद्र सरकार के पास सीलिंग का कोई हल नजर आया है. केंद्र या राज्य सरकार सीलिंग के मुद्दे पर जहां गंभीरता दिखाने से लगातार बचना चाह रही है वहीं विपक्षी पार्टियों की तरफ से भी कारोबारियों कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल रहा है.
ऐसा लग रहा है कि सीलिंग के मुद्दे पर दिल्ली की तीनों बड़ी राजनीतिक पार्टियां एक सोची समझी रणनीति के तहत काम कर रही हैं. कारोबारियों के दर्द को कोई भी सुनने को तैयार नहीं है. दिल्ली के कारोबारियों के द्वारा लगातार उग्र आंदोलन की चेतावनी देने के बावजूद सीलिंग से राहत मिलती नहीं नजर आ रही है.
दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रही है. दिल्ली की तीनों ही एमसीडी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था, ‘दिल्ली में अतिक्रमण का जाल फैलता ही जा रहा है. अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो हालात और भी ज्यादा खराब हो जाएंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई. ये कमेटी ही अपनी देखरेख में सीलिंग की कार्रवाई को अंजाम दे रही है.’
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पिछले कुछ दिनों से सीलिंग को लेकर व्यापारियों में लगातार आक्रोश देखने को मिल रहा है. पिछले लगभग साढ़े तीन महीनों में व्यापारियों ने अब तक कुल चार दिन दिल्ली बंद का आयोजन किया है.
सबसे पहले व्यापारियों ने 23 जनवरी को दिल्ली बंद का आयोजन किया था. फिर बाद में 2 और 3 फरवरी को 48 घंटे का दिल्ली बंद हुआ था. इसके बावजूद सीलिंग पर रोक नहीं लगने के कारण बीते 13 मार्च को दिल्ली बंद का सफल आयोजन किया गया. बीते 28 मार्च को भी व्यापारियों ने दिल्ली बंद और रामलीला मैदान मार्च किया था.
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