पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली के करीब आते ही पटाखों की बिक्री और खरीद पर रोक लगा दी थी. लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने बीच का रास्ता निकाला है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली, क्रिसमस और नए साल पर पटाखे फोड़ने के लिए टाइमिंग फिक्स कर दी. साथ ही कोर्ट ने लोगों को ग्रीन और इको-फ्रेंडली पटाखे ही फोड़ने की सलाह दी.
ये देखने की बात होगी कि पटाखों के लिए पागल हमारे देशवासी कोर्ट के इस ऑर्डर का कितनी गंभीरता से पालन करते हैं. लेकिन कोर्ट के इस फैसले के आने के साथ ही इस पर एक बार नजर डालना जरूरी है कि पिछले दिनों में दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में प्रदूषण की स्थिति कितनी गहरी हुई है.
बुधवार को तड़के आनंद विहार में हवा की गुणवत्ता 999 के साथ खतरनाक स्तर पर थी. वहीं चाणक्यपुरी में 208, मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम में 214 के साथ हवा की गुणवत्ता काफी हानिकारक रही.
#Delhi's Anand Vihar at 999 under 'Hazardous' category, area around US Embassy, Chanakyapuri at 208 & area around Major Dhyan Chand National Stadium at 214 under 'Unhealthy' category in Air Quality Index pic.twitter.com/Sa5OJTYQqp
— ANI (@ANI) October 24, 2018
प्रदूषण पर आए डेटा दिखाते हैं कि पिछले 10 दिनों में ही प्रदूषण की स्थिति औसत से बुरी और बहुत बुरी तक होकर खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है. बस 10 दिनों में. अगले कुछ दिनों में हालात और बिगड़ने ही वाले हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर में और भी ज्यादा ध्यान में रखने की जरूरत है.
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) रोज एयर क्वालिटी इंडेक्स चेक करता है. इंडेक्स बड़े पॉल्यूटेंट PM2.5 और PM10 को मापती है. अगर इनकी वैल्यू 0 से 50 के बीच है तो ये सामान्य है, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच हल्का प्रदूषण, 201 से 300 के बीच बुरा, 301 से 400 के बीच बहुत बुरा, 401 से 500 लेवल पर खतरनाक माना जाता है. बता दें कि हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो, तो इतने में ही लोगों को सांस संबंधी परेशानियां होने लगती हैं.
ETEnergyworld की रिपोर्ट की मानें तो पिछले 10 दिनों में दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में बहुत उतार-चढ़ाव आए हैं. डेटा के मुताबिक, 12 अक्टूबर को AQI 154 था जो 20 अक्टूबर तक 326 तक पहुंच गया. हालांकि 22 अक्टूबर को इसमें थोड़ा सुधार हुआ और एक्यूआई 272 तक आ गया. गाजियाबाद में भी 12 अक्टूबर को एक्यूआई 122 रहा और 20 अक्टूबर तक 314 पर पहुंच गया.
सीपीसीबी का डेटा दिखाता है कि इस बार 21 अक्टूबर को दशहरे के त्योहार के बाद से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता बहुत तेजी से खराब हुई है. भिवंडी में एक्यूआई 412, फरीदाबाद में 310, गुड़गांव में 305, गाजियाबाद में 297, ग्रेटर नोएडा में 295 और दिल्ली में 292 रहा है.
10 दिनों में दिल्ली-एनसीआर में स्थिति बिगड़ने के पीछे कई सारी वजहें हैं, जिनमें दो मुख्य हैं. पहला- ठंड आने की वजह से हवा की गति कम हो जाती है. दूसरा- पंजाब और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों में ये किसानों के खेतों में पड़ी पराली को जलाने का वक्त होता है, जिसकी वजह से वातावरण में धुआं, धुंध और प्रदूषक फैल जाते हैं. इसके अलावा लगातार चल रहे कन्सट्रक्शन वर्क्स इसमें और योगदान ही देते हैं.
वहीं अब दीवाली पर पटाखों का धुआं खतरे के तौर पर आगे बढ़ ही रहा है. उधर, अभी किसानों ने पराली भी पूरी तरह से नहीं जलाई है. इन दोनों के एक साथ आने पर दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर में बदल सकता है.
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