दिल्ली की हवा में छाए प्रदूषण ने ऐसा लगता है कि हमारे नीति निर्धारकों को बौखला दिया है. बौखलाहट इस कदर है कि वे अजीबोगरीब विचार लाते हैं और उन्हें लागू करने की कोशिश करते हैं. ऐसा लगता है कि इस प्रदूषण में व्यावहारिकता, कॉमन सेंस और सामान्य लोगों के लिए चिंता का भाव जैसे प्लानिंग से गायब ही हो गया है.
ताजा सुझाव ईपीसीए का है. इसमें कहा गया है कि जो गाड़ियां सीएनजी पर नहीं हैं, उन्हें बैन कर दिया जाए. एक और उदाहरण है, जो ब्यूरोक्रेसी का एडहॉक सिस्टम को लेकर झुकाव दिखाता है. जहां सिर्फ फैसला लेना है, कोई भी फैसला... बजाय इसके कि समाधान ढूंढा जाए. भले ही इन फैसलों से आम लोगों की तकलीफ बढ़ती रहे.
दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में ईपीसीए अध्यक्ष भूरेलाल ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदूषण का स्तर ऐसा ही रहता है, तो एकमात्र समाधान सभी गाड़ियों को हटा देना ही है. प्राइवेट या सार्वजनिक सभी तरह की गाड़ियां, जो पेट्रोल या डीजल से चलती हों, उन्हें सड़क से हटा देना ही एकमात्र रास्ता है! वो सड़क पर अराजकता या शॉर्ट टर्म कर्फ्यू का भी आदेश दे सकते थे. जाहिर है, अगर उनका आदेश लागू हुआ तो दिल्ली थम जाएगी. दिल्लीवासी घरों में रहने या छुट्टी पर रहने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
दिल्ली पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों की बदौलत ही चलते हैं. 1.20 करोड़ रजिस्टर्ड गाड़ियों में सिर्फ दस फीसदी सीएनजी से चलती हैं. अगर हम ये मान लें कि हर गाड़ी में सिर्फ एक इंसान ही होता है, तो भी हम एक करोड़ लोगों को सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट के रहमोकरम पर छोड़ देंगे.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर का पब्लिक ट्रांसपोर्ट वैसे ही जरूरत से ज्यादा दबाव में है. क्या वो एक करोड़ लोगों का अतिरिक्त बोझ संभाल पाएगा? आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में 30 फीसदी गाड़ियां प्राइवेट हैं. पूरी तरह बैन करने का मतलब है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जरूरत होगी, जिसे तुरंत पूरा कर पाना नामुमकिन है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अभी जितना दबाव है, उसे ही पूरा कर पाना पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए संभव नहीं हो रहा. डीटीसी और क्लस्टर स्कीम के तहत 5500 बसें हैं जो 30 लाख लोगों का बोझ ढो रही हैं. यहां तक कि दिल्ली मेट्रो, ऐप से चलने वाली कैब, ऑटोरिक्शा या टैक्सियां भी अतिरिक्त बोझ उठाने की हालत में नहीं हैं.
भूरेलाल जैसे ब्यूरोक्रैट की समस्या यह है कि वे महात्मा गांधी की सलाह को पूरी तरह नजरअंदाज करते हैं, जिसमें बापू ने कहा था कि कतार में खड़े आखिरी इंसान को दिमाग में रखते हुए कोई सुझाव देना चाहिए. ऐसे सुझाव इसलिए दिए जाते हैं, क्योंकि अगर ये लागू हो गए, फिर भी इन ब्यूरोक्रैट की जिंदगी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. वे अपनी सरकारी गाड़ी में काम पर जाएंगे, जिसमें ड्राइवर होगा. उनके फैसले से उनकी जिंदगी पर कोई असर नहीं होगा. इनमें से किसी को भी खचाखच भरी मेट्रो में चढ़ने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी. डीटीसी बसों में लटककर नहीं यात्रा करनी पड़ेगी. ऑटो या कैब का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. उनके लिए जिंदगी चलती रहेगी. उनके कपड़ों की क्रीज तक नहीं बिगड़ेगी.
इस तरह के हड़बड़ी में लिए गए फैसलों से दिखता है कि अर्बन प्लानिंग से जुड़े लोग किस कदर अक्षम हैं. दिल्ली की हवा पिछले कुछ सालों में लगातार खराब हो रही है. लेकिन ईपीआईसी जैसी संस्थाएं लॉन्ग टर्म प्लान को लेकर कुछ भी नहीं कर पाई हैं. अगर भूरे लाल और उनसे पहले के लोग गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं, तो उन्हें पहले सरकार के साथ काम करना चाहिए था, जिससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती. इस तरह का सुझाव ईपीआईसी की विफलता को दिखाता है. इस संवेदनहीन प्लान का खामियाजा आम लोगों को ही भुगतना पड़ेगा.
एड हॉक तरीका, गैर व्यावहारिक विचार दिल्ली की पहचान बन गए हैं. दिल्ली ऐसा थिएटर बन गया है, जहां हर साल इस तरह के नाटक खेले जाते हैं. दिल्ली की हवा हर साल पहले से खराब होती जा रही है. सर्दियों में खराब हवा दिल्ली की नियति जैसी बनती जा रही है. इसके बावजूद नीति निर्धारक किसी समाधान तक पहुंचने में नाकाम रहे हैं. समाधान ढूंढने की शुरुआत उन सभी नॉन परफॉर्मिंग संस्थाओं और ब्यूरोक्रैट्स को बैन करने के साथ होनी चाहिए. इसकी शुरुआत भी भूरे लाल जैसे लोगों के साथ होनी चाहिए, जो रिटायरमेंट के बाद की सारी सुविधाओं का मजा ले रहे हैं.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.