दिवाली के मौके पर दिल्ली-एनसीआर में जमकर पटाखे फोड़े गए. दिल्ली में लगातार दूसरे साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ीं हैं. दिल्ली-एनसीआर का एअर क्वालिटी इंडेक्स बेहद गंभीर है. पीएम-2.5 हो या फिर पीएम-10 सभी इस वक्त खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने रात 8 बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे छोड़ने का वक्त दिया था, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में न समय की पाबंदी नजर आई न ग्रीन पटाखे चलाकर लोगों ने निर्देश पालन किया. लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सोशल साइट्स पर भी मजाक बनाते देखे गए. लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पटाखे चलाने का वीडियो शेयर कर ये जताने की कोशिश करने में लगे रहे, कि देखो हमने कितना बड़ा काम किया. कुछ लोग तो सुप्नीम कोर्ट को ही चैलेंज कर रहे हैं कि कितने लोगों को गिरफ्तार करोगे.
दिल्ली पुलिस ने देर रात तक पटाखे छोड़ने वाले कई लोगों को हिरासत में लिया, लेकिन इसका भी कुछ असर देखने को नहीं मिला. देर रात तक लोग घरों की छतों पर पटाखे फोड़ते नजर आए. दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए बीती रात कई इलाकों में गश्त भी लगाई थी, लेकिन लोगों पर ये भी बेअसर साबित हुआ.
दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर से गैस चेंबर बन गया है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एअर क्वालिटी इंडेक्स 999 तक जा पहुंची है. दिल्ली-एनसीआर आज सुबह से ही स्मॉग की चादर में लिपटा दिख रहा है. आनंद विहार, शाहदरा और पटपड़गंज में एअर क्वालिटी इंडेक्स 999 तक पहुंच गई.
पहले से ही प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली-एनसीआर की हवा दिवाली पर बढ़े प्रदूषण की वजह से और जहरीली हो गई है. लोगों को सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं. लोग घर से नहीं निकल रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर में सांस लेने का मतलब है, आप अपने शरीर में जहर भर रहे हैं. धुंध की वजह से लोगों को सांस की बीमारी, आंख से पानी निकलना, दिल का दौरा और फेफेड़े की बीमारी हो सकती है.
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दिल्ली-एनसीआर के लोगों को पिछले कुछ सालों से कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ रही है. घर से निकलते ही लोगों को परेशानियों से सामना शुरू हो जाता है. इस मौसम में पहले से ही लोग डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया से परेशान रहते हैं. ऊपर से अब प्रदूषण ने भी रुलाना शुरू कर दिया है. दिल्ली के आनंद विहार, पंजाबी बाग, आरके पुरम और ईस्ट दिल्ली में रहने वाले लोगों का तो बहुत बुरा हाल है. सरकार और कोर्ट की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदूषण के स्तर में कोई कमी नहीं आ रही है. दिवाली के बाद ऐसा लग रहा है कि प्रदूषण की वजह से स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों को बंद करने की नौबत आ जाएगी.
मौसम विभाग का कहना है कि अगले तीन-चार दिनों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है. पिछले साल भी दिवाली के बाद वायु की गुणवत्ता सूचकांक 800 तक पहुंच गई थी. पिछले कुछ सालों से अक्टूबर से लेकर दिसंबर महीने तक दिल्ली में प्रदूषण के कारण आपातकाल की स्थिति पैदा हो जाती है. इन दो-तीन महीनों में लोगों का बुरा हाल हो जाता है. इस साल भी दिवाली के बाद एक बार फिर से दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेवल हजार पार करने वाला है.
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पर्यावरण पर काम करने वाली कई संस्थाओं मानना है कि हवा की गुणवत्ता भारत में एक विकराल समस्या बनती जा रही है. भारत के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. दिल्ली-एनसीआर के अंदर भी इतनी गाड़ियां हो गई हैं, जिससे प्रदूषण फैल रहा है. ऊपर से दिवाली में फोड़े गए पटाखों से बुरा हाल हो जाता है. भारत में पर्यावरण को लेकर सरकार के पास विस्तृत और व्यावहारिक नीतियों का अभाव है. पर्यावरण मंत्रालय को चाहिए कि पर्यावरण को राष्ट्रीय कार्ययोजना में शामिल करे और पावर प्लांट के लिए अधिसूचित उत्सर्जन मानकों का कठोरता से पालन करे. साथ ही अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कठोर मानकों को लागू करके प्रदूषण नियंत्रित करे.
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